कोरबा: जैतखाम को लेकर छत्तीसगढ़ में चर्चा चर्चा गरम है. बलौदाबाजार में हुई घटना के बाद प्रदेश में लोगों के मन में सवाल है कि जैतखाम आखिर क्या है? वह सतनामी समुदाय के लिए क्यों इतना खास है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने सतनामी समुदाय के संत से बात की और इन प्रश्नों के जवाब तलाशने का प्रयास किया.
सतनामी समाज का जैतखाम से है पवित्र रिश्ता: दरअसल जैतखाम सतनामी समुदाय पवित्र स्तंभ है. संत बाबा गुरु घासीदास द्वारा इसे स्थापित किया गया था. जैतखाम स्तंभ को सत्य का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि सन 1842 में ही गिरौदपुरी में सबसे पहले बाबा गुरु घासीदास द्वारा ही इसकी स्थापना की गई थी. संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास ने ही इसकी स्थापना के बाद नारा दिया कि "मनखे मनखे एक समान". संत बाबा गुरु घासीदास ने इसे एकता का प्रतीक और सत्य एवं अहिंसा के स्मारक के तौर पर प्रचारित किया. यह भी कहा कि जात-पात, ऊंच नीच का भेदभाव भुलकर मनुष्य को एकजुट होना चाहिए. सभी मनुष्य एक समान हैं.
जयंती पर धूमधाम से पूजा और उत्सव का होता है आयोजन: कोरबा जिले के टीपी नगर में पवित्र जैतखाम स्थापित किया गया है. यह सतनाम पंथ का पवित्र स्थल है. यहां बाबा गुरु घासीदास की गुरु गद्दी की स्थापना की गई है. जहां चौका आरती की जाती है. सतनामी समाज में उनके आम समाज के संत ही आध्यात्मिक पूजा कराते हैं. यहां के पुजारी या संत शत्रुघ्न दास चतुर्वेदी ने बताया कि सबसे पहले बाबा गुरु घासीदास ने ही जैतखाम की स्थापना गिरौदपुरी धाम में की थी. इसे सत्य के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.
सफेद झंडा है शांति और सत्य का प्रतीक: एक खंभा बनाकर उसपर सफेद झंडा फहराया जाता है और यह सतनामी समाज के लिए बेहद पवित्र स्थल है. हर खास अवसर पर यहां पूजा अर्चना की जाती है.
सतनाम पंथ के लोगों में जैतखाम के प्रति खास आस्था रहती है. यह सतनामी समाज के लिए बेहद पवित्र स्थल है. अलग-अलग चौक, चौराहों पर भी जैतखाम की स्थापना की जाती है. यह सतनामी समाज के लिए आस्था का केंद्र होता है. शांति और सत्य के प्रतीक के तौर पर इसे देखा जाता है. सुआ, पंथी नृत्य करके भी यहां उत्सव मनाया जाता है. आमतौर पर बाबा गुरु साहब घासीदास की जयंती 18 दिसंबर के दिन यहां ज्यादा धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है.
सतनामी समाज की विजय कीर्ति पताका: छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ा जैतखाम गिरौदपुरी में है. इसकी ऊंचाई 77 मीटर है. यह क़ुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊंचा हैं. जैतखाम सतनामियों के सत्य नाम का प्रतीक है. साथ ही यह अनुसूचित जाति(एससी) में शामिल सतनाम पंथ की विजय कीर्ति को प्रदर्शित करने वाली एक आध्यत्मिक पताका भी है. सतनाम समुदाय के लोगों द्वारा अपने मोहल्ले, गांव में किसी चबूतरे या प्रमुख स्थल पर खंभे में सफ़ेद झंडा लगा दिया जाता है. जिसे जैतखाम कहा जाता है. यहां कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम भी किये जाते हैं.