श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने आपसी समझौते के बाद भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की एक महिला पायलट द्वारा विंग कमांडर के खिलाफ दायर यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया है.
न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच हुए समझौते को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए के तहत जांच जारी रखना अनावश्यक था. अदालत ने 20 मई, 2024 को अपने आदेश में कहा कि 'उपरोक्त के मद्देनजर, आईपीसी की धारा 354ए के तहत अपराध के लिए पुलिस स्टेशन, सतवारी में दर्ज एफआईआर संख्या 0036/2021 दिनांक 11 फरवरी, 2021 को रद्द कर दिया गया है.'
अदालत ने आगे कहा कि 'चुनाव लड़ने वाले दल इस मामले और विवाद को, जो अब पार्टियों के बीच सुलझ चुका है, किसी भी तरह से प्रचारित नहीं करेंगे.' यह फैसला विंग कमांडर द्वारा 2021 में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को चुनौती देने के बाद आया. महिला अधिकारी ने उन पर बार-बार यौन संबंध बनाने की मांग करने, अनुचित टिप्पणियां करने और अनुचित तरीके से छूने का आरोप लगाया.
याचिका के लंबित रहने के दौरान, आरोपी ने एक समझौते का प्रस्ताव रखा, जिसे शिकायतकर्ता ने स्वीकार कर लिया, जिससे उसे एफआईआर रद्द करने में कोई आपत्ति नहीं हुई. याचिकाकर्ता ने समझौते की शर्तों पर सहमति व्यक्त की और मामले को प्रचारित नहीं करने का वादा किया.