कन्नूर: केरल प्राकृतिक आपदाओं के लिए काफी संवेदनशील हो गया है. हाल ही में वायनाड में आए विनाशकारी भूकंप से भारी तबाही मची थी. यह केरल में अब तक की सबसे भयानक प्राकृतिक आपदा मानी जा रही है. ऐसे में, बिहार के दशरथ मांझी की तरह कन्नूर में थॉमस नामक के एक व्यक्ति ने पहाड़ में सुरंग बनाकर मिसाल पेश की है. थॉमस पेरुवम्बा नामक एक पहाड़ी गांव में रहते हैं.
थॉमस को सुरंग बनाने का विचार थाईलैंड में अपने बच्चों के साथ छुट्टियों में घूमने के दौरान आया था. वहां के खूबसूरत समुद्री तट और सुरंग के रास्ते से वह बहुत प्रेरित हुए. केरल लौटने पर, उन्होंने अपने घर के पास 75 सेंट की जमीन पर काम करना शुरू किया. थॉमस ने 2021 में सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया था, उनका लक्ष्य 100 मीटर लंबी सुरंग बनाना है. अब तक थॉमस ने कुदाल जैसे आम आजारों से खोदाई कर 88 मीटर लंबी सुरंग बना चुके हैं.
पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते भूमि काफी कठोर थी, लेकिन 70 साल की उम्र होने के बावजूद थॉमस ने बिना किसी की मदद के खुद ही सुंरग की खोदाई की. उनके घर के पास से दो गेट के जरिये सुरंग में प्रवेश किया जा सकता है, जिसके अंदर 12 से ज्यादा मार्ग हैं और इसकी ऊंचाई 6 से 9 फीट है.
हर दिन 14 घंटे अथक परिश्रम किया...
थॉमस 16 साल की उम्र से ईंट बनाने का काम करते थे. उनका शरीर इतना मजबूत हो चुका है कि उन्हें थकान का अहसास तक नहीं होता है. सुरंग के निर्माण के लिए उन्होंने शुरुआत में हर दिन 14 घंटे अथक परिश्रम किया. सुरंग से मिट्टी को अकेले ही बाहर निकाला. हालांकि, एक छोटी सी हृदय संबंधी बीमारी ने उनकी निर्माण की गति को धीमा कर दिया.
सुरंग को देखने पड़ोसी जिलों से आते हैं लोग
अब इस सुरंग को देखने के लिए पड़ोसी जिलों से लोग आते हैं. कासरगोड जिले की शांतम्मा फिलिप इस बात से हैरान हैं कि 70 साल की उम्र में कोई व्यक्ति इस तरह का काम कैसे कर सकता है. उनका कहना है कि थॉमस सम्मान के हकदार हैं.
थॉमस ने अब तक निर्माण पर 1.5 लाख रुपये खर्च किए हैं, जिसमें कुदाल और अन्य औजारों का खरीदना भी शामिल है. थॉमस का कहना है कि सुरंग पूरी हो जाने के बाद उन्हें अंदर रोशनी और सजावट के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता होगी.
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