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मोदी को भाये बाबा और बनारस; अबकी जीते तो नेहरू-इंदिरा की करेंगे बराबरी; क्या कांग्रेस दे पाएगी चुनौती? - Varanasi Lok Sabha Seat

Lok Sabha Elections 2024: यूपी ही नहीं वरन देश की सबसे हॉट और चर्चित सीट वाराणसी है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. आईए जानते हैं इस सीट का इतिहास और आखिर पीएम मोदी के लिए इस सीट को ही तीसरी बार क्यों चुना गया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 3:40 PM IST

Updated : Mar 21, 2024, 5:00 PM IST

वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास बता रहे प्रो. चतुर्भुजनाथ तिवारी.

वाराणसी: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सात चरणों में होने वाले मतदान और 4 जून को आने वाले फैसलों पर सभी की निगाह है. बीते दो चुनाव में वाराणसी सीट देश की सबसे हॉट और चर्चित सीट बन गई है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव लड़ते हैं. इस बार भी वे वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे.

पीएम मोदी यदि इस सीट से तीसरी बार भी जीतते हैं तो वे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड की बराबरी भी करेंगे. दरअसल, नेहरू और इंदिरा ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो एक ही सीट से जीतकर तीन बार पीएम बने. मोदी इस बार जीतते हैं तो वे इस रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. इस बार सपा के साथ समझौते के तहत यह सीट कांग्रेस को मिली है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को यहां से उतार सकती है. अब देखना होगा कि पार्टी मोदी को कितनी टक्कर दे पाएगी.

वाराणसी में अब तक हुए सांसद
वाराणसी में अब तक हुए सांसद

नेहरू-इंदिरा का क्या है रिकॉर्ड: नेहरू फूलपुर संसदीय सीट से 1952, 1957, और 1962 से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने. जबकि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से 1967, 1971 और 1980 में लोकसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनी थीं. मोदी इस बार जीते तो एक नया रिकॉर्ड भी बनाएंंगे. वो ऐसे पहले प्रधानमंत्री हो जाएंगे जिन्होंने एक ही सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की होगी.

मोदी तीसरी बार बनारस से क्यों: अब सवाल ये उठता है कि आखिर पीएम मोदी के लिए वाराणसी की ही सीट को तीसरी बार क्यों चुनी गई. क्या वजह है कि वाराणसी की सीट पर ही भाजपा सबसे ज्यादा भरोसा जता रही है. खुद पीएम मोदी भी बनारस की सीट को लेकर काफी भावुक रहते हैं.

वाराणसी का जातीय समीकरण
वाराणसी का जातीय समीकरण

भाजपा बनारस को क्यों मान रही सबसे सुरक्षित सीट: बनारस के लोगों से अपना करीबी रिश्ता बनाते हुए पीएम मोदी ने 10 साल में काशी में विकास की तमाम योजनाओं को गति दी है. लेकिन, क्या सिर्फ विकास ही मुख्य एजेंडा है या फिर सबसे सुरक्षित सीट के रूप में बनारस को बीजेपी मानकर चल रही है.

वाराणसी में मतदाता

  • कुल मतदाता- 30 लाख 78735
  • पुरुष मतदाता- 16 लाख 62 हजार 490
  • महिला मतदाता- 14 लाख 16 हजार 71
  • थर्ड जेंडर मतदाता- 174
  • पहली बार वोट डालने वाले- 52 हजार

बसपा-सपा का वाराणसी में खाता तक नहीं खुला: दरसअल, वाराणसी लोकसभा सीट भाजपा का सबसे मजबूत किला मानी जाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश की यह सीट सबसे बड़ी दो रीजनल पार्टियों के लिए अब तक सबसे खराब नतीजे देने वाली साबित हुई है.

वाराणसी 2019 के चुनाव में किसको कितने वोट मिले
वाराणसी 2019 के चुनाव में किसको कितने वोट मिले

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने आज तक इस सीट पर कभी भी जीत हासिल नहीं की है. विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी दो बार से 8 की 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर रही है. जिसमें सपा बसपा कहीं खड़ी ही नहीं हो पा रही है.

बनारस से कौन था पहला सांसद: कुल मिलाकर बनारस बीजेपी का सबसे मजबूत किला रहा है, लेकिन रीजनल पार्टियों के लिए यह सीट अच्छी नहीं मानी जाती है. अगर आंकड़ों की बात करें तो 1952 में हुए सबसे पहले चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह जी दर्ज करके यहां से सांसद बने थे. कांग्रेस ने सात बार वाराणसी सीट से जीत दर्ज की है और बीजेपी भी सात बार जीत कर आठवीं बार दम भर रही है.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

भाजपा के लिए बनारस क्यों बेहतर विकल्प: इस बारे में काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर चतुर्भुज नाथ तिवारी का कहना है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने बनारस में कुछ ऐसे कीर्तिमान गढ़ दिए हैं, जिनको पीछे छोड़ना बहुत मुश्किल हो गया है. बनारस सीट बीजेपी के लिए सबसे मजबूत और सबसे बेहतर विकल्प है.

चंद्रशेखर भी बनारस से जीते: 1952 में पहली बार हुए चुनाव के बाद कांग्रेस के अलावा सीपीएम और लोकदल ने बनारस से जीत दर्ज की थी. वाराणसी से चंद्रशेखर भी जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन एक दौर आने के बाद भाजपा को यहां से कभी हार नहीं मिली.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

अब तक बनारस से ये नेता जीते: कमलापति त्रिपाठी, चंद्रशेखर, अनिल शास्त्री, रघुनाथ सिंह, शंकर प्रसाद जायसवाल जैसे कद्दावर नेता वाराणसी सीट से सांसद चुने गए हैं. दो बार से नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं और तीसरी बार भी उनके आसपास तो फिलहाल कोई कैंडिडेट दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है. शायद यही वजह है कि अभी तक समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी या किसी भी अन्य दल ने अपने कैंडिडेट की घोषणा तक नहीं की है.

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री भी बनारस से जीते: प्रोफेसर तिवारी का कहना है की इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के श्याम लाल यादव सांसद चुने गए थे. इसके बाद केंद्र की राजनीति में वीपी सिंह आए और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी बने. भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

शंकर प्रसाद जायसवाल लगातार तीन बार वाराणसी से सांसद बने: वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लेने और सरकार गिरने के बाद चुनाव में भाजपा ने यहां से श्री राम मंदिर के आंदोलन के अगुवाई कर रहे श्रीशचंद दीक्षित को मैदान में उतारा था. उन्होंने जीत दर्ज की थी. 1996 में शंकर प्रसाद जायसवाल लगातार तीन बार यहां से सांसद चुने गए.

2009 के बाद भाजपा बनारस से कभी नहीं हारी: 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने जरूर जीत हासिल की लेकिन 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने यहां से जीत दर्ज करके इस सीट को फिर से भाजपा की झोली में डाल दिया था. तब से लेकर अब तक यह सीट भाजपा के ही पास है. कुल मिलाकर भाजपा के लिए बनारस की सीट सबसे ज्यादा सुरक्षित सीट है.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

मोदी के लिए गुजरात से भी सुरक्षित मानी जाती बनारस सीट: सबसे बड़े कैंडिडेट को सबसे सुरक्षित सीट से लड़ाने का फैसला ही बनारस की लोकसभा सीट को सबसे खास बनाता है. मोदी के लिए वाराणसी को गुजरात से भी ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. पीएम मोदी भी बनारस पर ही विश्वास करते हैं. यही वजह है कि उन्होंने तीसरी बार भी बनारस से ही चुनाव लड़ने की ठानी है.

ये भी पढ़ेंः आगरा लोकसभा सीट; भाजपा ने कैसे रोका कांग्रेस का विजय रथ, अभिनेता भी यहां से बने नेता

वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास बता रहे प्रो. चतुर्भुजनाथ तिवारी.

वाराणसी: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सात चरणों में होने वाले मतदान और 4 जून को आने वाले फैसलों पर सभी की निगाह है. बीते दो चुनाव में वाराणसी सीट देश की सबसे हॉट और चर्चित सीट बन गई है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव लड़ते हैं. इस बार भी वे वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे.

पीएम मोदी यदि इस सीट से तीसरी बार भी जीतते हैं तो वे पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के रिकॉर्ड की बराबरी भी करेंगे. दरअसल, नेहरू और इंदिरा ऐसे प्रधानमंत्री रहे जो एक ही सीट से जीतकर तीन बार पीएम बने. मोदी इस बार जीतते हैं तो वे इस रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. इस बार सपा के साथ समझौते के तहत यह सीट कांग्रेस को मिली है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को यहां से उतार सकती है. अब देखना होगा कि पार्टी मोदी को कितनी टक्कर दे पाएगी.

वाराणसी में अब तक हुए सांसद
वाराणसी में अब तक हुए सांसद

नेहरू-इंदिरा का क्या है रिकॉर्ड: नेहरू फूलपुर संसदीय सीट से 1952, 1957, और 1962 से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बने. जबकि इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से 1967, 1971 और 1980 में लोकसभा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनी थीं. मोदी इस बार जीते तो एक नया रिकॉर्ड भी बनाएंंगे. वो ऐसे पहले प्रधानमंत्री हो जाएंगे जिन्होंने एक ही सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की होगी.

मोदी तीसरी बार बनारस से क्यों: अब सवाल ये उठता है कि आखिर पीएम मोदी के लिए वाराणसी की ही सीट को तीसरी बार क्यों चुनी गई. क्या वजह है कि वाराणसी की सीट पर ही भाजपा सबसे ज्यादा भरोसा जता रही है. खुद पीएम मोदी भी बनारस की सीट को लेकर काफी भावुक रहते हैं.

वाराणसी का जातीय समीकरण
वाराणसी का जातीय समीकरण

भाजपा बनारस को क्यों मान रही सबसे सुरक्षित सीट: बनारस के लोगों से अपना करीबी रिश्ता बनाते हुए पीएम मोदी ने 10 साल में काशी में विकास की तमाम योजनाओं को गति दी है. लेकिन, क्या सिर्फ विकास ही मुख्य एजेंडा है या फिर सबसे सुरक्षित सीट के रूप में बनारस को बीजेपी मानकर चल रही है.

वाराणसी में मतदाता

  • कुल मतदाता- 30 लाख 78735
  • पुरुष मतदाता- 16 लाख 62 हजार 490
  • महिला मतदाता- 14 लाख 16 हजार 71
  • थर्ड जेंडर मतदाता- 174
  • पहली बार वोट डालने वाले- 52 हजार

बसपा-सपा का वाराणसी में खाता तक नहीं खुला: दरसअल, वाराणसी लोकसभा सीट भाजपा का सबसे मजबूत किला मानी जाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश की यह सीट सबसे बड़ी दो रीजनल पार्टियों के लिए अब तक सबसे खराब नतीजे देने वाली साबित हुई है.

वाराणसी 2019 के चुनाव में किसको कितने वोट मिले
वाराणसी 2019 के चुनाव में किसको कितने वोट मिले

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने आज तक इस सीट पर कभी भी जीत हासिल नहीं की है. विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी दो बार से 8 की 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर रही है. जिसमें सपा बसपा कहीं खड़ी ही नहीं हो पा रही है.

बनारस से कौन था पहला सांसद: कुल मिलाकर बनारस बीजेपी का सबसे मजबूत किला रहा है, लेकिन रीजनल पार्टियों के लिए यह सीट अच्छी नहीं मानी जाती है. अगर आंकड़ों की बात करें तो 1952 में हुए सबसे पहले चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह जी दर्ज करके यहां से सांसद बने थे. कांग्रेस ने सात बार वाराणसी सीट से जीत दर्ज की है और बीजेपी भी सात बार जीत कर आठवीं बार दम भर रही है.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

भाजपा के लिए बनारस क्यों बेहतर विकल्प: इस बारे में काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर चतुर्भुज नाथ तिवारी का कहना है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने बनारस में कुछ ऐसे कीर्तिमान गढ़ दिए हैं, जिनको पीछे छोड़ना बहुत मुश्किल हो गया है. बनारस सीट बीजेपी के लिए सबसे मजबूत और सबसे बेहतर विकल्प है.

चंद्रशेखर भी बनारस से जीते: 1952 में पहली बार हुए चुनाव के बाद कांग्रेस के अलावा सीपीएम और लोकदल ने बनारस से जीत दर्ज की थी. वाराणसी से चंद्रशेखर भी जीत दर्ज कर चुके हैं, लेकिन एक दौर आने के बाद भाजपा को यहां से कभी हार नहीं मिली.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

अब तक बनारस से ये नेता जीते: कमलापति त्रिपाठी, चंद्रशेखर, अनिल शास्त्री, रघुनाथ सिंह, शंकर प्रसाद जायसवाल जैसे कद्दावर नेता वाराणसी सीट से सांसद चुने गए हैं. दो बार से नरेंद्र मोदी वाराणसी से सांसद हैं और तीसरी बार भी उनके आसपास तो फिलहाल कोई कैंडिडेट दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है. शायद यही वजह है कि अभी तक समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी या किसी भी अन्य दल ने अपने कैंडिडेट की घोषणा तक नहीं की है.

लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री भी बनारस से जीते: प्रोफेसर तिवारी का कहना है की इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 में हुए चुनाव में कांग्रेस के श्याम लाल यादव सांसद चुने गए थे. इसके बाद केंद्र की राजनीति में वीपी सिंह आए और 1989 में जनता दल के प्रत्याशी बने. भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

शंकर प्रसाद जायसवाल लगातार तीन बार वाराणसी से सांसद बने: वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लेने और सरकार गिरने के बाद चुनाव में भाजपा ने यहां से श्री राम मंदिर के आंदोलन के अगुवाई कर रहे श्रीशचंद दीक्षित को मैदान में उतारा था. उन्होंने जीत दर्ज की थी. 1996 में शंकर प्रसाद जायसवाल लगातार तीन बार यहां से सांसद चुने गए.

2009 के बाद भाजपा बनारस से कभी नहीं हारी: 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने जरूर जीत हासिल की लेकिन 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने यहां से जीत दर्ज करके इस सीट को फिर से भाजपा की झोली में डाल दिया था. तब से लेकर अब तक यह सीट भाजपा के ही पास है. कुल मिलाकर भाजपा के लिए बनारस की सीट सबसे ज्यादा सुरक्षित सीट है.

Varanasi Lok Sabha Seat
Varanasi Lok Sabha Seat

मोदी के लिए गुजरात से भी सुरक्षित मानी जाती बनारस सीट: सबसे बड़े कैंडिडेट को सबसे सुरक्षित सीट से लड़ाने का फैसला ही बनारस की लोकसभा सीट को सबसे खास बनाता है. मोदी के लिए वाराणसी को गुजरात से भी ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. पीएम मोदी भी बनारस पर ही विश्वास करते हैं. यही वजह है कि उन्होंने तीसरी बार भी बनारस से ही चुनाव लड़ने की ठानी है.

ये भी पढ़ेंः आगरा लोकसभा सीट; भाजपा ने कैसे रोका कांग्रेस का विजय रथ, अभिनेता भी यहां से बने नेता

Last Updated : Mar 21, 2024, 5:00 PM IST
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