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जम्मू कश्मीर में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दें: HC - Jammu and Kashmir and Ladakh Hc

Jammu and Kashmir and Ladakh Hc, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में बाल संरक्षण आयोग के गठन के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

Jammu-Kashmir and Ladakh High Court
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 21, 2024, 1:37 PM IST

Updated : Aug 21, 2024, 2:09 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को क्षेत्र में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन के लिए उठाए गए कदमों के बारे चार सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया है. बता दें कि यहां पर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से आयोग निष्क्रिय है. हाई कोर्ट ने उक्त निर्देश एक स्थिति रिपोर्ट की समीक्षा के बाद लिया, जिसमें प्रमुख आयोग पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी की वजह से देरी होने का हवाला दिया गया था.

इस संबंध में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति मोक्ष खजूरिया काजमी की खंडपीठ ने आयोग के गठन में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाली जनहित याचिका के जवाब में यह निर्देश जारी किया. वहीं इस बारे में रिपोर्ट से पता चला है कि समिति की अगस्त 2023 में दो बैठकें हुई थीं, लेकिन पात्र उम्मीदवारों की कमी की वजह से आयोग के गठन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि समिति ने पात्रता मानदंड और नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की सिफारिश की है, जो संबंघित प्राधिकारी से अनुमोदन की प्रतीक्षा में है.

गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने सरकार को 24 जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. ऐसे में सरकार यदि समय सीमा में रिपोर्ट नहीं देती तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना पड़ता.

पॉक्सो (POCSO) अधिनियम और बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत बाल अधिकारों की शिकायतों और उल्लंघनों के समाधान के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग जरूरी है. इस साल की शुरुआत में, कोर्ट ने आयोग की भूमिका के महत्व पर जोर देने के साथ ही अधिकारियों को इसकी स्थापना के बारे में अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया था. हालांकि आयोग के गठन में देरी से चिताएं पैदा होगी हैं. इससे पहले जून 2023 में प्रशासन ने एक अध्यक्ष और छह सदस्यों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया था, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हुई है. हालांकि नियुक्तियों की निगरानी के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में और समाज कल्याण और कानून विभागों के प्रशासनिक सचिवों सहित तीन सदस्यीय चयन पैनल बनाया गया था.

एक हालिया आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'जम्मू और कश्मीर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक अध्यक्ष और छह सदस्यों की नियुक्ति के लिए समाज कल्याण विभाग, जम्मू और कश्मीर द्वारा पृष्ठांकन संख्या SWD-ICPS/55/2021 दिनांक 15.6.2023 के तहत जारी सार्वजनिक नोटिस के साथ पठित पृष्ठांकन संख्या SWD-ICPS/55/2021, दिनांक 15.6.2023 के तहत जारी विज्ञापन नोटिस को प्रारंभ से वापस लिया जाता है.'

ये भी पढ़ें- 'हाईकोर्ट का अपने अधिकार का प्रयोग न करना सही नहीं', आयकर मामले में कांग्रेस की याचिका पर SC की टिप्पणी

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को क्षेत्र में बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन के लिए उठाए गए कदमों के बारे चार सप्ताह के भीतर रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया है. बता दें कि यहां पर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से आयोग निष्क्रिय है. हाई कोर्ट ने उक्त निर्देश एक स्थिति रिपोर्ट की समीक्षा के बाद लिया, जिसमें प्रमुख आयोग पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों की कमी की वजह से देरी होने का हवाला दिया गया था.

इस संबंध में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति मोक्ष खजूरिया काजमी की खंडपीठ ने आयोग के गठन में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाली जनहित याचिका के जवाब में यह निर्देश जारी किया. वहीं इस बारे में रिपोर्ट से पता चला है कि समिति की अगस्त 2023 में दो बैठकें हुई थीं, लेकिन पात्र उम्मीदवारों की कमी की वजह से आयोग के गठन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि समिति ने पात्रता मानदंड और नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की सिफारिश की है, जो संबंघित प्राधिकारी से अनुमोदन की प्रतीक्षा में है.

गौरतलब है कि इससे पहले कोर्ट ने सरकार को 24 जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था. ऐसे में सरकार यदि समय सीमा में रिपोर्ट नहीं देती तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना पड़ता.

पॉक्सो (POCSO) अधिनियम और बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत बाल अधिकारों की शिकायतों और उल्लंघनों के समाधान के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग जरूरी है. इस साल की शुरुआत में, कोर्ट ने आयोग की भूमिका के महत्व पर जोर देने के साथ ही अधिकारियों को इसकी स्थापना के बारे में अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया था. हालांकि आयोग के गठन में देरी से चिताएं पैदा होगी हैं. इससे पहले जून 2023 में प्रशासन ने एक अध्यक्ष और छह सदस्यों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया था, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी हुई है. हालांकि नियुक्तियों की निगरानी के लिए मुख्य सचिव के नेतृत्व में और समाज कल्याण और कानून विभागों के प्रशासनिक सचिवों सहित तीन सदस्यीय चयन पैनल बनाया गया था.

एक हालिया आधिकारिक नोटिस में कहा गया है, 'जम्मू और कश्मीर बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक अध्यक्ष और छह सदस्यों की नियुक्ति के लिए समाज कल्याण विभाग, जम्मू और कश्मीर द्वारा पृष्ठांकन संख्या SWD-ICPS/55/2021 दिनांक 15.6.2023 के तहत जारी सार्वजनिक नोटिस के साथ पठित पृष्ठांकन संख्या SWD-ICPS/55/2021, दिनांक 15.6.2023 के तहत जारी विज्ञापन नोटिस को प्रारंभ से वापस लिया जाता है.'

ये भी पढ़ें- 'हाईकोर्ट का अपने अधिकार का प्रयोग न करना सही नहीं', आयकर मामले में कांग्रेस की याचिका पर SC की टिप्पणी

Last Updated : Aug 21, 2024, 2:09 PM IST
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