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मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की स्थिति को लेकर भारत के समक्ष चिंता जताई: जयशंकर - Jaishankar Voice of global summit

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 18, 2024, 6:53 AM IST

Jaishankar Voices Global South Summit: बांग्लादेश के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने ग्लोबल साउथ समिट में देश के हालात पर चर्चा की. उन्होंने देश के विकास से जुड़े कई अहम मुद्दों पर भारत के साथ चर्चा की. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश के नए प्रमुख ने ढाका की स्थिति को लेकर भारत के समक्ष चिंता जताई है. बांग्लादेश के नए प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को वर्चुअल प्रारूप में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में भाग लिया.

यह पूछे जाने पर कि क्या वॉयस ऑफ ग्लोबल समिट में बांग्लादेश की स्थिति पर चर्चा हुई, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'नए मुख्य सलाहकार ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी भू-राजनीतिक चुनौतियों को बहुत बड़ी चिंता बताया. उन्होंने बांग्लादेश की स्थिति के बारे में बात की. कई अन्य नेताओं ने भी वैश्विक मुद्दों पर टिप्पणी करने के अलावा राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा की.'

ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने नई अंतरिम सरकार के साथ वर्तमान परिदृश्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों पर टिप्पणी करने से परहेज किया. बांग्लादेश के नए प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार समावेशी और बहुलवादी लोकतंत्र में परिवर्तन सुनिश्चित करने और ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें स्वतंत्र, निष्पक्ष और भागीदारीपूर्ण चुनाव हो सके.

उन्होंने अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल और 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, 'आप सभी जानते हैं कि बांग्लादेश ने 5 अगस्त 2024 को एक 'दूसरी क्रांति' देखी, जो हमारे बहादुर छात्रों के नेतृत्व में और आम जनता के साथ मिलकर एक बड़े विद्रोह के माध्यम से हुई.'

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई देशों ने नेता शामिल हुए. इसमें प्रमुख रूप से बांग्लादेश, बेलारूस, भूटान, चिली, अल साल्वाडोर, इथियोपिया, फिजी, ग्रेनेडा, गुयाना, लाओ पीडीआर, मार्शल द्वीप, मॉरीशस, मंगोलिया, नेपाल, ओमान, श्रीलंका, सूरीनाम, ताजिकिस्तान, तिमोर लेस्ते, उरुग्वे, वियतनाम के नेता शामिल हुए. विदेश मंत्री जयशंकर ने बहुपक्षवाद में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

भारत द्वारा आयोजित तीसरे वर्चुअल वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान, मंत्री ने कहा, 'यदि हमें इसकी विश्वसनीयता को पुनर्जीवित करना है तो बहुपक्षवाद में सुधार की सख्त आवश्यकता है. कोई भी राष्ट्र वास्तव में इस आकलन से असहमत नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र के संबंध में इसे आगे बढ़ाने में असमर्थता हमें प्रत्येक बीतते दिन के साथ अधिक महंगी पड़ रही है.'

उन्होंने कहा, 'हमें इस संबंध में अधिक सक्रिय और इच्छुक संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए. उदाहरण के लिए भारत इंडिया स्टैक और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर समाधान साझा कर रहा है और लगभग 80 देशों में विकास परियोजनाएं चला रहा है. इनमें से कई अनुदान के रूप में हैं. आपको कोविड-19 महामारी के दौरान लगभग 100 देशों को टीकों के हमारे योगदान को याद होगा.'

वित्तीय प्रतिबंधों के बढ़ते उपयोग का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा, 'हम सभी ने अनुभव किया है कि किस प्रकार हमारी जोखिम और कमजोरियों का लाभ उठाया जाता है. साथ ही प्रतिबंधों का उपयोग भी बढ़ रहा है, विशेष रूप से वित्तीय. यह तब तक जारी रहेगा जब तक हम अन्य विकल्प विकसित नहीं कर लेते हैं.' उन्होंने कहा, 'ग्लोबल साउथ में हमारे लिए सबक यह है कि हम अपनी खुद की बातचीत को और तेज करें. इसका मतलब है अधिक व्यापार, निवेश, सहयोग, प्रशिक्षण व अन्य पर जोर दें.

ये भी पढ़ें- वैश्विक गंभीर चुनौतियों में भी बहुपक्षीय संस्थानों से नहीं निकला समाधान : जयशंकर

नई दिल्ली: विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश के नए प्रमुख ने ढाका की स्थिति को लेकर भारत के समक्ष चिंता जताई है. बांग्लादेश के नए प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को वर्चुअल प्रारूप में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में भाग लिया.

यह पूछे जाने पर कि क्या वॉयस ऑफ ग्लोबल समिट में बांग्लादेश की स्थिति पर चर्चा हुई, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'नए मुख्य सलाहकार ने जलवायु परिवर्तन से जुड़ी भू-राजनीतिक चुनौतियों को बहुत बड़ी चिंता बताया. उन्होंने बांग्लादेश की स्थिति के बारे में बात की. कई अन्य नेताओं ने भी वैश्विक मुद्दों पर टिप्पणी करने के अलावा राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा की.'

ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में विदेश मंत्री ने नई अंतरिम सरकार के साथ वर्तमान परिदृश्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों पर टिप्पणी करने से परहेज किया. बांग्लादेश के नए प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार समावेशी और बहुलवादी लोकतंत्र में परिवर्तन सुनिश्चित करने और ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें स्वतंत्र, निष्पक्ष और भागीदारीपूर्ण चुनाव हो सके.

उन्होंने अपने देश में राजनीतिक उथल-पुथल और 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, 'आप सभी जानते हैं कि बांग्लादेश ने 5 अगस्त 2024 को एक 'दूसरी क्रांति' देखी, जो हमारे बहादुर छात्रों के नेतृत्व में और आम जनता के साथ मिलकर एक बड़े विद्रोह के माध्यम से हुई.'

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में प्रधानमंत्री मोदी के साथ कई देशों ने नेता शामिल हुए. इसमें प्रमुख रूप से बांग्लादेश, बेलारूस, भूटान, चिली, अल साल्वाडोर, इथियोपिया, फिजी, ग्रेनेडा, गुयाना, लाओ पीडीआर, मार्शल द्वीप, मॉरीशस, मंगोलिया, नेपाल, ओमान, श्रीलंका, सूरीनाम, ताजिकिस्तान, तिमोर लेस्ते, उरुग्वे, वियतनाम के नेता शामिल हुए. विदेश मंत्री जयशंकर ने बहुपक्षवाद में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया.

भारत द्वारा आयोजित तीसरे वर्चुअल वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान, मंत्री ने कहा, 'यदि हमें इसकी विश्वसनीयता को पुनर्जीवित करना है तो बहुपक्षवाद में सुधार की सख्त आवश्यकता है. कोई भी राष्ट्र वास्तव में इस आकलन से असहमत नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र के संबंध में इसे आगे बढ़ाने में असमर्थता हमें प्रत्येक बीतते दिन के साथ अधिक महंगी पड़ रही है.'

उन्होंने कहा, 'हमें इस संबंध में अधिक सक्रिय और इच्छुक संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहिए. उदाहरण के लिए भारत इंडिया स्टैक और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर समाधान साझा कर रहा है और लगभग 80 देशों में विकास परियोजनाएं चला रहा है. इनमें से कई अनुदान के रूप में हैं. आपको कोविड-19 महामारी के दौरान लगभग 100 देशों को टीकों के हमारे योगदान को याद होगा.'

वित्तीय प्रतिबंधों के बढ़ते उपयोग का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा, 'हम सभी ने अनुभव किया है कि किस प्रकार हमारी जोखिम और कमजोरियों का लाभ उठाया जाता है. साथ ही प्रतिबंधों का उपयोग भी बढ़ रहा है, विशेष रूप से वित्तीय. यह तब तक जारी रहेगा जब तक हम अन्य विकल्प विकसित नहीं कर लेते हैं.' उन्होंने कहा, 'ग्लोबल साउथ में हमारे लिए सबक यह है कि हम अपनी खुद की बातचीत को और तेज करें. इसका मतलब है अधिक व्यापार, निवेश, सहयोग, प्रशिक्षण व अन्य पर जोर दें.

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