कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में से बागवानों की मांग को अब लंबे समय के बाद कांग्रेस सरकार ने पूरा कर दिया है. इस साल सेब सीजन में बागवान द्वारा यूनिवर्सल कार्टन का प्रयोग किया जाएगा और टेलीस्कोप कार्टन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा. बागवानों द्वारा लंबे समय से यूनिवर्सल कार्टन में सेब की पैकिंग करने की मांग रखी गई थी. ऐसे में सरकार के द्वारा इसके लिए कमेटी का भी गठन किया गया और कमेटी द्वारा अब इसके लिए एक एसओपी भी तैयार की जाएगी. बागबानो को अब यूनिवर्सल कार्टन में सेब बचने की सुविधा उपलब्ध होगी और अब मंडियों में आढ़तियों के शोषण का भी शिकार नहीं होंगे.
टेलीस्कोपिक कार्टन का पहले होता था उपयोग: इससे पहले बागवानों द्वारा सेब की पैकिंग के लिए टेलीस्कोपिक कार्टन का उपयोग किया जाता था. उस कार्टन में 30 से 35 किलो सेब आता था, लेकिन मंडी में एक कार्टन में चाहे जितना भी सेब हो उसे 20 किलो की पैकिंग ही माना जाता है. कुछ जगहों में यूनिवर्सल कार्टन में पैकिंग होती थी. लेकिन मार्केट में यह कार्टन काफी कम मिलता है. क्योंकि कुछ बड़े आढ़ती की साठगांठ के चलते यह कम सप्लाई होता है. ताकि बागवानों को चपत लगाई जा सके. बाहरी राज्यों की मंडियों में आढ़ती टेलीस्कोपिक कार्टन में 34 किलो सेब खरीद रहे हैं और बागवानों को 20 किलो सेब का भुगतान कर रहे हैं. वहीं, यूनिवर्सल कार्टन में सिर्फ बीस किलो सेब ही भरा जा सकता है और इस फैसले से आढ़तियों पर लगाम कसी जा सकती है.
यूनिवर्सल कार्टन को लेकर अधिसूचना जारी: यूनिवर्सल कार्टन के बारे में प्रदेश सरकार की ओर से जो अधिसूचना जारी की गई है. उसमे सेब वजन के साथ छोटे-बड़े आकार को लेकर अलग अलग मानक तय किए गए हैं. जिसमें मीडियम के 125, स्मॉल के 150 और एक्स्ट्रा स्मॉल ग्रेड के 175 फल होंगे. कार्टन में सेब के छह तरह के ग्रेड के लिए अलग-अलग वजन, ट्रे की संख्या, प्रति बॉक्स सेब और प्रति पेटी वजन को स्पष्ट किया है. एक्सट्रा लार्ज सेब का अनुमानित वजन 221 से 280 ग्राम, लार्ज का 181.220, मीडियम का 141 से 180, स्मॉल का 127.140, एक्स्ट्रा स्माल का 111.126 और पिट्ठू का 90 से 110 ग्राम होगा. एक्स्ट्रा लार्ज के लिए प्रति ट्रे सेब की संख्या 20, मीडियम के लिए 25 व स्मॉल के लिए 30 होगी. सेब बागवानों को अपने घरों में ही तैयार फसल का वजन कर पेटी पर सेब का वजन लिखना होगा. इसके अलावा मंडियों में भी मशीन से सेब का वजन किया जाएगा. गौर हो कि इससे पहले सेब बागवानों को एक पेटी में कभी 28 तो कभी 30 किलो सेब डालने पड़ते थे और सेब के दाम उन्हें पेटी के हिसाब से मिलता था. सेब की पेटी में चाहे 25 किलो सेब हो या फिर 30 किलो सेब हो.
सेब बागवानों की आर्थिकी होगी मजबूत: कुल्लू के सेब बागवान राजीव, महेंद्र ठाकुर का कहना है कि वर्तमान में राज्य में टेलीस्कोपिक कार्टन का प्रयोग हो रहा है. टेलीस्कोपिक कार्टन में दो बॉक्स होते हैं. इसमें निर्धारित मापदंड से अधिक मात्रा में सेब की पैकिंग की जाती है. यानि 20 किलोग्राम की पेटी में 35 से 40 किलोग्राम तक का सेब भरा जाता है, जिससे बागवानों को नुकसान हो रहा था. इसे देखते हुए इस वर्ष से सरकार ने तय किया था कि एक पेटी में 24 किलोग्राम से अधिक सेब नहीं भरा जाएगा. सरकार के द्वारा जो अब यूनिवर्सल कार्टन के प्रयोग के बारे में फैसला लिया गया है. उससे अब सेब के बागवान को काफी फायदा होगा और मंडियों में भी अब उन्हें सेब के दाम किलो के हिसाब से मिलेंगे और इससे सेब बागवानों की आर्थिकी की काफी मजबूत होगी.
बागवानों को मिलेगा वजन के हिसाब से दाम: वही, सब्जी मंडी भुंतर में तैनात आढ़ती रामलाल, राकेश कुमार, भाग चंद का कहना है कि सेब के सीजन के दौरान, उन्हें भी यह परेशानी उठानी पड़ती थी. क्योंकि टेलीस्कोप कार्टन में जब सेब बाहरी राज्यों की मंडियों में भेजा जाता था तो वहां पर भी बड़े व्यापारी द्वारा मात्र 20 या फिर 24 किलो सेब के ही दाम दिए जाते थे. सरकार द्वारा अब यूनिवर्सल कार्टन की पैकिंग को शुरू करने का फैसला लिया गया है. उससे अब पारदर्शिता के साथ कार्य होगा और आढ़ती के साथ साथ बागवानों को भी इसका फायदा होगा.
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