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'रामैया' से रामोजी राव बनने तक का सफर, जानें कैसे खड़ा किया इतना बड़ा साम्राज्य - Ramoji Rao

Ramoji Rao: रामोजी राव का जन्म गुडीवाड़ा के पास एक हरे-भरे गांव पेडापरुपुडी में हुआ था. उनके दादा उनका नाम रामैया रखा था. रामोजी राव ने जिस भी क्षेत्र में कदम रखा, वहां अपनी अमिट छाप छोड़ी.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 8, 2024, 1:34 PM IST

हैदराबाद: एक किसान परिवार में जन्मे रामोजी राव अपनी कड़ी मेहनत और लगन के चलते एक सफल कारोबारी बने. इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया के क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित किया. एक शानदार फिल्म सिटी की स्थापना भी की. इसके लिए उन्होंने दशकों तक अथक मेहनत की.

रामोजी राव में लगातार कड़ी मेहनत करने, हमेशा कुछ नया करने की चाहत, ईमानदारी से व्यापार, जन्मभूमि और आस-पास के समाज के लिए कुछ अच्छा करने का दृढ़ निश्चय और अटूट आत्मविश्वास समाहित थे. उन्होंने पसीने की एक-एक बूंद बहा कर और दिन-रात काम करके रामोजी ग्रुप जैसा बड़ा साम्राज्य खड़ा किया.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

रामोजी राव ने जिस भी क्षेत्र में कदम रखा, वहां अपनी अमिट छाप छोड़ी. मूल्यों की नींव पर बने विजय पथ पर वह लगातार आगे बढ़ते रहे. उन्होंने नए लक्ष्य हासिल करने के लिए कई कदम उठाए. मीडिया कंपनी के प्रमुख के रूप में वे जनहित के लिए खड़े रहे.

मातृभाषा के संरक्षण के लिए किया काम
उन्होंने मातृभाषा के संरक्षण के लिए भी काम किया. उन्हें 'दीपिका' जैसी फिल्मों के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है. उनके बनाए फिल्म सिटी में आज लगभग 25 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं. साथ ही करीब एक लाख लोगों को इसका अप्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है.

'ईनाडु' तेलुगु भाषित राज्यों की सड़कों पर 'रोशनी' तरह चमकता है. वहीं, उनका 'ईटीवी' मनोरंजन से भरपूर है, जो पल-पल का आनंद प्रदान करता है. दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म प्रोडक्शन कॉम्पलैक्स 'रामोजी फिल्मसिटी' पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है. ये सभी रामोजी राव के विचारों की देन है.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

रामैया से रामोजी तक का सफर
16 नवंबर 1936 को रामैया (रामोजी राव) का जन्म आंध्र प्रदेश के गुडीवाड़ा के पास एक हरे-भरे गांव पेडापरुपुडी में हुआ था. उनके दादा ने उनका नाम रामैया रखा, लेकिन रामैया ने अपना नाम बदलकर रामोजी राव रख लिया. कहा जाता है किसी कारणवश रामोजी राव को अपना नाम रामैया पसंद नहीं था और उन्होंने प्राइमरी स्कूल में एडमिशन के समय खुद ही अपना नाम 'रामोजी राव' रख लिया और यही नाम जीवन भर चला. रामोजी राव को महात्मा गांधी के सिद्धांतों और दलित उत्थान के प्रति असीम लगाव था.

1961 में रामोजी राव ने शादी की
अपनी डिग्री पूरी करने के बाद रामोजी को नौकरी के आवेदनों में निराशा हाथ लगी. अंततः उन्होंने दिल्ली में एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी कर ली. इसके बाद उन्हें विदेश में नौकरी के अवसर मिले, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना चुना. अगस्त 1961 में रामोजी ने रमादेवी से विवाह किया और दिल्ली चले गए, जहां उन्होंने एक कलाकार के रूप में अपने कौशल को निखारा. दूसरों की भलाई करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और बिजनेस के मौदन में उतर गए.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

'मार्गदर्शक' से सफलता तक
रामोजी का व्यवसायिक सफर 1962 में मार्गदर्शी चिटफंड्स से शुरू हुआ, जिसमें विश्वास और विश्वसनीयता पर जोर दिया गया. शुरुआती संदेह के बावजूद, उनकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी ने कंपनी की सफलता का निर्माण किया. आज पूरे देश में इस चिटफंड की मिसाल दी जाती है.

अन्नदाता पत्रिका शुरू की
रामोजी की अपनी जड़ों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें 1969 में अन्नदाता पत्रिका शुरू करने के लिए प्रेरित किया, जिसने कृषि विज्ञान केंद्रों और किसानों के बीच की खाई को पाट दिया. इसके बाद 'ईनाडु' ने अपने अभिनव दृष्टिकोण के साथ तेलुगु पत्रकारिता में क्रांति ला दी. उन्होंने घर-घर जाकर समाचार पत्र पहुंचाने और स्थानीय समाचारों के साथ पाठकों को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई.

द अल्टीमेट टेस्ट-प्रिया
रामोजी ने प्रिया फूड्स के साथ फूड इंडस्ट्री और डॉल्फिन होटल्स का विस्तार किया और हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड स्थापित किए. रामोजी ने ईटीवी के साथ टेलीविजन के अनुभव को बदल दिया. इसके जरिए उन्होंने क्षेत्रीय कंटेंट लोगों के सामने पेश किया और मनोरंजन और सूचना प्रसार में नए मानक स्थापित किए.

ई एफएम- योर एफएम
रामोजी ने रेडियो और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में भी हाथ आजामाए और आकर्षक कंटेंट पेश किया. इस दौरान उन्होंने अपने मीडिया साम्राज्य का भी विस्तार जारी रखा. उषाकिरण मूवीज और रामोजी फिल्म सिटी के जरिए उन्होंने सिनेमा पर उनकी छाप ने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.

रामोजी फिल्म सिटी
रामोजी के रामोजी फिल्म सिटी के सपने ने हैदराबाद को वैश्विक फिल्म निर्माण केंद्र में बदल दिया. इतना ही नहीं यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बन गया. तेलुगु भाषा को संरक्षित करने उन्होंने तेलुगु वेलुगु और बालभारत जैसी पहल शुरू की. इनके माध्यम से भावी पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए रामोजी के प्रयास सराहनीय हैं. उन्हें पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जो मीडिया और समाज में उनके असाधारण योगदान को दर्शाते हैं.

यह भी पढ़ें- इंग्लिश के बढ़ते चलन के बीच रामोजी राव ने क्षेत्रीय मीडिया को दी नई जिंदगी

हैदराबाद: एक किसान परिवार में जन्मे रामोजी राव अपनी कड़ी मेहनत और लगन के चलते एक सफल कारोबारी बने. इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया के क्षेत्र में अपना साम्राज्य स्थापित किया. एक शानदार फिल्म सिटी की स्थापना भी की. इसके लिए उन्होंने दशकों तक अथक मेहनत की.

रामोजी राव में लगातार कड़ी मेहनत करने, हमेशा कुछ नया करने की चाहत, ईमानदारी से व्यापार, जन्मभूमि और आस-पास के समाज के लिए कुछ अच्छा करने का दृढ़ निश्चय और अटूट आत्मविश्वास समाहित थे. उन्होंने पसीने की एक-एक बूंद बहा कर और दिन-रात काम करके रामोजी ग्रुप जैसा बड़ा साम्राज्य खड़ा किया.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

रामोजी राव ने जिस भी क्षेत्र में कदम रखा, वहां अपनी अमिट छाप छोड़ी. मूल्यों की नींव पर बने विजय पथ पर वह लगातार आगे बढ़ते रहे. उन्होंने नए लक्ष्य हासिल करने के लिए कई कदम उठाए. मीडिया कंपनी के प्रमुख के रूप में वे जनहित के लिए खड़े रहे.

मातृभाषा के संरक्षण के लिए किया काम
उन्होंने मातृभाषा के संरक्षण के लिए भी काम किया. उन्हें 'दीपिका' जैसी फिल्मों के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है. उनके बनाए फिल्म सिटी में आज लगभग 25 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं. साथ ही करीब एक लाख लोगों को इसका अप्रत्यक्ष लाभ भी मिलता है.

'ईनाडु' तेलुगु भाषित राज्यों की सड़कों पर 'रोशनी' तरह चमकता है. वहीं, उनका 'ईटीवी' मनोरंजन से भरपूर है, जो पल-पल का आनंद प्रदान करता है. दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म प्रोडक्शन कॉम्पलैक्स 'रामोजी फिल्मसिटी' पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है. ये सभी रामोजी राव के विचारों की देन है.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

रामैया से रामोजी तक का सफर
16 नवंबर 1936 को रामैया (रामोजी राव) का जन्म आंध्र प्रदेश के गुडीवाड़ा के पास एक हरे-भरे गांव पेडापरुपुडी में हुआ था. उनके दादा ने उनका नाम रामैया रखा, लेकिन रामैया ने अपना नाम बदलकर रामोजी राव रख लिया. कहा जाता है किसी कारणवश रामोजी राव को अपना नाम रामैया पसंद नहीं था और उन्होंने प्राइमरी स्कूल में एडमिशन के समय खुद ही अपना नाम 'रामोजी राव' रख लिया और यही नाम जीवन भर चला. रामोजी राव को महात्मा गांधी के सिद्धांतों और दलित उत्थान के प्रति असीम लगाव था.

1961 में रामोजी राव ने शादी की
अपनी डिग्री पूरी करने के बाद रामोजी को नौकरी के आवेदनों में निराशा हाथ लगी. अंततः उन्होंने दिल्ली में एक विज्ञापन कंपनी में नौकरी कर ली. इसके बाद उन्हें विदेश में नौकरी के अवसर मिले, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहना चुना. अगस्त 1961 में रामोजी ने रमादेवी से विवाह किया और दिल्ली चले गए, जहां उन्होंने एक कलाकार के रूप में अपने कौशल को निखारा. दूसरों की भलाई करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और बिजनेस के मौदन में उतर गए.

Ramoji Rao
रामोजी राव (ETV Bharat)

'मार्गदर्शक' से सफलता तक
रामोजी का व्यवसायिक सफर 1962 में मार्गदर्शी चिटफंड्स से शुरू हुआ, जिसमें विश्वास और विश्वसनीयता पर जोर दिया गया. शुरुआती संदेह के बावजूद, उनकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी ने कंपनी की सफलता का निर्माण किया. आज पूरे देश में इस चिटफंड की मिसाल दी जाती है.

अन्नदाता पत्रिका शुरू की
रामोजी की अपनी जड़ों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें 1969 में अन्नदाता पत्रिका शुरू करने के लिए प्रेरित किया, जिसने कृषि विज्ञान केंद्रों और किसानों के बीच की खाई को पाट दिया. इसके बाद 'ईनाडु' ने अपने अभिनव दृष्टिकोण के साथ तेलुगु पत्रकारिता में क्रांति ला दी. उन्होंने घर-घर जाकर समाचार पत्र पहुंचाने और स्थानीय समाचारों के साथ पाठकों को सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई.

द अल्टीमेट टेस्ट-प्रिया
रामोजी ने प्रिया फूड्स के साथ फूड इंडस्ट्री और डॉल्फिन होटल्स का विस्तार किया और हाई क्वालिटी स्टैंडर्ड स्थापित किए. रामोजी ने ईटीवी के साथ टेलीविजन के अनुभव को बदल दिया. इसके जरिए उन्होंने क्षेत्रीय कंटेंट लोगों के सामने पेश किया और मनोरंजन और सूचना प्रसार में नए मानक स्थापित किए.

ई एफएम- योर एफएम
रामोजी ने रेडियो और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में भी हाथ आजामाए और आकर्षक कंटेंट पेश किया. इस दौरान उन्होंने अपने मीडिया साम्राज्य का भी विस्तार जारी रखा. उषाकिरण मूवीज और रामोजी फिल्म सिटी के जरिए उन्होंने सिनेमा पर उनकी छाप ने भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया.

रामोजी फिल्म सिटी
रामोजी के रामोजी फिल्म सिटी के सपने ने हैदराबाद को वैश्विक फिल्म निर्माण केंद्र में बदल दिया. इतना ही नहीं यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बन गया. तेलुगु भाषा को संरक्षित करने उन्होंने तेलुगु वेलुगु और बालभारत जैसी पहल शुरू की. इनके माध्यम से भावी पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए रामोजी के प्रयास सराहनीय हैं. उन्हें पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जो मीडिया और समाज में उनके असाधारण योगदान को दर्शाते हैं.

यह भी पढ़ें- इंग्लिश के बढ़ते चलन के बीच रामोजी राव ने क्षेत्रीय मीडिया को दी नई जिंदगी

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