सूरत: वो कहते है ना, दिल में अगर कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा आपको आपकी मंजिल पाने से रोक नहीं सकता. कुछ ऐसी ही इच्छाशक्ति और जज्बा देखने को मिला आनंद भालेराव में. दरअसल, आनंद भालेराव सूरत में अंधजन मंडल द्वारा संचालित अंबाबेन मगनलाल अंधजन स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ते हैं. आनंद जन्म से ही दोनों आंखों की समस्या से पीड़ित हैं. जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तब उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ, जिसके बाद उनकी दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली गई. लेकिन आनंद ने हौसला नहीं खोया. यह कमजोरी आनंद के लिए जीवन भर की कमजोरी बन सकती थी, इसलिए दृढ़ निश्चयी आनंद अपने अंधेपन की समस्या को अपने जीवन के आड़े नहीं आने दिया.
अन्य आखों से अंधे छात्रों के विपरीत, आनंद ने टेक्नोलॉजी का उपयोग करके परीक्षा देने का फैसला किया और स्कूल ने उनकी मदद की. दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन एक सामान्य व्यक्ति की तरह आनंद सामान्य कंप्यूटर कीबोर्ड पर तेजी से टाइप कर सकता है. मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले आनंद के पिता मजदूरी करते हैं इसलिए वह अंधजन स्कूल के हॉस्टल में रहकर 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा. किसी पर निर्भर न रहने के इरादे से, आनंद ने बिना किसी सहायक की मदद के बोर्ड परीक्षा 2024 को पास करने के लिए तकनीक की मदद ली.
आनंद ने कहा कि बचपन से ही मैंने तय कर लिया था कि अपनी जिंदगी में आगे बढ़ूंगा लेकिन बिना किसी की मदद लिए. इसी लक्ष्य के साथ मैंने तय किया कि 2024 की बोर्ड परीक्षा में भी मैं बिना किसी हेल्पर के परीक्षा दूंगा. मैंने स्कूल में बनी तकनीक से पढ़ाई शुरू की. परीक्षा की सभी तैयारियां कर ली गई हैं. अब मैं टाइपिंग पर फोकस कर रहा हूं, क्योंकि अगर टाइपिंग स्पीड अच्छी होगी तो मैं सभी सवालों का जवाब समय पर दे पाऊंगा. मेरे पिता नौकरी करते हैं, मैं उनकी जिंदगी में वो रंग भरना चाहता हूं जो आज नहीं है. मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता हूं. मैं अपने इस कदम से मेरे जैसे दूसरे छात्रों को भी प्रेरणा देना चाहता हूं कि जीवन में आगे बढ़ना है लेकिन खुद के दम पर, बिना किसी सहायक के और बिना किसी पर आश्रित हुए.
वहीं, अंधजन स्कूल की प्रिंसिपल मनीषा गज्जर ने बताया कि आनंद ने अपनी पढ़ाई स्कूल में उपलब्ध तकनीक से शुरू की. अब वह अपने उत्तर बिना किसी सहायक के सीधे कंप्यूटर में लिख सकते हैं, इसलिए उन्हें आगामी बोर्ड परीक्षा 2024 में किसी सहायक की आवश्यकता नहीं है. आनंद ने इसका उत्तर स्वयं लिखा. बोर्डेन ने कहा है कि वह इस बार बिना किसी हेल्पर के परीक्षा देंगे, जिसके बाद गुजरात बोर्ड ने उनकी मांग मान ली.
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