जैसलमेर. भारतीय वायु सेना ने जैसलमेर से लगती चांधन फील्ड फायरिंग रेंज में शनिवार को अपना फायर पॉवर डेमोंस्ट्रेशन किया. वायु शक्ति 2024 में एयरफोर्स के 100 से ज्यादा लड़ाकू विमानों ने अपनी ताकत और आक्रामक क्षमताओं का प्रदर्शन किया. जैसलमेर की चांधन फील्ड फायरिंग रेंज में वायु शक्ति 2024 युद्धाभ्यास की शुरुआत होते ही फील्ड फायरिंग रेंज का नजारा किसी युद्ध के मैदान की तरह ही नजर आ रहा था. इस दौरान चांधन रेंज वायु सेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टर मिसाइलों के जोरदार विस्फोटों और दर्शकों की तालियों से गूंज उठी. इस कार्यक्रम में देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ ही वायु सेनाध्यक्ष और नौ सेनाध्यक्ष भी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे.
'आकाश से बिजली का प्रहार' : वायु शक्ति 2024 युद्धाभ्यास की शुरुआत राष्ट्रगान और वायु वीरों ने चेतक हेलीकॉप्टर से राष्ट्रीय ध्वज और भारतीय वायु सेना का ध्वज लहराकर की गई. इसके बाद राफेल विमान की ओर से सोनिक बूम बनाया गया. निचले स्तर पर उड़ान भर रहे दो जगुआर विमानों ने राफेल का पीछा किया और क्षेत्र की उच्च निष्ठा वाली टोही तस्वीरें लीं. अभ्यास की इस वर्ष की थीम 'आकाश से बिजली का प्रहार' को ध्यान में रखते हुए 120 से अधिक विमानों ने दिन व रात में भी एलएएफ की आक्रामक क्षमताओं का प्रदर्शन किया.
पारंपरिक बम और रॉकेट का उपयोग : राफेल, एसयू-30 एमकेआई, मिग-29, मिराज-2000, तेजस और हॉक सहित भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने घातक सटीकता के साथ जमीन और हवा में दुश्मन के नकली ठिकानों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया. ये हमले कई तरीकों और दिशाओं में किए गए, जिसमें विभिन्न प्रकार के सटीक निर्देशित युद्ध सामग्री के साथ ही पारंपरिक बम और रॉकेट का उपयोग किया गया. आत्मनिर्भर भारत के प्रति एलएएफ की दृढ़ प्रतिबद्धता को बरकरार रखते हुए स्वदेश निर्मित तेजस विमान ने अपनी स्विंग रोल क्षमता का प्रदर्शन किया. साथ ही एक मिसाइल के साथ एक हवाई लक्ष्य को नष्ट कर दिया. इसके बाद बमों के साथ एक जमीनी लक्ष्य पर हमला किया.
नकली दुश्मन रडार साइट नष्ट : लड़ाकू क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और हाल के संघर्षों से सीखे गए सबक को ध्यान में रखते हुए एलएएफ ने एक लंबी दूरी के मानवरहित ड्रोन का भी प्रदर्शन किया. इसने सटीकता के साथ एक नकली दुश्मन रडार साइट को नष्ट कर दिया. इंडियन एयरफोर्स के राफेल ने दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल के साथ एक हवाई लक्ष्य को भी सफलतापूर्वक भेद दिया. परिवहन विमान की ओर से लड़ाकू सहायता अभियानों में सी 17 हेवी लिफ्ट विमान ने कंटेनरीकृत डिलीवरी, सिस्टम ड्रॉप और आईएएफ विशेष बल गरुड़ ले जाने वाले सी-130 जे की ओर से आक्रमण लैंडिंग शामिल थी.
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पहली बार अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर : वहीं, अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर ने पहली बार इस कार्यक्रम में हवा से जमीन पर निर्देशित मिसाइलों के साथ लक्ष्य पर हमला करके अपनी मारक क्षमता का प्रदर्शन किया. जबकि एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने रॉकेट के साथ जमीनी लक्ष्यों पर हमला किया. संयुक्त अभियानों में भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके के हथियारयुक्त संस्करण शामिल थे, जिन्होंने अपने रॉकेट और कुंडा बंदूकों का उपयोग करके नकली दुश्मन के लक्ष्यों को नष्ट कर दिया. एक ओर पहली बार भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टरों ने भारतीय सेना के एम-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपों को अंडरस्लंग मोड में एयरलिफ्ट करके लड़ाकू संपत्तियों की तेजी से तैनाती का प्रदर्शन किया, जिससे जमीन पर नकली दुश्मन के लक्ष्यों को तुरंत नष्ट किया जा सके.
दर्शकों के लिए लाइव स्ट्रीम : जैसे ही सूरज क्षितिज पर डूबा एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की ओर से तैनात गरुड़ ने आतंकवाद विरोधी व उग्रवाद विरोधी अभियानों में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए शहरी हस्तक्षेप चलाया, जिसका उद्देश्य शत्रु तत्वों के ठिकानों को साफ़ करना था. कई हवाई लक्ष्यों को नष्ट करने वाली स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली आकाश और एसएएमए आर मिसाइल प्रणालियों का भी प्रदर्शन किया गया. रात के कार्यक्रमों में पहली बार स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचंड की क्षमताओं को प्रदर्शित किया गया. इसमें इसने रॉकेट से निर्धारित लक्ष्य को निष्क्रिय कर दिया. इसके बाद जगुआर और एसयू-30 एमकेआई ने रात में भारी क्षमता वाले और क्षेत्रीय हथियार गिराए. इससे एलएएफ की रणनीतिक बमबारी क्षमता का प्रदर्शन हुआ. दूर से संचालित विमान ने सभी लक्ष्यों पर बम क्षति का आकलन किया, जिसे संचालन केंद्र और दर्शकों के लिए लाइव स्ट्रीम किया गया.
इस कार्यक्रम में आकाशगंगा टीम की ओर से फ्री फॉल ड्रॉप और रात में सी-130जे की ओर से फ्लेयर डिस्पेंसिंग भी शामिल थी. वहीं, एकजुटता की भावना में तीनों सेनाओं की बैंड ने अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. प्रदर्शन के दौरान दो घंटे की छोटी सी अवधि में दो वर्ग किमी के क्षेत्र में लगभग 50 टन आयुध गिराया गया. इस कार्यक्रम ने वास्तव में भारतीय वायुसेना की आक्रामक मारक क्षमता और सटीक लक्ष्यीकरण क्षमता का प्रदर्शन किया.