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गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले में अमेरिका के लिए आसान नहीं होगा विकास यादव का प्रत्यर्पण

-गुरपतवंत सिंह पन्नू मामले में आरोपी विकास यादव का अमेरिका प्रत्यर्पण आसान नहीं है. -आरोपी के खिलाफ सबूतों को लेकर सरकार को करना होगा संतुष्ट

अमेरिका के लिए आसान नहीं विकास यादव का प्रत्यर्पण
अमेरिका के लिए आसान नहीं विकास यादव का प्रत्यर्पण (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक और सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में विकास यादव सहित दो लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने विकास यादव की तलाश शुरू कर दी है. इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि अगर विकास यादव की गिरफ्तारी अमेरिका में होती है तो वहां के कानून के हिसाब से हत्या की साजिश रचने का मुकदमा चलाया जाएगा.

एफबीआई और दिल्ली पुलिस दोनों को है विकास यादव की तलाश

ईटीवी भारत से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने बताया कि विकास यादव के खिलाफ गुरू पतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का केस अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में दर्ज किया गया है. इस मामले और भारत में रोहिणी, दिल्ली निवासी कारोबारी के अपहरण और लूट के मामले में विकास यादव अप्रैल में नियमित जमानत मिलने के बाद से फरार है. ऐसे में एफबीआई और दिल्ली पुलिस दोनों को विकास यादव की तलाश है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह (Etv Bharat)

ये भी पढ़ें: विकास यादव को बीमार बेटी को देखने के लिए 22 अप्रैल को मिली थी जमानत, उसके बाद से है फरार

अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने बताया अगर भारत में गिरफ्तारी होती है तो पहले भारत में दर्ज मामलों में यहां के कानून के हिसाब से केस चलेगा. साथ ही अगर अमेरिका विकास यादव के प्रत्यर्पण की मांग करता है तो उस स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तें लागू होंगी. उन शर्तों में यह चीज शामिल है कि जब तक अमेरिका में दर्ज मामले को लेकर वहां की एजेंसी भारत सरकार को सारे सबूत और दस्तावेज दिखाकर संतुष्ट नहीं कर देती तब तक प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने बताया कि भारत और अमेरिका की बीच जो प्रत्यर्पण संधि है उसमें जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर औऱ बडे़ मामले (किसी राष्ट्राध्यक्ष की हत्या जैसे) में वांछित होता है या किसी मामले में बहुत ही पुख्ता सुबूत अमेरिका भारत सरकार के समक्ष रखता है तब ही प्रत्यर्पण हो सकता है.

प्रत्यर्पण के लिए इंटरपोल को भी करना पड़ता है आश्वस्त
वहीं, अमेरिका के पास विकास यादव के प्रत्यर्पण का दूसरा विकल्प ये है कि अगर अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई इंटरपोल को यह विश्वास दिला देती है कि जिस आरोपित के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है उसके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. और उसका प्रत्यर्पण बहुत जरूरी है तो ऐसे में इंटरपोल सभी देशों के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर संबंधित व्यक्ति के बारे में अनाउंसमेंट और अलर्ट जारी करा देता है. उसके बाद उस व्यक्ति को किसी भी देश में एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया जा सकता है. लेकिन, किसी भी तरह प्रत्यपर्ण होना आसान नहीं है.

ये भी पढ़ें: तिहाड़ जेल में भी बंद था पन्नू मामले में 'वांटेड' विकास यादव, जमानत के बाद कोई सुराग नहीं

नई दिल्ली: खालिस्तान समर्थक और सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में विकास यादव सहित दो लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में अमेरिका की खुफिया एजेंसी एफबीआई ने विकास यादव की तलाश शुरू कर दी है. इस मामले में आगे की कानूनी प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि अगर विकास यादव की गिरफ्तारी अमेरिका में होती है तो वहां के कानून के हिसाब से हत्या की साजिश रचने का मुकदमा चलाया जाएगा.

एफबीआई और दिल्ली पुलिस दोनों को है विकास यादव की तलाश

ईटीवी भारत से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने बताया कि विकास यादव के खिलाफ गुरू पतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का केस अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में दर्ज किया गया है. इस मामले और भारत में रोहिणी, दिल्ली निवासी कारोबारी के अपहरण और लूट के मामले में विकास यादव अप्रैल में नियमित जमानत मिलने के बाद से फरार है. ऐसे में एफबीआई और दिल्ली पुलिस दोनों को विकास यादव की तलाश है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह (Etv Bharat)

ये भी पढ़ें: विकास यादव को बीमार बेटी को देखने के लिए 22 अप्रैल को मिली थी जमानत, उसके बाद से है फरार

अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह ने बताया अगर भारत में गिरफ्तारी होती है तो पहले भारत में दर्ज मामलों में यहां के कानून के हिसाब से केस चलेगा. साथ ही अगर अमेरिका विकास यादव के प्रत्यर्पण की मांग करता है तो उस स्थिति में भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि की शर्तें लागू होंगी. उन शर्तों में यह चीज शामिल है कि जब तक अमेरिका में दर्ज मामले को लेकर वहां की एजेंसी भारत सरकार को सारे सबूत और दस्तावेज दिखाकर संतुष्ट नहीं कर देती तब तक प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने बताया कि भारत और अमेरिका की बीच जो प्रत्यर्पण संधि है उसमें जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर औऱ बडे़ मामले (किसी राष्ट्राध्यक्ष की हत्या जैसे) में वांछित होता है या किसी मामले में बहुत ही पुख्ता सुबूत अमेरिका भारत सरकार के समक्ष रखता है तब ही प्रत्यर्पण हो सकता है.

प्रत्यर्पण के लिए इंटरपोल को भी करना पड़ता है आश्वस्त
वहीं, अमेरिका के पास विकास यादव के प्रत्यर्पण का दूसरा विकल्प ये है कि अगर अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई इंटरपोल को यह विश्वास दिला देती है कि जिस आरोपित के प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है उसके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. और उसका प्रत्यर्पण बहुत जरूरी है तो ऐसे में इंटरपोल सभी देशों के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर संबंधित व्यक्ति के बारे में अनाउंसमेंट और अलर्ट जारी करा देता है. उसके बाद उस व्यक्ति को किसी भी देश में एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया जा सकता है. लेकिन, किसी भी तरह प्रत्यपर्ण होना आसान नहीं है.

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