चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के 61वें दीक्षांत समारोह में कुल 2,636 छात्रों ने स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जो शुक्रवार को परिसर में आयोजित किया गया. इस अवसर पर छात्रों को 3,016 डिग्रियां (संयुक्त और दोहरी डिग्रियां सहित) प्रदान की गईं. कुल 444 पीएचडी प्रदान की गईं, जिनमें पीएचडी, विदेशी संस्थानों के साथ संयुक्त डिग्री पीएचडी और दोहरी डिग्री पीएचडी शामिल हैं.
इस अवसर का मुख्य आकर्षण इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ का दीक्षांत समारोह में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त करना था. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि 'आईआईटी चेन्नई से पीएचडी प्राप्त करना मेरे लिए सम्मान की बात है. मैंने 2006 में पंजीकरण कराया था और तब से मैं एक युवा वैज्ञानिक के रूप में इसरो के साथ जीएसएलवी मार्क रॉकेट डिजाइन कार्य में सक्रिय रूप से शामिल था, इसलिए मैं अपनी पीएचडी के लिए अपना शोध कार्य जारी नहीं रख पाया. अब मैंने अपनी पीएचडी पूरी कर ली है और मुझे डॉक्टरेट मिल गई है.'
इस उम्र में भी शोध कैसे किया?: सोमनाथ ने जवाब दिया कि मैंने इसे खुशी-खुशी किया, क्योंकि यह मेरा पसंदीदा क्षेत्र था और मुझे इसमें बहुत रुचि थी और अब यह मेरे काम का हिस्सा है.
शोध किस बारे में है?: पीएसएलवी रॉकेट में उच्च कंपन होता है. इसे नियंत्रित करने से इलेक्ट्रॉनिक सर्किट ठीक से काम करेंगे और अधिक दिनों तक चलेंगे, इसलिए मैंने कंपन आइसोलेटर के शीर्षक के तहत इस पर शोध किया है और इसे पहली बार पीएसएलवी रॉकेट में लागू किया है.'
इसरो की अगली योजना क्या है?: एनजीएलवी (नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल) के डिजाइन का काम चल रहा है. नए अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है और मंजूरी के लिए भेजा गया है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान के अगले वर्जन को बनाने का काम चल रहा है.
आदित्य एल-1 कैसे काम कर रहा है?: सोमनाथ ने ईटीवी भारत को बताया कि आदित्य एल-1 निर्धारित स्थल पर अपना काम अच्छे से कर रहा है और अगले 5 साल तक इस पर लगातार नजर रखी जाएगी.
स्नातक करने वाले छात्रों और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए, वर्ष 2012 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित डॉ. ब्रायन के. कोबिल्का ने कहा कि 'मैं खुद को किसी भी तरह से असाधारण नहीं मानता. आज मेरा करियर इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक औसत व्यक्ति कड़ी मेहनत, दृढ़ता, भाग्य का एक तत्व और परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों से भरपूर मदद सहित कई कारकों के संयोजन से सफलता प्राप्त कर सकता है.'