नई दिल्ली: अधिकार एवं जोखिम विश्लेषण समूह (RRAG) ने सोमवार 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर अपनी रिपोर्ट 'भारत के बाघ अभयारण्य: आदिवासी बाहर निकलें, पर्यटकों का स्वागत करें' जारी की. आरआरएजी ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत के बहुचर्चित प्रोजेक्ट टाइगर की वजह से कम से कम 5,50,000 अनुसूचित जनजातियों के लोग और अन्य वनवासी विस्थापित होने वाले हैं. इनमें 2017 तक अधिसूचित 50 बाघ अभयारण्यों से 2,54,794 लोग और 2021 के बाद की अवधि में छह बाघ अभयारण्यों से कम से कम 2,90,000 लोग शामिल हैं.
रिपोर्ट में वन अधिकार अधिनियम का अनुपालन न करने के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा लगाए गए अभियोग को भी उजागर किया गया है, जिसमें आदिवासियों को विस्थापित करने के बाद बाघ अभयारण्यों में बिना सहमति के अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासियों को विस्थापित न करना, अनियंत्रित वाणिज्य, इको-टूरिज्म और रैखिक परियोजना गतिविधियां (Linear Project Activities) शामिल हैं. रैखिक परियोजना गतिविधियों के कारण अधिक बाघों की मृत्यु हो रही है.
अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना में संरक्षित क्षेत्रों और अन्य संरक्षण उपायों से प्रभावित स्वदेशी लोगों पर एशिया अभियान प्रबंधक और रिपोर्ट के सह-लेखक सुहास चकमा ने कहा कि 1973 से 2021 तक 50 टाइगर रिजर्व से विस्थापित करने के लिए 2,54,794 व्यक्तियों की पहचान की गई थी, वहीं 2021 की अवधि से बनाए गए छह टाइगर रिजर्व से कम से कम 2,90,000 लोगों को विस्थापित किया जाना है. इसका मतलब है कि 2021 के बाद की अवधि में प्रति टाइगर रिजर्व विस्थापितों की संख्या में 967 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है.
अधिकार समूह ने ईटीवी भारत को बताया कि 2021 के बाद की अवधि में लगभग 2,90,0000 लोगों के विस्थापित होने की उम्मीद है, जिनमें श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिजर्व, तमिलनाडु (2021) से लगभग 4,000 लोग, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, राजस्थान (2022) से लगभग 1673 परिवारों के लगभग 4,400 व्यक्ति, रानीपुर टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश (2022) से लगभग 45,000 व्यक्ति, दुर्गावती टाइगर रिजर्व, मध्य प्रदेश (2023) के तहत नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य से कम से कम 72,772 व्यक्ति, धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व, राजस्थान (2023) से लगभग 4,000 व्यक्ति और कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, राजस्थान (2023) से लगभग 1,60,000 व्यक्ति शामिल हैं.
सुहास चकमा ने कहा कि किसी क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित करना विस्थापन का साधन बन गया है. पांच टाइगर रिजर्व में कोई बाघ नहीं पाया गया, जिनमें सह्याद्री टाइगर रिजर्व (महाराष्ट्र), सतकोसिया टाइगर रिजर्व (ओडिशा), कामलांग टाइगर रिजर्व (अरुणाचल प्रदेश), कवल टाइगर रिजर्व (तेलंगाना) और डम्पा टाइगर रिजर्व (मिजोरम) शामिल हैं, लेकिन कुल 5,670 आदिवासी परिवार इन पांच टाइगर रिजर्व से विस्थापित हो गए! विस्थापन प्रभावित समुदायों को नष्ट कर देता है और आदिवासी समुदायों को विस्थापित करने का कोई औचित्य नहीं है, जब बाघ ही नहीं हैं, जिनके लिए विस्थापन किया गया था.
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