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जानिए ज्ञानवापी के ताल गृह में किन 5 मूर्तियों की हो रही पूजा, क्या है इनका इतिहास, पढ़िए पूरी डिटेल

वाराणसी के ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू करा दी गई है. तहखाने में गर्भ गृह बनाया गया है. इसे ताल गृह नाम दिया गया है. जिन मूर्तियों (Vyas Ji Basement 5 Statue Specialty) की पूजा की जा रही है, उनकी अपनी अलग-अलग खासियत है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 2, 2024, 1:13 PM IST

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में सोमनाथ व्यास के तहखाने में 30 साल के बाद फिर से पूजा-पाठ शुरू हो चुका है. बुधवार की देर रात जिला प्रशासन की तरफ से विश्वनाथ मंदिर में बड़े नंदी महाराज के सामने तहखाने के बाहर 20 फीट की बैरीकेडिंग के नीचे के हिस्से को काटकर अंदर जाने के लिए रास्ता बनाया गया. इन सबके बीच यहां पर उन 5 प्रतिमाओं की स्थापना भी की गई है, जो इसी तहखाना में कमीशन की कार्रवाई और आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे के दौरान मिली थीं. इन मूर्तियों को सुरक्षित जिलाधिकारी वाराणसी के पास रखा गया था. कोर्ट के फैसले के बाद इन मूर्तियों को यहां पर लाकर पूजा-पाठ शुरू करा दिया. हर कोई यह जानना चाह रहा है कि ये 5 मूर्तियां कौन सी हैं?, जिनकी पूजा की जा रही है?. ईटीवी भारत ने इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की पूरी कोशिश की. पढ़िए खास रिपोर्ट...

अंदर एक नहीं बल्कि पांच मूर्तियां को रखा गया है. ये यहीं पर अलग-अलग कार्रवाई के दौरान मिली थी. इनमें भगवान हनुमान, भगवान श्री हरि विष्णु, एक शिवलिंग, एक माता गंगा की सवारी घड़ियाल और प्रथम पूज्य भगवान गणेश की मूर्ति शामिल हैं. व्यास जी के तहखाने में इन्हीं की पूजा की जा रही है. अलग-अलग समय में आरती और भोग पूजन की प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है. 31 जनवरी को वाराणसी के जिला जज की तरफ से यह आदेश दिया गया कि 1992 के बाद सोमनाथ व्यास के तहखाने में बंद पूजा पाठ को फिर से शुरू करा दिया जाए. इसके लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ट्रस्ट की तरफ से यहां पर पुजारी की नियुक्ति की जाए.

तहखाने में विधि-विधान से पूजा कराने वाले एक पुजारी ने बताया कि अंदर 5 तरह के विग्रह स्थापित किए गए हैं. जिनकी पूजा संपन्न कराई जा रही है. इसमें भगवान विष्णु, भगवान गणेश, माता गंगा की सवारी घड़ियाल, एक हनुमान जी की प्रतिमा और एक शिवलिंग शामिल है. हालांकि विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की तरफ से जिलाधिकारी के पास रखी गई मूर्तियों में से 8 मूर्तियां मंगवाई गईं हैं. तीन अन्य मूर्तियां भी हैं. इन्हें अलग रखा गया है. उनको भी पूजा-पाठ में शामिल किया जा रहा है, लेकिन मुख्य स्थान पर पांच प्रतिमा ही पूजन पाठ में रखी गई है.

अब क्रमवार जानिए पांचों मूर्तियों की खासियत : पुजीर ने विस्तार से पांचों मूर्तियों के बारे में जानकारी दी. यह भी बताया कि तहखाने के गर्भ गृह को वर्तमान में तालगृह नाम दिया गया है.

हनुमान जी की मूर्ति.
हनुमान जी की मूर्ति.


हनुमान जी की मूर्ति : हनुमान जी की जैसी मूर्ति को यहां पर रखकर पूजन पाठ किया जा रहा है. यह मूर्ति लगभग 1.02 फीट की है. सफेद मार्बल की इस मूर्ति को मॉडर्न यानी आधुनिक काल का माना जा रहा है. इसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में भी शामिल किया गया है. यह मूर्ति व्यास जी के तहखाना में ही मिली है.

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भगवान गणेश की मूर्ति : तहखाने में मिली भगवान गणेश की मूर्ति की भी पूजा यहां कराई जा रही है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में शामिल इस मूर्ति के बारे में बताया गया है कि यह लगभग 8.5 सेमी की टेराकोटा से बनी है. मूर्ति लेट मेडिवेल पीरियड यानी 13 से 16 वीं सदी के आसपास की है. इसमें भगवान गणेश पद्मासन रूप में हैं.

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पुरातन शिवलिंग : भगवान शंकर की एक छोटे से शिवलिंग का पूजन भी किया जा रहा है. यह लगभग 2.5 सेंटीमीटर का है. शिवलिंग मार्बल का है. यह भी 13वीं से 16वीं सदी का बताया जा रहा है. इसका जिक्र खुद आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में किया गया है.

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भगवान विष्णु की मूर्ति : यहां पर पूजन के लिए रखी गई चौथी मूर्ति भगवान विष्णु की है. सेंडस्टोन की बनी इस मूर्ति को भी मुगल काल यानी लगभग 1537 के आसपास का बताया गया है. 27 सेंटीमीटर की यह मूर्ति भी पूजा कक्ष में रखी गई है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में तस्वीर के साथ इस मूर्ति का पूरा जिक्र किया गया है.

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मां गंगा की सवारी घड़ियाल : व्यास जी के तहखाना में पांचवीं मूर्ति मां गंगा की सवारी घड़ियाल की है. यह मूर्ति भी व्यास जी के तहखाना में ही सर्वे के दौरान मिली थी. मकराना मैटेरियल से बनी है मूर्ति लगभग 42 सेंटीमीटर की है. 13 से 16वीं सदी की बताई जा रही है. जैसा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में भी स्पष्ट तौर पर लिखा है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 30 साल बाद पूजा शुरू, कमिश्नर-डीएम की मौजूदगी में उतारी गई आरती

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में सोमनाथ व्यास के तहखाने में 30 साल के बाद फिर से पूजा-पाठ शुरू हो चुका है. बुधवार की देर रात जिला प्रशासन की तरफ से विश्वनाथ मंदिर में बड़े नंदी महाराज के सामने तहखाने के बाहर 20 फीट की बैरीकेडिंग के नीचे के हिस्से को काटकर अंदर जाने के लिए रास्ता बनाया गया. इन सबके बीच यहां पर उन 5 प्रतिमाओं की स्थापना भी की गई है, जो इसी तहखाना में कमीशन की कार्रवाई और आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वे के दौरान मिली थीं. इन मूर्तियों को सुरक्षित जिलाधिकारी वाराणसी के पास रखा गया था. कोर्ट के फैसले के बाद इन मूर्तियों को यहां पर लाकर पूजा-पाठ शुरू करा दिया. हर कोई यह जानना चाह रहा है कि ये 5 मूर्तियां कौन सी हैं?, जिनकी पूजा की जा रही है?. ईटीवी भारत ने इन सभी सवालों के जवाब तलाशने की पूरी कोशिश की. पढ़िए खास रिपोर्ट...

अंदर एक नहीं बल्कि पांच मूर्तियां को रखा गया है. ये यहीं पर अलग-अलग कार्रवाई के दौरान मिली थी. इनमें भगवान हनुमान, भगवान श्री हरि विष्णु, एक शिवलिंग, एक माता गंगा की सवारी घड़ियाल और प्रथम पूज्य भगवान गणेश की मूर्ति शामिल हैं. व्यास जी के तहखाने में इन्हीं की पूजा की जा रही है. अलग-अलग समय में आरती और भोग पूजन की प्रक्रिया पूर्ण की जा रही है. 31 जनवरी को वाराणसी के जिला जज की तरफ से यह आदेश दिया गया कि 1992 के बाद सोमनाथ व्यास के तहखाने में बंद पूजा पाठ को फिर से शुरू करा दिया जाए. इसके लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ट्रस्ट की तरफ से यहां पर पुजारी की नियुक्ति की जाए.

तहखाने में विधि-विधान से पूजा कराने वाले एक पुजारी ने बताया कि अंदर 5 तरह के विग्रह स्थापित किए गए हैं. जिनकी पूजा संपन्न कराई जा रही है. इसमें भगवान विष्णु, भगवान गणेश, माता गंगा की सवारी घड़ियाल, एक हनुमान जी की प्रतिमा और एक शिवलिंग शामिल है. हालांकि विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की तरफ से जिलाधिकारी के पास रखी गई मूर्तियों में से 8 मूर्तियां मंगवाई गईं हैं. तीन अन्य मूर्तियां भी हैं. इन्हें अलग रखा गया है. उनको भी पूजा-पाठ में शामिल किया जा रहा है, लेकिन मुख्य स्थान पर पांच प्रतिमा ही पूजन पाठ में रखी गई है.

अब क्रमवार जानिए पांचों मूर्तियों की खासियत : पुजीर ने विस्तार से पांचों मूर्तियों के बारे में जानकारी दी. यह भी बताया कि तहखाने के गर्भ गृह को वर्तमान में तालगृह नाम दिया गया है.

हनुमान जी की मूर्ति.
हनुमान जी की मूर्ति.


हनुमान जी की मूर्ति : हनुमान जी की जैसी मूर्ति को यहां पर रखकर पूजन पाठ किया जा रहा है. यह मूर्ति लगभग 1.02 फीट की है. सफेद मार्बल की इस मूर्ति को मॉडर्न यानी आधुनिक काल का माना जा रहा है. इसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में भी शामिल किया गया है. यह मूर्ति व्यास जी के तहखाना में ही मिली है.

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भगवान गणेश की मूर्ति : तहखाने में मिली भगवान गणेश की मूर्ति की भी पूजा यहां कराई जा रही है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में शामिल इस मूर्ति के बारे में बताया गया है कि यह लगभग 8.5 सेमी की टेराकोटा से बनी है. मूर्ति लेट मेडिवेल पीरियड यानी 13 से 16 वीं सदी के आसपास की है. इसमें भगवान गणेश पद्मासन रूप में हैं.

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पुरातन शिवलिंग : भगवान शंकर की एक छोटे से शिवलिंग का पूजन भी किया जा रहा है. यह लगभग 2.5 सेंटीमीटर का है. शिवलिंग मार्बल का है. यह भी 13वीं से 16वीं सदी का बताया जा रहा है. इसका जिक्र खुद आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में किया गया है.

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भगवान विष्णु की मूर्ति : यहां पर पूजन के लिए रखी गई चौथी मूर्ति भगवान विष्णु की है. सेंडस्टोन की बनी इस मूर्ति को भी मुगल काल यानी लगभग 1537 के आसपास का बताया गया है. 27 सेंटीमीटर की यह मूर्ति भी पूजा कक्ष में रखी गई है. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में तस्वीर के साथ इस मूर्ति का पूरा जिक्र किया गया है.

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मां गंगा की सवारी घड़ियाल : व्यास जी के तहखाना में पांचवीं मूर्ति मां गंगा की सवारी घड़ियाल की है. यह मूर्ति भी व्यास जी के तहखाना में ही सर्वे के दौरान मिली थी. मकराना मैटेरियल से बनी है मूर्ति लगभग 42 सेंटीमीटर की है. 13 से 16वीं सदी की बताई जा रही है. जैसा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में भी स्पष्ट तौर पर लिखा है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 30 साल बाद पूजा शुरू, कमिश्नर-डीएम की मौजूदगी में उतारी गई आरती

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