देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आ रहे हैं. दिल्ली, मुंबई, गुजरात, महाराष्ट्र या फिर देश के किसी भी कोने से अगर आप उच्च हिमालय क्षेत्रों में मौजूद इन चारों धामों के लिए निकल रहे हैं तो आपको कई बातों का विशेष ध्यान रखना होगा. क्योंकि, जिस शहर में आप रहते हैं और जहां आप जा रहे हैं, वहां के मौसम में जमीन आसमान का अंतर मिल सकता है. ऐसे में यहां की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आपको अपना बैकपैक करना होगा.
चारधाम यात्रा के लिए ऐसे करें अपना बैकपैक: उत्तराखंड में ट्रैकिंग और एडवेंचर में लीडिंग संस्था ट्रैक द हिमालय के ऑपरेशन हेड रजत ने चारधाम यात्रा पर आने से पहले यात्री कैसे अपना बैक पैक करें इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चारधाम यात्रा शुरू करने से पहले ये जानना जरूरी है कि चारों धाम हायर हिमालय पर करीब 3 हजार से 3.5 हजार मीटर की ऊंचाई पर हैं. चार धामों में दिन और रात के समय में तापमान में बेहद ज्यादा उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
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उन्होंने बताया कि चारों धामों में केदारनाथ और यमुनोत्री धाम ऐसे हैं, जहां पर आपको पैदल ट्रैक करना पड़ेगा. यमुनोत्री में एक तरफ 5 किलोमीटर यानी टोटल 10 किलोमीटर और केदारनाथ में एक तरफ 16 किलोमीटर यानी की टोटल 32 किलोमीटर का ट्रेक करना पड़ेगा. इसके लिए आपके पास अच्छी ग्रिप वाला एक ट्रेकिंग शूज होना चाहिए. इसके अलावा सॉक्स यानी जुराब भी ऊनी या गर्म होने चाहिए. इसके बाद आपको कोशिश करनी चाहिए कि आप जींस की पैंट में यात्रा न करें. आपके पास लाइट फिट ट्रेकिंग ट्राउजर हो तो वो आपको ज्यादा आराम देगा.
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इसके बाद अप्पर लेयर की बात करें तो आपके पास एक बॉडी वार्मर लोअर और अपर दोनों होने चाहिए. क्योंकि, मैदानी शहरों से ठीक उल्टा ऊंचाई वाले इलाकों में आपको बेहद ठंड का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा आपके पास 3 लेयर में क्लॉथिंग होनी चाहिए, जिसमें से सबसे अंदर बॉडी वार्मर उसके बाद कॉटन टी-शर्ट जो कि आपको लोअर हिमालय जैसे की हरिद्वार, ऋषिकेश और श्रीनगर जैसे गर्म इलाकों में काम आएगी.
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यहां पर दिन के समय काफी गर्मी होती है, लेकिन आपको इसके साथ वूलन जैकेट और एक हैवी जैकेट भी साथ लेकर चलना है. वूलन जैकेट आपको यात्रा रोड पर शाम के समय काम आएगा और जब रात को टेंपरेचर काफी गिर जाता है. वहीं, इसके अलावा जब आप केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम में ट्रेकिंग करेंगे तो उस समय आपकी बॉडी हिट होगी और जब आप धाम पर पहुंचेंगे तो बॉडी अचानक ठंडी होगी.
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ऐसे में आपको हैवी जैकेट पहनना है. यात्रा के दौरान आपको बर्फबारी का सामना भी करना पड़ सकता है. जिसमें हैवी जैकेट आपको गर्म रखेगी. वहीं, हाई एल्टीट्यूड वाले इन धामों में पहुंचने पर आपको टोपी, चश्मा और ग्लव्स भी अपने पास रखते हैं. उनका इस्तेमाल भी करना है. ताकि, ठंड से होने वाली समस्याओं से आप बच सकें और आपकी तबीयत ना बिगड़े.
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खाने की सामग्री और फर्स्ट एड लेकर चले ट्रेकिंग एक्सपर्ट रजत ने बताया कि जिस तरह से यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है और रास्ते में कई घंटे का जाम का सामना भी करना पड़ रहा है. ऐसे में उन्होंने यात्रियों को सुझाव दिया है कि वो अपने बैकपैक में खाने की ऐसी सामग्रियां (जो जल्दी खराब ना हो) उनको जरूर रखें.
उन्होंने कहा कि यात्रा रोड पर ऐसा हो सकता है कि कई किलोमीटर तक आपको कोई रेस्टोरेंट ही ना मिले या फिर खाने की सामग्री न मिले, ऐसे समय में खुद को ऊर्जा देने के लिए आपके पास ड्राई फ्रूट, फल, बिस्किट्स जैसे खाद्य पदार्थ होने चाहिए. ताकि, आप खुद को ऊर्जावान बनाए रख सकें.
बफर डे और बुकिंग कंफर्मेशन का ध्यान रखें: ट्रेकिंग एक्सपर्ट रजत का कहना है कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर जिस तरह से हर साल यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में यात्रियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि आपको इंतजार भी करना पड़ सकता है. इसका कारण सड़कों पर लगने वाला जाम भी हो सकता है या फिर अन्य कोई भी समस्या हो सकती है. ऐसे में यात्रा के लिए आपको दो से तीन दिन के बफर डे लेकर चलना होगा.
यात्रा शुरू करने से पहले आपको इस बात का ध्यान रखना है कि जरूरी है कि जितने दिन की प्लानिंग के साथ आप यात्रा करने के लिए निकले हैं, उतने ही दिन में यात्रा पूरी हो जाए. इसके अलावा जिस भी तरह की आपने ऑनलाइन बुकिंग की है, जिस भी होटल की बुकिंग या फिर अन्य किसी भी प्रकार की बुकिंग की हो, उन्हें आप घर से निकलने से पहले कंफर्म कर लें. यात्रा मार्ग पर भी आगे बढ़ते हुए लगातार अपने होटल वाले से संपर्क में रहे. ताकि, वो अपडेट रहें और जब आप वहां पहुंचे तो आपको समस्या न हो.
ऊंचाई के साथ बिगड़ सकती है तबीयत, इन बातों का रखें ख्याल: चारधाम यात्रा के दौरान पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है कि कई लोगों की तबीयत भी खराब हो जाती है. कई लोगों की मौत भी हो जाती है. 10 मई से शुरू हुए चारधाम यात्रा में अब तक 12 मौतें हो चुकी है. ऐसे में आपको अपने स्वास्थ्य को लेकर के विशेष तौर से सजग रहने की जरूरत है.
ट्रैवल एक्सपर्ट रजत बताते हैं कि जब भी व्यक्ति मैदानी इलाकों से ऊंचाई वाले इलाकों की तरफ यात्रा करता है तो उसे माउंटेन सिकनेस हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह एक बेहद आम फिनोमेना है. जानकारों का कहना है कि जब भी आप कम ऊंचाई से ज्यादा ऊंचाई की ओर यात्रा करें तो रुक-रुक कर यात्रा करें. अपने शरीर को एक्लाइमेटाइज करें, खूब सारा पानी पीते रहे और उसके बाद ही आगे बढ़े.
अपने डॉक्टर की सलाह पर करें यात्रा, समस्या को इग्नोर न करें: चारधाम यात्रा या फिर इस तरह के ऊंचाई वाले इलाकों पर तबीयत बिगड़ने के कारणों को लेकर डॉक्टरों से भी बातचीत की. वरिष्ठ डॉक्टर विपुल कंडवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि विशेष तौर से चारधाम यात्रा पर वृद्ध लोगों को अपने स्वास्थ्य को लेकर के विशेष तौर पर एहतियात बरतने की जरूरत है.
डॉक्टर का कहना है कि जिन लोगों को साथ संबंधी समस्याएं अस्थमा, हार्ट संबंधी समस्याएं और हाई ब्लड प्रेशर शुगर की समस्याएं हैं, उनको अपने डॉक्टर की सलाह पर ही चारधाम यात्रा के लिए जाना चाहिए. ज्यादा ऊंचाई वाली जगह की तरफ जाने पर शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है. जिसकी वजह से फेफड़ों पर प्रेशर पड़ता है. यह प्रेशर हार्ट पर भी बढ़ जाता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती है.
उन्होंने कहा कि खास तौर से पोस्ट कॉविड सिनेरियो को देखते हुए वृद्ध लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना है. उन्होंने कहा कि कभी भी तबीयत बिगड़ने पर इसे नजरअंदाज ना करें और जल्द से जल्द अपने नजदीकी प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर अपना चेकअप कराएं. साथ ही डॉक्टर का ये भी कहना है कि यात्रा के दौरान किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे आगे बढ़े.
चारधाम यात्रा रूट पर यहां मिलेगी आपको मेडिकल सुविधा, एक हार्ट हॉस्पिटल भी मौजूद: उत्तराखंड के हायर हिमालय पर मौजूद चारों धामों की तरफ यात्रा करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना है, यह सब हमने आपको बताया, लेकिन उसके बावजूद भी अगर चारधाम यात्रा रूट पर आपका स्वास्थ्य बिगड़े तो फिर आपको क्या करना है? यह भी जान लीजिए.
चारधाम यात्रा रूट पर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 69 हेल्थ पोस्ट यानी अस्थाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और एक कैथ लैब स्थापित की है. इनमें से 19 हेल्थ पोस्ट उत्तरकाशी, 24 चमोली और 24 रुद्रप्रयाग में स्थापित की गई है. जिनमें 100 से ज्यादा स्वास्थ्य मित्र अतिरिक्त तैनात किए गए हैं. वहीं, श्रीनगर में हृदय संबंधी उपचार के लिए एक हाई स्टैंडर्ड कैथ लैब की भी स्थापना की गई है.
उत्तराखंड नेशनल हेल्थ मिशन की मिशन निदेशक आईएएस अधिकारी स्वाति भदौरिया ने बताया कि चारधाम यात्रा रूट पर आने वाले किसी भी यात्री की अगर तबीयत बिगड़ती है तो वो यात्रा रूट पर इन हेल्थ पोस्ट पर प्राइमरी इलाज ले सकता है. उन्होंने बताया कि ये सभी हेल्प पोस्ट यात्रा रूट पर विजिबल जगह पर स्थापित की गई है, जो कि ज्यादातर पुलिस चेक पोस्ट के आसपास आपको आसानी से मिल जाएगी. इन प्राइमरी हेल्थ सेंटर में चेकअप कराने के बाद यदि आपको हायर सेंटर की जरूरत होगी तो उसके लिए यात्री को हायर सेंटर में रेफर किया जाएगा.
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