बेंगलुरु: कर्नाटक के हुबली स्थित KMCRI के डॉक्टरों ने एक लॉरी क्लीनर के सीने में घुसी 98 सेमी लंबी पाइप को सफलतापूर्वक निकाल दिया. क्लीनर 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजमार्ग 4 पर सर्विस रोड पर एक लॉरी अनियंत्रित होकर पलटने की घटना में घायल हो गया था.
घटना के दौरान सर्विस रोड के जाल में लगाया गया पाइप क्लीनर दयानंद शंकरबग्गी के शरीर में घुस गया था. इसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन वहां कोई विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण उसे हुबली के KMCRI की इमरजेंसी यूनिट में भर्ती कराया गया था.
सफल सर्जरी
KMCRI की इमरजेंसी यूनिट के प्रमुख डॉ नागराज चांडी ने तत्काल उसका इलाज किया और वरिष्ठ डॉक्टरों के ध्यान में लाया. जल्द ही सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. इससे पहले डॉ वीना मराडी ने रेडियोलॉजी विभाग में अल्ट्रासाउंड जांच करके पुष्टि की थी कि हार्ट और प्रमुख ब्लड वसल को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
जांच के आधार पर सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ रमेश होसमानी के नेतृत्व में डॉ. विजया कामथ, डॉ. विनायक बटेप्पनवारा, डॉ. वसंत तेग्गिनामणि, कार्डियक सर्जन डॉ. कोबन्ना कट्टीमनी, डॉ. धर्मेश लड्डा की चिकित्सकीय टीम ने दोपहर दो बजे से शाम साढ़े चार बजे तक सर्जरी की.
टूट गईं थी छाती की हड्डी
KIMS के निदेशक डॉ एस एफ कामारा ने बताया, "दयानंद की छाती की हड्डी कुछ स्थानों से टूटी हुई थी और उसका फेफड़ा भी क्षतिग्रस्त हो गया था. पाइप एक छोटा सा हुक लगा हुआ था. पाइप हार्ट के करीब काफी करीब था. यह सब बहुत सावधानी से किया गया और अंत में 98 सेमी लंबी पाइप को छाती से निकाल दिया गया.
डॉ मेश होसामनी ने कहा, "दयानंद की हालत में अब थोड़ा सुधार हो रहा है. अगले दो दिनों तक उन्हें आईसीयू में रखा जाएगा. उन्हें आवश्यक चिकित्सा उपचार दिया जा रहा है. उसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी." चिकित्सा अधीक्षक डॉ ईश्वर हसबी और प्राचार्य डॉ गुरुशांतप्पा येलागाचिना ने कहा, " उन्हें निशुल्क उपचार दिया गया है. 7 बोतल रक्त दिया गया. छुट्टी के दिन होने के बाद भी हमारी चिकित्सा टीम ने सफलतापूर्वक सर्जरी की."
शिवानंद के भाई ने कहा, "मुझे यह भी नहीं पता कि दुर्घटना कैसे हुई. घटना सुबह-सुबह हुई. मेरे भाई के सीने में लोहे की रॉड घुस गई. हालांकि, वह बात कर रहा था. स्थानीय लोगों, दमकलकर्मियों और पुलिस की मदद से उसे दावणगेरे अस्पताल पहुंचाया. उन्होंने बताया था कि वहां ऑपरेशन संभव नहीं था. इसलिए उसे अस्पताल लाया गया. मुझे यकीन था कि डॉक्टर उसका अच्छे से ख्याल रखेंगे और उसे वापस जीवनदान देंगे. डॉक्टरों की टीम का जितना भी आभार व्यक्त किया जाए, वह बहुत कम है."
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