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मुडा घोटाला: सीएम सिद्धारमैया को हाईकोर्ट से राहत, विशेष अदालत में कार्यवाही पर रोक - Muda Scam

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 19, 2024, 3:17 PM IST

Updated : Aug 19, 2024, 6:27 PM IST

Karnataka CM Siddaramaiah Muda Scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कथित MUDA भूमि घोटाला मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी है.

Karnataka CM Siddaramaiah Muda Scam
सीएम सिद्धारमैया ने मुकदमा चलाने के राज्यपाल के फैसले को दी चुनौती (ETV Bharat)

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में हुए कथित भूमि घोटाला मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी है. राज्यपाल ने कथित मुडा भूमि घोटाला मामले में सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.

हाईकोर्ट ने विशेष कोर्ट को निर्देश दिया है कि कथित मुडा घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी, जब तक कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया, जो सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के कदम को चुनौती दी गई है.

सीएम सिद्धारमैया की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा, "मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश में कई त्रुटियां हैं. सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने का निर्देश देने के लिए जन प्रतिनिधि विशेष न्यायालय में दायर याचिकाओं का अंतिम आदेश 20 और 21 अगस्त को आएगा. अगर यह आदेश आता है, तो हाईकोर्ट में दायर आवेदन की वैधता समाप्त हो जाएगी, इसलिए निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए."

इस पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, "मुकदमा चलाने की अनुमति देने में राज्यपाल की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका पर सभी दलीलें सुनी जानी चाहिए. अगर विशेष अदालत निजी शिकायत पर कोई आदेश जारी करती है, तो हाईकोर्ट की कार्यवाही निरर्थक हो जाएगी. इसलिए, शिकायत पर विशेष अदालत के फैसले को स्थगित किया जाना चाहिए. मुकदमा चलाने की दी गई अनुमति के आधार पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए."

साथ ही पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश के संबंध में कोई रोक जारी नहीं की गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.

सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में क्या कहा...
सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में कहा है कि 26 जुलाई 2024 को सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने राज्यपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 17 ए, 19 और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति मांगने के लिए याचिका दायर की थी. संवैधानिक पहलुओं पर विचार किए बिना ही अविवेकपूर्ण तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नोटिस का मुख्यमंत्री ने विस्तृत जवाब दिया था. लेकिन राज्यपाल ने 16 अगस्त को एक आदेश जारी कर कैबिनेट की सलाह के बिना उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी थी.

अपने जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कानून और तथ्यों को स्पष्ट रूप से समझाया था. मगर उन पर विचार किए बिना मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई. राज्यपाल की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय का स्पष्ट उल्लंघन, गैर-विवेकाधीन और पीसी एक्ट की धारा 17 ए, 19 और बीएनएसएस की धारा 218 के प्रावधानों के विपरीत है.

याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल ने जानबूझकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जवाब को नजरअंदाज कर दिया और अभियोजन की अनुमति दे दी. यह एक गलत निर्णय और जल्दबाजी में लिया गया और असंवैधानिक निर्णय है. इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. अगर इस आदेश पर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता की गरिमा को अपूरणीय क्षति होगी. साथ ही, मुख्यमंत्री कार्यालय का कामकाज भी बाधित होगा. सीएम सिद्धारमैया ने अंतरिम राहत मांगी है कि राज्यपाल के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए.

सिद्धारमैया के खिलाफ क्या हैं आरोप
जन प्रतिनिधि विशेष न्यायालय में दायर एक निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के परिवार के सदस्यों ने अवैध रूप से 14 प्लॉट हासिल किए हैं. सीएम सिद्धारमैया और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ SIT या अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है.

राज्यपाल के फैसले को लेकर राजनीतिक घमासान
वहीं, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी देने वाले राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को लेकर राज्य में राजनीतिक घमासान देखने को मिला. सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा सोमवार को सड़कों पर उतर आई. कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालयों में धरना, पैदल मार्च और रैलियां निकालीं. उन्होंने राज्यपाल के फैसले की निंदा की. बेंगलुरु, उडुपी, मंगलुरु, हुबली-धारवाड़, विजयपुरा, कलबुर्गी, रायचूर, तुमकुरु और मैसूर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुए.

डीके शिवकुमार ने प्रदर्शन का किया नेतृत्व
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य कैबिनेट के कई मंत्रियों के साथ बेंगलुरु के 'फ्रीडम पार्क' में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल बिना किसी कारण के मामला बना रहे हैं. यह लोकतंत्र की हत्या है और हम इसका विरोध करेंगे.

विधानसभा परिसर में भाजपा का धरना
भाजपा ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक के नेतृत्व में 'विधानसभा' के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की. भाजपा नेताओं ने कहा कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें पारदर्शी और निष्पक्ष जांच का रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए. पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा भी धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- क्या है MUDA घोटाला? मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? जानें सबकुछ

बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) में हुए कथित भूमि घोटाला मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी है. राज्यपाल ने कथित मुडा भूमि घोटाला मामले में सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.

हाईकोर्ट ने विशेष कोर्ट को निर्देश दिया है कि कथित मुडा घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ विशेष अदालत में तब तक कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी, जब तक कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है. जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया, जो सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के राज्यपाल के कदम को चुनौती दी गई है.

सीएम सिद्धारमैया की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा, "मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश में कई त्रुटियां हैं. सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने का निर्देश देने के लिए जन प्रतिनिधि विशेष न्यायालय में दायर याचिकाओं का अंतिम आदेश 20 और 21 अगस्त को आएगा. अगर यह आदेश आता है, तो हाईकोर्ट में दायर आवेदन की वैधता समाप्त हो जाएगी, इसलिए निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए."

इस पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, "मुकदमा चलाने की अनुमति देने में राज्यपाल की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाली मुख्यमंत्री द्वारा दायर याचिका पर सभी दलीलें सुनी जानी चाहिए. अगर विशेष अदालत निजी शिकायत पर कोई आदेश जारी करती है, तो हाईकोर्ट की कार्यवाही निरर्थक हो जाएगी. इसलिए, शिकायत पर विशेष अदालत के फैसले को स्थगित किया जाना चाहिए. मुकदमा चलाने की दी गई अनुमति के आधार पर आगे कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए."

साथ ही पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्यपाल के आदेश के संबंध में कोई रोक जारी नहीं की गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी.

सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में क्या कहा...
सीएम सिद्धारमैया ने याचिका में कहा है कि 26 जुलाई 2024 को सामाजिक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम ने राज्यपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 17 ए, 19 और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत अभियोजन की अनुमति मांगने के लिए याचिका दायर की थी. संवैधानिक पहलुओं पर विचार किए बिना ही अविवेकपूर्ण तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. नोटिस का मुख्यमंत्री ने विस्तृत जवाब दिया था. लेकिन राज्यपाल ने 16 अगस्त को एक आदेश जारी कर कैबिनेट की सलाह के बिना उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति दे दी थी.

अपने जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कानून और तथ्यों को स्पष्ट रूप से समझाया था. मगर उन पर विचार किए बिना मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई. राज्यपाल की यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय का स्पष्ट उल्लंघन, गैर-विवेकाधीन और पीसी एक्ट की धारा 17 ए, 19 और बीएनएसएस की धारा 218 के प्रावधानों के विपरीत है.

याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल ने जानबूझकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जवाब को नजरअंदाज कर दिया और अभियोजन की अनुमति दे दी. यह एक गलत निर्णय और जल्दबाजी में लिया गया और असंवैधानिक निर्णय है. इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए. अगर इस आदेश पर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता की गरिमा को अपूरणीय क्षति होगी. साथ ही, मुख्यमंत्री कार्यालय का कामकाज भी बाधित होगा. सीएम सिद्धारमैया ने अंतरिम राहत मांगी है कि राज्यपाल के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए.

सिद्धारमैया के खिलाफ क्या हैं आरोप
जन प्रतिनिधि विशेष न्यायालय में दायर एक निजी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के परिवार के सदस्यों ने अवैध रूप से 14 प्लॉट हासिल किए हैं. सीएम सिद्धारमैया और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ SIT या अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की गई है.

राज्यपाल के फैसले को लेकर राजनीतिक घमासान
वहीं, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी देने वाले राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को लेकर राज्य में राजनीतिक घमासान देखने को मिला. सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा सोमवार को सड़कों पर उतर आई. कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालयों में धरना, पैदल मार्च और रैलियां निकालीं. उन्होंने राज्यपाल के फैसले की निंदा की. बेंगलुरु, उडुपी, मंगलुरु, हुबली-धारवाड़, विजयपुरा, कलबुर्गी, रायचूर, तुमकुरु और मैसूर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हुए.

डीके शिवकुमार ने प्रदर्शन का किया नेतृत्व
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राज्य कैबिनेट के कई मंत्रियों के साथ बेंगलुरु के 'फ्रीडम पार्क' में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल बिना किसी कारण के मामला बना रहे हैं. यह लोकतंत्र की हत्या है और हम इसका विरोध करेंगे.

विधानसभा परिसर में भाजपा का धरना
भाजपा ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक के नेतृत्व में 'विधानसभा' के परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की. भाजपा नेताओं ने कहा कि सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है और उन्हें पारदर्शी और निष्पक्ष जांच का रास्ता बनाने के लिए इस्तीफा दे देना चाहिए. पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा भी धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- क्या है MUDA घोटाला? मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? जानें सबकुछ

Last Updated : Aug 19, 2024, 6:27 PM IST
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