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22 साल पहले बैंक से की लाखों की लूट, CBI ने इस तरह 'मृत आदमी' को किया गिरफ्तार - Hyderabad Bank Fraud Case

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 6, 2024, 3:38 PM IST

Hyderabad Bank Fraud Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो हैदराबाद स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में पिछले 20 वर्षों से फरार था. पढ़ें पूरी खबर...

Hyderabad Bank Fraud Case
बैंक धोखाधड़ी मामला (IANS)

हैदराबाद: केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI ने बैंक धोखाधड़ी मामले में 20 साल से फरार घोषित अपराधी वी चलपति राव को गिरफ्तार किया है, जिसे कुछ साल पहले यहां की एक अदालत ने मृत घोषित कर दिया था. CBI की ओर से सोमवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि वी चलपति राव बार-बार अपनी पहचान और स्थान बदलकर गिरफ्तारी से बचता रहा. हालांकि अब वह पुलिस की गिरफ्त में है.

बता दें, केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम ने एक मई 2002 को SBI हैदराबाद से 50 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में चलपति राव के खिलाफ केस दर्ज किया था. उस समय आरोपी हैदराबाद में एसबीआई चंदूलाल बिरादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करता था, उस पर आरोप था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के फर्जी कोटेशन और फर्जी वेतन प्रमाण पत्र के आधार पर बैंक से 50 लाख रुपये की ठगी की.

बैंक से धोखाधड़ी मामले को लेकर हैदराबाद सीबीआई विभाग ने 31 दिसंबर, 2004 को आरोप पत्र दायर किया था. तब से लेकर आरोपी लापता है. जिसके बाद उसकी पत्नी ने लापता होने के सात साल बाद उसे मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद साल 2013 में चलपथ राव को मरा हुआ घोषित कर दिया गया था.

जानकारी के मुताबिक, इस दौरान आरोपी लगातार अपने ठिकाने, संपर्क नंबर और पहचान बदलता रहा. हालांकि, सीबीआई ने लगातार सुराग तलाशे और आखिरकार उसे तमिलनाडु के एक गांव से सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार, आरोपी सलेम भाग गया था और 2007 में अपना नाम बदलकर एम. विनीत कुमार नाम से एक महिला से शादी कर ली थी. इसके साथ आधार नंबर भी हासिल कर लिया था. उसकी दूसरी पत्नी के जरिए सीबीआई को जानकारी मिली कि आरोपी अपनी पहली शादी से हुए बेटे के संपर्क में था.

हालांकि, 2014 में वह बिना किसी सूचना के सलेम छोड़कर भोपाल पहुंच गया, जहां उसने लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम किया और फिर उत्तराखंड के रुद्रपुर में शिफ्ट हो गया, जहां उसने एक स्कूल में काम किया. जब टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि वह 2016 में भाग गया था और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में रहने लगा था.

आगे पता चला कि आरोपी ने अपना नाम बदलकर स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ रख लिया था और आधार कार्ड भी बनवा लिया था. दिसंबर 2021 में उसने आश्रम छोड़ दिया, जहां उसने कथित तौर पर आश्रम को 70 लाख रुपये की ठगी की थी। इसके बाद राव विधितात्मानंद तीर्थ के नाम से भरतपुर (राजस्थान) चला गया और इस साल 8 जुलाई तक वहीं रहा था. इसके बाद वह भरतपुर छोड़कर अपने एक शिष्य के पास रहने के लिए तिरुनेलवेली चला गया.

इस दौरान उसने करीब 10 बार संपर्क नंबर बदले और समुद्री रास्ते से श्रीलंका भागने की योजना बना रहा था. आखिरकार उसे 4 अगस्त को तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां वह छिपा हुआ था. उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 16 अगस्त तक रिमांड पर लिया गया है.

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बता दें, केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम ने एक मई 2002 को SBI हैदराबाद से 50 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में चलपति राव के खिलाफ केस दर्ज किया था. उस समय आरोपी हैदराबाद में एसबीआई चंदूलाल बिरादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में काम करता था, उस पर आरोप था कि उसने अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के फर्जी कोटेशन और फर्जी वेतन प्रमाण पत्र के आधार पर बैंक से 50 लाख रुपये की ठगी की.

बैंक से धोखाधड़ी मामले को लेकर हैदराबाद सीबीआई विभाग ने 31 दिसंबर, 2004 को आरोप पत्र दायर किया था. तब से लेकर आरोपी लापता है. जिसके बाद उसकी पत्नी ने लापता होने के सात साल बाद उसे मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद साल 2013 में चलपथ राव को मरा हुआ घोषित कर दिया गया था.

जानकारी के मुताबिक, इस दौरान आरोपी लगातार अपने ठिकाने, संपर्क नंबर और पहचान बदलता रहा. हालांकि, सीबीआई ने लगातार सुराग तलाशे और आखिरकार उसे तमिलनाडु के एक गांव से सोमवार को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआई द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार, आरोपी सलेम भाग गया था और 2007 में अपना नाम बदलकर एम. विनीत कुमार नाम से एक महिला से शादी कर ली थी. इसके साथ आधार नंबर भी हासिल कर लिया था. उसकी दूसरी पत्नी के जरिए सीबीआई को जानकारी मिली कि आरोपी अपनी पहली शादी से हुए बेटे के संपर्क में था.

हालांकि, 2014 में वह बिना किसी सूचना के सलेम छोड़कर भोपाल पहुंच गया, जहां उसने लोन रिकवरी एजेंट के तौर पर काम किया और फिर उत्तराखंड के रुद्रपुर में शिफ्ट हो गया, जहां उसने एक स्कूल में काम किया. जब टीम रुद्रपुर पहुंची तो पता चला कि वह 2016 में भाग गया था और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में रहने लगा था.

आगे पता चला कि आरोपी ने अपना नाम बदलकर स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ रख लिया था और आधार कार्ड भी बनवा लिया था. दिसंबर 2021 में उसने आश्रम छोड़ दिया, जहां उसने कथित तौर पर आश्रम को 70 लाख रुपये की ठगी की थी। इसके बाद राव विधितात्मानंद तीर्थ के नाम से भरतपुर (राजस्थान) चला गया और इस साल 8 जुलाई तक वहीं रहा था. इसके बाद वह भरतपुर छोड़कर अपने एक शिष्य के पास रहने के लिए तिरुनेलवेली चला गया.

इस दौरान उसने करीब 10 बार संपर्क नंबर बदले और समुद्री रास्ते से श्रीलंका भागने की योजना बना रहा था. आखिरकार उसे 4 अगस्त को तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया, जहां वह छिपा हुआ था. उसे स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 16 अगस्त तक रिमांड पर लिया गया है.

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