नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या के अलावा अस्पताल की कथित वित्तीय अनियमितता के मामले में सीबीआई जांच जारी रहेगी. कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को तीन हफ्ते के बाद अपनी जांच में हुई प्रगति के बारे में कोर्ट को सूचित करने का निर्देश भी दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीबीआई द्वारा दी गई स्टेटस रिपोर्ट पर गौर किया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है और आरोप पत्र पर संबंधित अदालत द्वारा संज्ञान लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के नोट्स के मुताबिक, सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच में हुए घटनाक्रम पर भी प्रकाश डाला है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि, दोनों मामलों में आगे की जांच जारी रह सकती है और उसने सीबीआई से तीन सप्ताह के भीतर मामलों की आगे की स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है.
Supreme Court begins hearing on suo motu petition on the rape and murder of a doctor in state-run RG Kar Medical College and Hospital in Kolkata, West Bengal pic.twitter.com/vQRN5VBInQ
— ANI (@ANI) October 15, 2024
आरजी कर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि, आरजी कर मामले में जांच से संबंधित एक अपडेटेड स्टेटस रिपोर्ट (अद्यतन स्थिति रिपोर्ट) सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है. एसजी मेहता ने आगे बताया कि, आरजी कर मेडिकल कॉलेज बलात्कार मामले में संबंधित अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया है.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया...
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर के रेप और मर्डर मामले की जांच "बेहद गंभीरता" के साथ चल रही है. सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष एजेंसी की पांचवीं स्टेटस रिपोर्ट पेश की.
Solicitor General Tushar Mehta informs the Supreme Court that an updated status report relating to the investigation in the RG Kar matter has been filed in the top court. SG Mehta further informs that a chargesheet has been filed in the concerned court in connection with RG Kar…
— ANI (@ANI) October 15, 2024
सीबीआई ने बताया कि, मामले में आरोपी संजय रॉय के खिलाफ 7 अक्टूबर को आरोपपत्र दाखिल किया गया था और सियालदह अदालत ने संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत ने पाया कि सीबीआई की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि एजेंसी अपनी चल रही जांच के हिस्से के रूप में अन्य व्यक्तियों की भूमिका की जांच कर रही है और उसने तीन सप्ताह के भीतर आगे की स्थिति रिपोर्ट मांगी है.
चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा पर सिफारिशें करने के लिए गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) के मुद्दे पर, शीर्ष अदालत ने कहा कि, सितंबर के पहले सप्ताह से इसकी कोई बैठक नहीं हुई है. इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने का निर्देश दिया कि यह कार्य उचित समय के भीतर पूरा हो. पीठ ने तीन सप्ताह के भीतर कोलकाता के डॉक्टरों की सुरक्षा पर सिफारिशें तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा कि, एनटीएफ की बैठकें समय-समय पर होनी चाहिए और सभी उप समूहों को नियमित बैठकें करनी चाहिए. इस मामले की सुनवाई अभी चल रही है.
30 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीसीटीवी लगाने और शौचालयों तथा अलग विश्राम कक्षों के निर्माण के मामले में की गई "धीमी" प्रगति पर असंतोष व्यक्त किया था और राज्य को 15 अक्टूबर तक चल रहे काम को पूरा करने का निर्देश दिया था. 17 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले में सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट में दिए गए निष्कर्षों से परेशान है, जबकि विवरण का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि कोई भी खुलासा चल रही जांच को खतरे में डाल सकता है.
इससे पहले, 9 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने से संबंधित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज - "चालान" के अपने समक्ष रखे गए अभिलेखों से गायब होने पर चिंता व्यक्त की थी और पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी थी. 22 अगस्त को, शीर्ष अदालत ने महिला डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत के मामले को दर्ज करने में देरी के लिए कोलकाता पुलिस की खिंचाई की थी, इसे "बेहद परेशान करने वाला" बताया था और इसकी प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के समय के अलावा घटनाओं के क्रम पर भी सवाल उठाए थे। शीर्ष अदालत ने डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए 10 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर घटना को "भयावह" बताते हुए एफआईआर दर्ज करने में कथित देरी और हजारों लोगों को सरकारी सुविधा में तोड़फोड़ करने की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की निंदा की थी. कोलकाता आरजी कर केस में एक ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. जिससे देश भर में आक्रोश का माहौल उत्पन्न हो गया. अपराध के अगले दिन मामले के सिलसिले में कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक को गिरफ्तार किया था. 13 अगस्त को कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया, जिसने 14 अगस्त को अपनी जांच शुरू की.
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