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जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट 'होम डिटेंशन' पर मीरवाइज उमर फारूक की याचिका पर 14 मार्च को करेगा सुनवाई - मीरवाइज उमर फारूक

Mirwaiz Umar Farooq's Petition : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालयऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर 14 मार्च को सुनवाई करेगा . पढ़ें पूरी खबर...

Mirwaiz Umar Farooq's Petition
मीरवाइज उमर फारूक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 6, 2024, 12:49 PM IST

Updated : Mar 6, 2024, 10:52 PM IST

श्रीनगर: ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मौलवी मीरवाइज उमर फारूक द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय बुधवार को सुनवाई कर सका. कोर्ट ने कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 14 मार्च 2024 तय की है. मामले में सुनवाई पर अधिवक्ता एन.ए. रोंगा ने कहा कि आज समय की कमी के कारण न्यायमूर्ति रजनेश ओसवाल की अदालत तक नहीं पहुंच सका. कोर्ट ने अब मामले की अगली तारीख 14 मार्च तय की है.

बता दें, उनकी तरफ से दायर याचिका में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और दो केंद्र शासित प्रदेशों -जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजन के बाद अगस्त 2019 से मीरवाइज को 'अवैध और अनधिकृत हिरासत' से रिहा करने की मांग की गई है.

अदालत ने 21 फरवरी को उपराज्यपाल प्रशासन को अपना जवाब दाखिल करने और 50 वर्षीय मौलवी को श्रीनगर में 'हाउस अरेस्ट' के तहत रखने के पीछे के कारणों के बारे में विस्तार से बताने के लिए 'अंतिम और अंतिम अवसर' दिया.

बता दें, पिछले साल सितंबर में फारूक ने अपने कानूनी सहयोगी के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया और जम्मू-कश्मीर अधिकारियों को 'अवैध और अनधिकृत हिरासत से' रिहा करने का आदेश या निर्देश देने की मांग की. याचिका में दावा किया गया है कि अगस्त 2019 से जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया था, फारूक को श्रीनगर में उनके निगीन आवास पर बिना किसी आदेश या कानूनी अधिकार के हिरासत में रखा गया है या नजरबंद रखा गया है.

याचिका के तुरंत बाद फारूक को सितंबर में तीन सप्ताह के लिए जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज में शामिल होने की अनुमति दी गई. हालांकि, पिछले साल 7 अक्टूबर को इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध छिड़ने के तुरंत बाद फारूक को फिर से मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं दी गई. सुरक्षा एजेंसियों ने मस्जिद से फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन की आशंका जताई थी.

फारूक द्वारा दिए गए बयानों के विपरीत जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि मौलवी जहां चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि, फारूक ने याचिका में उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयानों को गलत सूचना बताया. याचिका में कहा गया है कि घर में नजरबंदी ने पूरे परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और इसपर अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि इस तरह की गैरकानूनी कैद से मीरवाइज की आजीविका पर भी सीधा असर पड़ा है.

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बता दें, उनकी तरफ से दायर याचिका में जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और दो केंद्र शासित प्रदेशों -जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजन के बाद अगस्त 2019 से मीरवाइज को 'अवैध और अनधिकृत हिरासत' से रिहा करने की मांग की गई है.

अदालत ने 21 फरवरी को उपराज्यपाल प्रशासन को अपना जवाब दाखिल करने और 50 वर्षीय मौलवी को श्रीनगर में 'हाउस अरेस्ट' के तहत रखने के पीछे के कारणों के बारे में विस्तार से बताने के लिए 'अंतिम और अंतिम अवसर' दिया.

बता दें, पिछले साल सितंबर में फारूक ने अपने कानूनी सहयोगी के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाया और जम्मू-कश्मीर अधिकारियों को 'अवैध और अनधिकृत हिरासत से' रिहा करने का आदेश या निर्देश देने की मांग की. याचिका में दावा किया गया है कि अगस्त 2019 से जब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द कर दिया था, फारूक को श्रीनगर में उनके निगीन आवास पर बिना किसी आदेश या कानूनी अधिकार के हिरासत में रखा गया है या नजरबंद रखा गया है.

याचिका के तुरंत बाद फारूक को सितंबर में तीन सप्ताह के लिए जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज में शामिल होने की अनुमति दी गई. हालांकि, पिछले साल 7 अक्टूबर को इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध छिड़ने के तुरंत बाद फारूक को फिर से मस्जिद में जाने की अनुमति नहीं दी गई. सुरक्षा एजेंसियों ने मस्जिद से फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शन की आशंका जताई थी.

फारूक द्वारा दिए गए बयानों के विपरीत जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि मौलवी जहां चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. हालांकि, फारूक ने याचिका में उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयानों को गलत सूचना बताया. याचिका में कहा गया है कि घर में नजरबंदी ने पूरे परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और इसपर अदालत के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है. इसमें कहा गया है कि इस तरह की गैरकानूनी कैद से मीरवाइज की आजीविका पर भी सीधा असर पड़ा है.

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Last Updated : Mar 6, 2024, 10:52 PM IST
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