नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को एक अंतर्राष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंड़ाफोड़ किया है. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4-5 लाख में लेते थे और रिसीवर को 20 से 30 लाख में बेचते थे. वहीं, महिला डॉक्टर हर सर्जरी का 2 लाख रुपए ले रही थी.
पुलिस के मुताबिक, जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का बड़ा अस्पताल है. डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था. बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं.
पुलिस ने इस रैकेट के सात लोगों को गिरफ्तार किया है. इनका कनेक्शन बांग्लादेश से है. रैकेट का मास्टरमाइंड भी बांग्लादेश का ही है. एक बड़े निजी अस्पताल की सीनियर डॉक्टर विजया कुमारी का भी नाम इसमें सामने आया है. उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
फर्जी दस्तावेज बनाए
डॉक्टर के अलावा, पिछले महीने 3 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के नाम पर कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे. जिसमें दावा किया गया था कि अंग दान करने वाले और अंग लेने वाले (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध है. अधिकारियों के मुताबिक अवैध रूप से मानव किडनी का यह काला धंधा बांग्लादेश से संचालित होता था लेकिन ऑपरेशन को अंजाम हिंदुस्तान में दिया जाता था.
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क्या होता है ऑर्गन ट्रांसप्लांट
ऑर्गन ट्रांसप्लांट को बड़े अस्पतालों में सीनियर सर्जन के जरिए ही किया जा सकता है. यह पूरी देखरेख में की जाने वाली एक बड़ी सर्जरी है. इसमें किसी एक व्यक्ति के शरीर से किसी अंग को निकालकर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में लगाया जाता है.
कौन हैं डॉ. विजया कुमारी
डॉ. विजया कुमारी सीनियर कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन हैं. करीब 15 साल पहले उन्होंने दिल्ली वाले निजी अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के तौर पर काम शुरू किया था. नोएडा के निजी अस्पताल के साथ वो विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं.
पुलिस के मुताबिक, वो कथित तौर पर बांग्लादेश और भारत के इस गिरोह से जुड़ी थीं. 50 साल की डॉक्टर विजया कुमारी फिलहाल अस्पताल से निलंबित हैं. पुलिस के मुताबिक, इस अस्पताल से गिरोह के साथ काम करने वाली वो एकमात्र डॉक्टर थीं. उन्होंने 2021 से 2023 तक नोएडा के एक निजी अस्पताल में करीब 15 से 16 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए थे.