हैदराबाद: मस्तिष्क की बीमारी से जूझ एक युवक के परिजनों ने एक प्राइवेट अस्पताल के सामने विरोध प्रदर्शन किया. परिजनों ने आरोप लगाया कि युवक के ब्रेन डेड होने के बाद भी उसके इलाज के नाम पर अस्पताल ने लाखों रुपए वसूल किए. जमीन, घर सब बेचकर इलाज पर खर्च करने के बाद भी मरीज ठीक नहीं हुआ.
स्थानीय पुलिस और पीड़ित के परिवार के सदस्यों के अनुसार सुल्तानपुर के परिगी मंडल के रहने वाले मलैया का बड़ा बेटा डी. विजय कुमार (23) डिग्री की पढ़ाई करता है. परिजनों के अनुसार पिछले दिनों एक स्थानीय डॉक्टर ने उसके सिर में समस्या होने की बात कही. परिवार वालों ने विजयकुमार को 2 अप्रैल को एक न्यूरो अस्पताल में भर्ती करावा दिया.
अस्पताल प्रबंधन ने ब्रेन सर्जरी करने की बात कही और इसके लिए ढाई लाख रुपए लिए. इससे उसकी बीमारी ठीक नहीं हुई. इसके बाद फिर से दो और सर्जरी की गई. परिवार के लोग जब भी उसकी हालत के बारे में पूछताछ करते तो डॉक्टर कहते कि वह धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे. कुछ दिनों के बाद परिजनों को शक हुआ और फिर उसे दूसरे अस्पताल में इलाजे के लिए ले गए.
20 मई को उसे बंजारा हिल्स के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां डॉक्टरों ने बताया कि उसका ब्रेन डेड हो चुका है. मंगलवार को विजय कुमार के परिजनों और ग्रामीणों ने न्यूरो हॉस्पिटल के सामने प्रदर्शन किया. ईटीवी भारत ने अस्पताल के मालिक से इस बारे में बात की. उन्होंने कहा कि जब विजय कुमार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो वह होश में नहीं था. उसे समस्या गंभीर थी. उन्होंने कहा कि सिर का तीन बार ऑपरेशन किया गया और बाकी अंग संक्रमित हो गए इसलिए उसे इतने दिनों तक निगरानी में रखा गया. परिजनों का पैसा ऐठने का आरोप झूठा है.
बेटे को बचाने के लिए बेच दी जमीन और घर: मल्लैया ने कहा, 'मेरा स्वस्थ बेटा डॉक्टरों की लापरवाही का शिकार हो गया. वह वेंटिलेटर पर जीवन और मौत से जूझ रहा है. उन्होंने रोते हुए कहा कि बेटे को बचाने के लिए 12 भैंसें और एक घर बेच दिया. अस्पताल को 25 लाख रुपये का भुगतान किया. उन्होंने अस्पताल स्टाफ पर आरोप लगाया कि बेटे का हालचाल जानने के लिए उन्हें 1500 रुपये प्रतिदिन देना पड़ा.