नई दिल्ली: पिछले कुछ साल से इंडियन-ओशियन क्षेत्र में भारत के रणनीति को काफी बढ़ावा मिला है. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत के लिए हिंद महासागर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल और 95 प्रतिशत व्यापार समुद्र और महासागरों के माध्यम से होता है.
क्षेत्र में चीन का बुनियादी ढांचे में निवेश, बंदरगाहों और सैन्य प्रतिष्ठानों में की गई वृद्धि ने नई दिल्ली को असुरक्षित बना दिया. हालांकि, चीन को दूर रखने के लिए भारत अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है.
भारत ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में कलादान नदी स्थित सिटवे बंदरगाह का पूर्ण नियंत्रण ले लिया है. इसके चलते न केवल भारत-प्रशांत क्षेत्र में देश समुद्री क्षेत्र में मजबूत होगा, बल्कि यह क्षेत्र की भू-राजनीतिक को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल के प्रस्ताव को मंजूरी
खासकर ऐसे समय में जब इंडो-पैसिफिक में चीन अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. गौरतलब है कि ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद केंद्र सरकार ने म्यांमार में पूरे सिटवे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल (IPGL) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
भारत के लिए बंगाल की खाड़ी अहम
इस संबंध में कोलकाता की ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एसोसिएट फेलो और समुद्री अध्ययन की एक्सपर्ट सोहिनी बोस ने ईटीवी भारत से कहा कि सिटवे बंदरगाह के ओपरेशनल राइट्स को सुरक्षित करना भारत की एक्ट ईस्ट नीति को दर्शाता है. इसके जरिए देश आसियान देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है. यह ही कारण है कि भारत के लिए बंगाल की खाड़ी काफी अहम है और यहां का पानी जल में इसके लिए एक प्राइमरी गेटवे है.
सितवे बंदरगाह भारत के लिए महत्वपूर्ण
यह पूछे जाने पर कि सितवे भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है तो बोस ने कहा कि सितवे बंदरगाह भारत के लिए इसलिए अहम है, क्योंकि यह अपनी भूमि से घिरे पूर्वोत्तर राज्यों में विदेशी वाणिज्य बढ़ाने के लिए समुद्र तक एक्सेस प्रदान कर सकता है, जो इसके विकास में मदद करेगा.
उन्होंने समझाया, 'बंदरगाह भारत के पूर्वोत्तर से करीब है. यह कालादान नदी और म्यांमार में चिन राज्य के पलेतवा से भारत के मिजोरम में जोरिनपुई तक एक राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा है. इस प्रकार यह बंदरगाह पूर्वोत्तर से कार्गो के लिए अधिक सुविधाजनक रास्ता प्रदान करता है.'
भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा
बंदरगाह के रणनीतिक महत्व पर टिप्पणी करते हुए बोस ने कहा, "बंगाल की खाड़ी में भारत और चीन के बीच भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा चल रही है. उन्होंने कहा कि सितवे बंदरगाह के ओपरेशनल राइट्स हासिल करना भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत थी, लेकिन म्यांमार में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और अराकान सेना की पालेतवा से इसके अधिग्रहण को देखते हुए इसकी कार्यक्षमता सुनिश्चित करना देश के लिए दोगुना महत्वपूर्ण होगा.
विशेषज्ञ ने कहा कि यह वह स्थान है जहां से सिटवे बंदरगाह को मिजोरम से जोड़ने के लिए एक राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा. हालांकि, यह क्षेत्र बुरी से तरह प्रभावित है. भारत की समुद्री कूटनीति की एक और उपलब्धि यह है कि हाल ही में केरल के विझिंजम बंदरगाह को भारत के ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह के रूप में संचालित करने के लिए सरकार से मंजूरी मिल गई है. यह कार्गो को बड़े जहाजों से छोटे जहाजों में ट्रांसफर करने की अनुमति देगा.