कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने आरएमपी नेता टीपी चंद्रशेखरन हत्या मामले में आरोपियों के लिए अधिकतम सजा की मांग वाली अपील को स्थगित कर दिया गया. चन्द्रशेखरन मामले में डायलिसिस से गुजर रहे 12वें आरोपी ज्योति बाबू को छोड़कर सोमवार को केरल हाई कोर्ट में सभी आरोपी मौजूद थे. ज्योति बाबू को स्वास्थ्य कारणों से ऑनलाइन तरीके से पेश किया गया. हाईकोर्ट ने आरोपियों से पूछा कि क्या हत्या के मामले में सजा न बढ़ाने का कोई कारण है. प्रतिवादियों ने जवाब दिया कि वे निर्दोष हैं और चाहते हैं कि उनकी सजा कम की जाए.
पहले आरोपी एमसी अनूप ने कोर्ट में कहा कि वह निर्दोष है. आरोपी ने कहा कि सजा न बढ़ाई जाए और उसकी पत्नी व बच्चे हैं. वहीं किरमानी मनोज और कोडी सुनी सहित अन्य आरोपियों ने सजा में नरमी की मांग की. ज्योति बाबू को अदालत में पेश नहीं किया गया क्योंकि दोपहर 3 बजे डायलिसिस किया जाना था. उन्होंने कहा कि उन्हें एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसकी वजह से वह चल नहीं सकते हैं और उनकी पत्नी एवं बेटे बीमार हैं. और अपने भाई के परिवार की भी वही ही देखभाल कर रहे हैं जो पहले मारा गया था.
प्रतिवादियों ने अदालत को पारिवारिक समस्याओं से अवगत कराते हुए सजा कम करने का अनुरोध किया. अदालत ने सजा बढ़ाने से पहले प्रतिवादी का पक्ष सुनने का अनुरोध स्वीकार कर लिया और जेल अधीक्षक की रिपोर्ट, प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट आदि अभियोजन और प्रतिवादी को सौंपने का निर्देश दिया है. अब उक्त मामले पर उच्च न्यायालय कल सुनवाई करेगा. अपील पर सुनवाई के बाद ही खंडपीठ तय करेगी कि उनकी सजा बढ़ाई जाए या नहीं.
साल 2012 में हुई थी टीपी चंद्रशेखरन की हत्या
बता दें कि यह मामला 4 मई, 2012 को रिवोल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी के संस्थापक और नेता चंद्रशेखरन (52) की हत्या से संबंधित है. टीपी चंद्र शेखरन, जो सीपीएम नेता थे, ने पार्टी छोड़ दी थी और ओंचियाम में अपनी खुद की पार्टी रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी बनाई. 4 मई 2012 को वडकारा के पास हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी. अभियोजन आरोपपत्र के अनुसार, आरएमपी संस्थापक टीपी चंद्र शेखरन की हत्या उसके हिस्से के रूप में की गई थी. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण आरोपी ने मोटर बाइक से अपने घर वापस लौट रहे टीपी चन्द्रशेखरन पर बम फेंका. तभी आरोपियों ने उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी. टीपी चन्द्रशेखरन के शरीर पर 52 गहरे घाव और कट के निशान थे. मामले के अनुसार, आरोपी (कुछ सीपीएम सदस्य) पार्टी छोड़ने और एक नई राजनीतिक इकाई स्थापित करने के लिए चंद्रशेखरन से नाराज थे.
इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने 11 आरोपियों एमसी अनूप, किरमानी मनोज, कोडी सुनी, टीके राजेश, मुहम्मद शफी, अन्नान सिजिथ, के. शिनोज, केसी रामचंद्रन, ट्राउजर मनोज, पीके कुंजनाथन, वयप्पादाची रफीक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. एक आरोपी लंबू प्रदीपन को दोषी ठहराया गया था. 2014 में 3 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. आरोपियों में से एक पीके कुंजनथन की जेल अवधि के दौरान 2020 जून में मृत्यु हो गई. शुरुआत में आरोपियों की सूची में 36 व्यक्ति शामिल थे. ट्रायल कोर्ट ने सीपीएम जिला सचिव पी मोहनन समेत 24 को बरी कर दिया और पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने दोषी की अपील खारिज कर दी. दो प्रतिवादियों, 10वें आरोपी केके कृष्णन और 12वें आरोपी ज्योति बाबू को मामले में दोषी पाया गया था.
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