नई दिल्ली: चूंकि केंद्र सरकार 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए तैयार है, भारतीय चिकित्सा संघ ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सभी के लाभ के लिए धारा 26 के तहत प्रावधानों पर एक सर्कुलर जारी करने की अपील की है. आईएमए ने सुझाव दिया है कि कथित चिकित्सा लापरवाही के मामलों को दंड संहिता की धारा 26 के तहत दर्ज किया जाना चाहिए.
BNS की धारा 26 के अनुसार, कोई भी कार्य, जिसका उद्देश्य मृत्यु करना न हो, किसी ऐसे व्यक्ति को होने वाली हानि के कारण अपराध नहीं होता है, जिसके लाभ के लिए वह सद्भावपूर्वक किया गया है, तथा जिसने उस हानि को सहने या उस हानि का जोखिम उठाने के लिए, चाहे वह व्यक्ति हो या निहित, सहमति दी है.
एक शल्य चिकित्सक, यह जानता था कि किसी विशेष शल्यक्रिया से Z की मृत्यु होने की संभावना है, जो पीड़ादायक शिकायत से पीड़ित है, लेकिन Z की मृत्यु का कारण बनने का इरादा नहीं है, तथा Z के लाभ के लिए सद्भावपूर्वक इरादा रखता है. , Z की सहमति से वह सर्जरी करता है. इस केस में A ने कोई अपराध नहीं किया है.
आईएमए अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन ने ईटीवी भारत को बताया कि ने मरीज का इलाज करते समय डॉक्टर की ओर से कोई आपराधिक इरादा नहीं होता है. आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए कोई लापरवाही नहीं है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी संसद में स्वीकार किया है कि इलाज के दौरान मौत हत्या नहीं है . केंद्र सरकार द्वारा लाया गया नया बीएनएस कानून धारा 26 में इस पहलू को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि दुर्लभतम मामलों में, जिन्हें लापरवाही माना जा सकता है, जांच अधिकारी मामले को राय के लिए विशेषज्ञ समिति के पास भेज सकते हैं.
कुछ राज्य सरकारों ने एक परिपत्र जारी कर डीएमओ के अधीन एक जिला स्तरीय निकाय तथा डीएचएस के अधीन एक राज्य स्तरीय अपीलीय निकाय की स्थापना की है. उच्च न्यायालयों ने भी इस प्रक्रिया की वैधता को बरकरार रखा है. आईएमए ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से प्रक्रिया का एक परिपत्र ज्ञापन जारी करने से डॉक्टरों पर लटकी डेमोक्लीज की तलवार हट जाएगी.
बता दें, तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए), 2023, संसद द्वारा 2023 में अपने शीतकालीन सत्र में पारित किए गए. विधेयकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी और पिछले साल 25 दिसंबर को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया.
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