संबलपुर: त्याग और बलिदान का दिन मुहर्रम बुधवार को पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है, लेकिन ओडिशा के संबलपुर में एक हिंदू परिवार ने मुहर्रम के दिन ताजिया निकालकर एक अनूठी मिसाल पेश की है. बताया जा रहा है कि संबलपुर का यह हिंदू परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी 360 साल से मुहर्रम पर ताजिया बनाता और निकालता है.
संबलपुर के मुदीपारा का यह परिवार भले ही हिंदू हो, लेकिन मुहर्रम के उपलक्ष्य में हर साल इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृति ताजिया निकालकर सांप्रदायिक सद्भाव फैलाने में 1664 से एक मिसाल कायम कर रहा है.
ऐसे शुरू हुई यह परंपरा
पधियारी परिवार के सदस्यों के अनुसार, मुहर्रम के उपलक्ष्य में ताजिया निकालने की परंपरा उनके पूर्वज जयदेव पढियारी ने शुरू की थी, जो एक तयशुदा शादी से बचने के लिए घर से भाग गए थे. अपनी यात्रा के दौरान, जयदेव मक्का पहुंचे, जहां उन्हें न केवल शरण मिली, बल्कि एक ऐसी संस्कृति के संपर्क में भी आए, जिससे उन्हें प्यार हो गया. कुछ वर्षों के बाद वे दो मौलानाओं या विद्वान मुस्लिम नेताओं के साथ घर लौटे और संबलपुर के तत्कालीन शासक से मुहर्रम के अवसर पर ताजिया जुलूस निकालने की अनुमति मांगी.
संबलपुर के राजा छत्र साई ने जयदेव के अनुरोध पर सहमति जताई और पधियारी परिवार ने मुहर्रम मनाने की वार्षिक परंपरा शुरू की. पधियारी परिवार के एक सदस्य ने कहा कि अपने पूर्वजों की तरह हम भी हर साल ताजिया निकालते हैं. पधियारी परिवार बिना किसी मदद के इस कार्यक्रम का आयोजन करता है. परिवार खुद ताजिया बनाता है और पड़ोसी मुहर्रम जुलूस में शामिल होते हैं.
बुधवार को मोहर्रम
7 जुलाई से मोहर्रम का महीना शुरू हुआ था. 17 जुलाई बुधवार को 10वां दिन है. इस दिन ताजिया निकाल कर लोग मातम मनाते हैं. हर साल की भांति इस साल भी किशनगंज जिले की हिन्दू महिलाओं ने ताजियों का निर्माण किया है. पोठिया प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कस्वाकलियागंज पंचायत स्थित कलियागंज चकबंदी गांव में हर साल हिन्दू महिलाएं ताजिया का निर्माण करती हैं. यहां के मुसलमान मन्नत पूरा होने पर हिंदू महिलाओं के द्वारा बनाए गए ताजिया को कर्बला मैदान में दफनाते हैं.