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स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन, डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उठाया कदम - Health Ministry

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 21, 2024, 9:53 PM IST

Kolkata Rape Murder Case: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स को लेकर ज्ञापन जारी किया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन
स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन (ANI)

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स को लेकर ज्ञापन जारी किया है.नेशनल टास्क फोर्स के सदस्यों में सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, डा. एन नागेश्वर रेड़्डी, डा. एम श्रीनिवास, डा प्रतिमा मूर्ति, डा. गोवर्धन दत्त पुरी, डा. सौमित्र रावत, प्रो. अनीता सक्सेना, डा. पल्लवी सापले और डा.पद्मा श्रीवास्तव के नाम शामिल हैं.

इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बुधवार को कहा था कि हेल्थ प्रोफेशनल्स की सुरक्षा के लिए केंद्रीय अधिनियम के लिए अध्यादेश जारी करने के मुद्दे पर अभी भी विचार किया जाना बाकी है.

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्रा के साथ क्रूरतापूर्वक रेप और हत्या किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद पिछले 24 घंटों के दौरान आईएमए ने लगातार कई बैठकें कीं.

स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय अधिनियम की मांग करते हुए, आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से अपील की है कि महामारी रोग संशोधन अधिनियम, 2020 के संशोधन खंडों और केरल सरकार के कोड ग्रे प्रोटोकॉल 'स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम प्रबंधन' को शामिल करने वाले मसौदा विधेयक को अध्यादेश के रूप में घोषित किया जाए. इससे डॉक्टरों में विश्वास पैदा होता.

डॉक्टर असुरक्षित हैं- आईएमए
आईएमए ने कहा कि डॉक्टर अपने कार्यस्थल पर असुरक्षित हैं. डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है. नड्डा को लिखे पत्र में कहा गया है, "25 राज्य में कानून स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने में विफल रहे हैं.

बहुत कम एफआईआर दर्ज की गई हैं और बहुत कम सजाएं हुई हैं. डॉक्टरों और अस्पतालों पर हिंसा पर एक केंद्रीय अधिनियम लाने की तत्काल आवश्यकता है. भारत के चिकित्सा जगत ने इसे बहुत गंभीरता से महसूस किया है."

सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की सराहना
आईएमए के पत्र पर आईएमए अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन और महासचिव अनिल कुमार जे नायक ने हस्ताक्षर किए हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मुद्दे पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की सराहना करते हुए, आईएमए ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स के बोर्ड में अपने सदस्यों को शामिल करने की भी अपील की.

इस बीच, एम्स-दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर एम श्रीनिवास ने बुधवार को रेजिडेंट डॉक्टरों से मरीजों की देखभाल के हित में काम पर लौटने की अपील की. श्रीनिवास ने कहा कि समिति के सदस्य स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में एम्स में सहयोगात्मक आंतरिक सुरक्षा ऑडिट करेंगे.

यह भी पढ़ें- आरजी कर मेडिकल कॉलेज में होगी CISF की तैनाती, गृह मंत्रालय ने बंगाल के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स को लेकर ज्ञापन जारी किया है.नेशनल टास्क फोर्स के सदस्यों में सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, डा. एन नागेश्वर रेड़्डी, डा. एम श्रीनिवास, डा प्रतिमा मूर्ति, डा. गोवर्धन दत्त पुरी, डा. सौमित्र रावत, प्रो. अनीता सक्सेना, डा. पल्लवी सापले और डा.पद्मा श्रीवास्तव के नाम शामिल हैं.

इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने बुधवार को कहा था कि हेल्थ प्रोफेशनल्स की सुरक्षा के लिए केंद्रीय अधिनियम के लिए अध्यादेश जारी करने के मुद्दे पर अभी भी विचार किया जाना बाकी है.

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्रा के साथ क्रूरतापूर्वक रेप और हत्या किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद पिछले 24 घंटों के दौरान आईएमए ने लगातार कई बैठकें कीं.

स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय अधिनियम की मांग करते हुए, आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से अपील की है कि महामारी रोग संशोधन अधिनियम, 2020 के संशोधन खंडों और केरल सरकार के कोड ग्रे प्रोटोकॉल 'स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम प्रबंधन' को शामिल करने वाले मसौदा विधेयक को अध्यादेश के रूप में घोषित किया जाए. इससे डॉक्टरों में विश्वास पैदा होता.

डॉक्टर असुरक्षित हैं- आईएमए
आईएमए ने कहा कि डॉक्टर अपने कार्यस्थल पर असुरक्षित हैं. डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सुरक्षा प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है. नड्डा को लिखे पत्र में कहा गया है, "25 राज्य में कानून स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने में विफल रहे हैं.

बहुत कम एफआईआर दर्ज की गई हैं और बहुत कम सजाएं हुई हैं. डॉक्टरों और अस्पतालों पर हिंसा पर एक केंद्रीय अधिनियम लाने की तत्काल आवश्यकता है. भारत के चिकित्सा जगत ने इसे बहुत गंभीरता से महसूस किया है."

सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की सराहना
आईएमए के पत्र पर आईएमए अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन और महासचिव अनिल कुमार जे नायक ने हस्ताक्षर किए हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के मुद्दे पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की सराहना करते हुए, आईएमए ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स के बोर्ड में अपने सदस्यों को शामिल करने की भी अपील की.

इस बीच, एम्स-दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर एम श्रीनिवास ने बुधवार को रेजिडेंट डॉक्टरों से मरीजों की देखभाल के हित में काम पर लौटने की अपील की. श्रीनिवास ने कहा कि समिति के सदस्य स्वास्थ्य सेवा कर्मियों की सुरक्षा के संबंध में एम्स में सहयोगात्मक आंतरिक सुरक्षा ऑडिट करेंगे.

यह भी पढ़ें- आरजी कर मेडिकल कॉलेज में होगी CISF की तैनाती, गृह मंत्रालय ने बंगाल के मुख्य सचिव को लिखा पत्र

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