मुंबई : वर्तमान में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कला, मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प का लोहा मनवा रही हैं. प्लेन उड़ाने से लेकर बस और ऑटो चलाने तक. सरहद में जंग लड़ने से लेकर अंतरिक्ष में परचम लहराने तक. खेल के मैदान से लेकर सौंदर्य प्रतियोगिताओं तक हर क्षेत्र और कला में महिलाएं अब पीछे नहीं रही बल्कि पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही हैं और नए-नए कीर्तीमान स्थापित कर रही हैं. हर साल की तरह इस बार भी विश्वभर में महिला दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर आइए जानते हैं कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में जिन्होंने आध्यात्म को अपने जीवन का मार्ग बनाया, इसके साथ ही इसके ज्ञान से दुनियाभर को रोशन किया.
माता अमृतानंदमयी
परमपावन श्री माता अमृतानंदमयी जिन्हें अक्सर अम्मा के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय हिंदू आध्यात्मिक नेता, गुरु और मानवतावादी हैं. जिन्हें उनके अनुयायियों द्वारा 'गले लगाने वाली संत' के रूप में सम्मानित किया जाता है. वह मल्टी-कैंपस रिसर्च यूनिवर्सिटी अमृता विश्व विद्यापीठम की चांसलर हैं. उनका जन्म 27 सितंबर 1953 हुआ. 2018 में, उन्हें भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान स्वच्छ भारत मिशन में सबसे बड़े योगदान के लिए भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया गया था. वह हिंदू संसद द्वारा विश्वरत्न पुरस्कार पाने वाली पहली महिला हैं.
शिवानी वर्मा
शिवानी वर्मा जिन्हें बीके शिवानी के नाम से जाना जाता है, ब्रह्मा कुमारिस विश्व आध्यात्मिक संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रेरक वक्ता और आध्यात्मिक गुरु हैं. इनका जन्म 31 मई 1972 को पुणे, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था. जब वह बच्ची थीं तब उनके माता-पिता ने ब्रह्माकुमारीज का अनुसरण करना शुरू कर दिया था. उन्होंने 20 की उम्र में ही बैठकों में भाग लेना शुरू कर दिया था. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से पूरी की, जहां वह अकादमिक स्वर्ण पदक विजेता थीं, और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की.
शुरुआत में उन्होंने दिल्ली में ब्रह्माकुमारीज टेलीविजन प्रस्तुतियों के निर्माण में मंच के पीछे काम किया, जहां सीनीयर शिक्षक शिक्षाओं को रिकॉर्ड करते थे उनकी शादी विशाल वर्मा से हुई, जिनके साथ उन्होंने एक सॉफ्टवेयर स्टार्टअप शुरू किया जो 2004 तक चला. बाद में वह ब्रह्माकुमारीज में रहने लगीं, लेकिन उन्होंने शादी नहीं तोड़ी.
जया किशोरी
जया किशोरी ने सात साल की उम्र में ही अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू कर दी थी. बचपन से ही उन्होंने भाग्य में दृढ़ विश्वास विकसित किया और माना कि कुछ भी कभी भी योजनाबद्ध नहीं होता है - यह सब नियति है. आध्यात्मिक वातावरण में पले-बढ़े होने के कारण, किशोरावस्था के उनके वर्ष सर्वशक्तिमान की कहानियों के साथ-साथ उनके परिवार और बड़ों द्वारा सिखाए गए मूल्यों से भरे हुए थे. इससे उनमें अध्यात्म के प्रति जिज्ञासा और प्रेम जागृत हुआ जिसने उन्हें एक आध्यात्मिक वक्ता और प्रेरक प्रशिक्षक बनने के लिए प्रेरित किया.
देवी चित्रलेखा
चित्रलेखा एक लोकप्रिय कथा वाचक और आध्यात्मिक वक्ता हैं इनका जन्म 19 जनवरी 1997 को हरियाणा में हुआ था. चित्रलेखा के परिवार में उनके माता-पिता और एक भाई है, इसके साथ ही वे विवाहित भी हैं. चित्रलेखा ने केवल 4 वर्ष की उम्र में दीक्षा ली वहीं केवल 7 साल की उम्र में उनका कथावाचन का सफर शुरू हुआ था जो अब तक जारी है.