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सीएम सुक्खू ने दिया ओपीएस का तोहफा, लेकिन कर्मियों ने खोल दिया सरकार के खिलाफ मोर्चा, डीए-एरियर को लेकर हिमाचल में क्यों मचा हंगामा - Himachal Employees Protest

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 9:27 PM IST

Updated : Aug 23, 2024, 9:44 PM IST

Himachal Employees Protest against Sukhu Govt: हिमाचल प्रदेश में ओपीएस लागू करने पर कर्मचारियों ने सुक्खू सरकार को अपने सिर-आंखों पर बिठा लिया था, लेकिन कुछ ही दिनों में इन कर्मचारियों ने डीए और एरियर न मिलने से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. यह कर्ज में डूबी सुक्खू सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है. पढ़िए पूरी खबर...

सुक्खू सरकार और कर्मचारियों में आर-पार की स्थिति!
सुक्खू सरकार और कर्मचारियों में आर-पार की स्थिति! (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कर्मचारियों ने सिर-आंखों पर बिठा लिया था, लेकिन अब वही कर्मचारी सरकार के खिलाफ हो गए हैं. नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद संशोधित वेतनमान का एरियर न मिलने के कारण कर्मचारियों की निराशा अब गुस्सा बनकर फूट रही है.

कर्मचारियों को आस थी कि 15 अगस्त को मौके पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू एरियर न सही कम के कम बकाया 12 फीसदी डीए की एक किस्त के भुगतान का तो जरूर ऐलान करेंगे. इस बार 15 अगस्त का समारोह सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर के निर्वाचन क्षेत्र देहरा में आयोजित किया गया. कर्मचारी आस लगाए बैठे थे कि चार फीसदी डीए तो मिल ही जाएगा, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई. उसके बाद शिमला स्थित राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर सुखविंदर सरकार के खिलाफ जैसे युद्ध ही छेड़ दिया हो.

ये भी पढ़ें: कर्मचारियों का तंज, "मंत्री बनने लायक नहीं थे राजेश धर्माणी, सीएम सुक्खू को मजबूरी में कैबिनेट में लेना पड़ा"

राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सचिवालय कर्मचारियों ने दो बार शिमला में भारी विरोध प्रदर्शन किया है. आलम ये है कि कर्मचारियों के प्रदर्शन से सरकार हक्की-बक्की रह गई है. जिस तीखी भाषा में कर्मचारी विरोध जता रहे हैं, उससे लगता नहीं कि ये टकराव आसानी से नहीं थमेगा. इसी बीच, कर्मचारी कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के एक बयान से बिफर गए. राजेश धर्माणी ने राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों को लेकर तल्ख बयानी कर दी. उसके बाद से तो जैसे कर्मचारी भड़क ही गए हैं. उन्होंने कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी को माफी मांगने के लिए कहा है. धर्माणी ने कहा था कि सरकार ने सभी पक्षों की तरफ देखना है. कर्मचारियों को सरकार ने काफी राहत दी हैं. खैर, ये डीए व एरियर का मसला आखिर है क्या, जिसने सुखविंदर सिंह सरकार की नींद उड़ा दी है, इसे आगे समझते हैं.

कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों को दी नसीहत (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें: "धर्माणी 5 लाख कर्मचारी और पेंशनरों को दे रहे धमकी, क्या ये पाकिस्तान है, हम अपना DA-एरियर लेकर रहेंगे"

उम्मीद टूटी तो नाराज हुए कर्मचारी: हिमाचल सरकार बड़े अवसरों, जैसे हिमाचल दिवस, पूर्ण राज्यत्व दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्मचारियों व अन्य जनता के लिए कोई न कोई योजना अथवा वित्तीय लाभ का ऐलान करती है. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने बेशक ओपीएस लागू कर दी है, लेकिन डीए व एरियर का भुगतान न होने से कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट रहा है. इस बार 15 अगस्त को जब सरकार ने कर्मचारियों को चार फीसदी डीए भी नहीं दिया तो उनका गुस्सा विरोध बनकर टूट पड़ा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केवल 75 साल व उससे ऊपर की आयु वाले पेंशनर्स के लिए एरियर का भुगतान करने संबंधी घोषणा की. अब उक्त आयु वर्ग के पेंशनर्स का एरियर देने में सरकार के खजाने पर कुछ अधिक बोझ नहीं पड़ना है, लिहाजा ऐसा ऐलान किया गया.

इधर, संशोधित वेतनमान का 9000 करोड़ के करीब एरियर बकाया है. साथ ही 12 फीसदी डीए यानी महंगाई भत्ता बाकी है, जिसका भुगतान होना है. इसमें से कर्मचारियों को कुछ नहीं मिला तो वे ओपीएस का तोहफा भूलकर डीए व एरियर मांगने लगे. उधर, सीएम सुखविंदर सुक्खू ने राज्य की कमजोर आर्थिक हालात का ब्यौरा दिया और कहा कि अगले साल से चरणबद्ध तरीके से कर्मचारियों के डीए व एरियर का भुगतान करेंगे.

कर्ज में डूबी सरकार कैसे देगी एरियर व डीए: हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का भारी बोझ है. अभी राज्य पर करीब 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. एरियर का 9000 करोड़ और डीए का कम से कम 2000 करोड़ रुपए मिलाकर 11 हजार करोड़ की देनदारी है. आलम ये है कि इस वित्त वर्ष के अंत में यानी 2025 मार्च में 94 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो जाएगा. अगले ही साल से यानी 2025 से ओपीएस का इंपैक्ट भी खजाने पर आएगा. ऐसे में सरकार को केवल एरियर के ही 9000 करोड़ का भुगतान करना कठिन हो जाएगा. डीए की किश्त 12 फीसदी लंबित पड़ी हुई हैं.

छठे वेतनमान को जयराम सरकार ने लागू किया था. उस पे कमीशन के संशोधित वेतनमान का एरियर वर्ष 2016 से मिलना है. दोनों दल यानी कांग्रेस व भाजपा कर्ज का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ते हैं. हालत ये है कि हिमाचल सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा वेतन, पेंशन, कर्ज चुकाने व लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी में चला जाता है. इस वित्त वर्ष में दिसंबर 2024 तक लोन लिमिट 6200 करोड़ रुपए है. उसमें से 3900 करोड़ रुपए कर्ज लिया जा चुका है. अब महज 2300 करोड़ रुपए की लिमिट बची है. ये लिमिट दिसंबर 2024 तक है.

ये भी पढ़ें: सीएम के प्रधान सलाहकार बोले, सरकार के समक्ष बातचीत से अपनी मांगों को रखकर मसला सुलझाएं कर्मचारी

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पूर्व सरकार ने कर्ज का बोझ छोड़ा है. वर्तमान सरकार कठोर फैसले लागू कर स्थितियों को नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रही है. हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ के मुखिया संजीव शर्मा का कहना है कि कर्मचारी कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं. उन्हें अपना हक चाहिए. कैबिनेट मंत्रियों व अफसरशाही की ऐश-परस्ती का खामियाजा कर्मचारी वर्ग क्यों भुगते. मंत्री आलीशान कोठियों में रह रहे हैं. अफसरों के बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए गाड़ियां लगी हुई हैं.

मंत्री राजेश धर्माणी के खिलाफ कर्मचारियों ने खोला मोर्चा (ETV Bharat)

संजीव शर्मा तंज कसते हुए कहते हैं कि सब्जी लेने के लिए भी अफसरों की पत्नियां सरकारी गाड़ी की सुविधा का लाभ उठाती हैं, फिर कर्मचारी अपने हकों के लिए क्यों पिसे? कर्मचारी नेता ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट मंत्रियों की सरकारी कोठियों की मरम्मत पर भारी रकम खर्च होती है, तब खजाने की कमजोर स्थिति की याद नहीं आती?

खैर, अब अगले हफ्ते से हिमाचल विधानसभा का मानसून सेशन शुरू होने वाला है. इधर, कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला हुआ है, उधर विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस सरकार की गारंटियों को लेकर सीएम पर हमला बोल रही है. विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि सुखविंदर सरकार में मित्रों की मौज है और कर्मचारियों सहित आम जनता को कोई राहत नहीं मिल रही है. देखना है कि कर्मचारियों का ये विरोध प्रदर्शन आने वाले समय में क्या रुख लेता है.

ये भी पढ़ें: "कर्मचारियों को हड़काने के लिए मंत्री को किया आगे, खुद सवालों से भाग रहे हैं सीएम सुक्खू"

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कर्मचारियों ने सिर-आंखों पर बिठा लिया था, लेकिन अब वही कर्मचारी सरकार के खिलाफ हो गए हैं. नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद संशोधित वेतनमान का एरियर न मिलने के कारण कर्मचारियों की निराशा अब गुस्सा बनकर फूट रही है.

कर्मचारियों को आस थी कि 15 अगस्त को मौके पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू एरियर न सही कम के कम बकाया 12 फीसदी डीए की एक किस्त के भुगतान का तो जरूर ऐलान करेंगे. इस बार 15 अगस्त का समारोह सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर के निर्वाचन क्षेत्र देहरा में आयोजित किया गया. कर्मचारी आस लगाए बैठे थे कि चार फीसदी डीए तो मिल ही जाएगा, लेकिन उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई. उसके बाद शिमला स्थित राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ ने अपनी मांगों को लेकर सुखविंदर सरकार के खिलाफ जैसे युद्ध ही छेड़ दिया हो.

ये भी पढ़ें: कर्मचारियों का तंज, "मंत्री बनने लायक नहीं थे राजेश धर्माणी, सीएम सुक्खू को मजबूरी में कैबिनेट में लेना पड़ा"

राज्य सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सचिवालय कर्मचारियों ने दो बार शिमला में भारी विरोध प्रदर्शन किया है. आलम ये है कि कर्मचारियों के प्रदर्शन से सरकार हक्की-बक्की रह गई है. जिस तीखी भाषा में कर्मचारी विरोध जता रहे हैं, उससे लगता नहीं कि ये टकराव आसानी से नहीं थमेगा. इसी बीच, कर्मचारी कांग्रेस सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी के एक बयान से बिफर गए. राजेश धर्माणी ने राज्य सरकार की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए कर्मचारियों को लेकर तल्ख बयानी कर दी. उसके बाद से तो जैसे कर्मचारी भड़क ही गए हैं. उन्होंने कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी को माफी मांगने के लिए कहा है. धर्माणी ने कहा था कि सरकार ने सभी पक्षों की तरफ देखना है. कर्मचारियों को सरकार ने काफी राहत दी हैं. खैर, ये डीए व एरियर का मसला आखिर है क्या, जिसने सुखविंदर सिंह सरकार की नींद उड़ा दी है, इसे आगे समझते हैं.

कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों को दी नसीहत (ETV Bharat)

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उम्मीद टूटी तो नाराज हुए कर्मचारी: हिमाचल सरकार बड़े अवसरों, जैसे हिमाचल दिवस, पूर्ण राज्यत्व दिवस, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्मचारियों व अन्य जनता के लिए कोई न कोई योजना अथवा वित्तीय लाभ का ऐलान करती है. सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने बेशक ओपीएस लागू कर दी है, लेकिन डीए व एरियर का भुगतान न होने से कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट रहा है. इस बार 15 अगस्त को जब सरकार ने कर्मचारियों को चार फीसदी डीए भी नहीं दिया तो उनका गुस्सा विरोध बनकर टूट पड़ा. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केवल 75 साल व उससे ऊपर की आयु वाले पेंशनर्स के लिए एरियर का भुगतान करने संबंधी घोषणा की. अब उक्त आयु वर्ग के पेंशनर्स का एरियर देने में सरकार के खजाने पर कुछ अधिक बोझ नहीं पड़ना है, लिहाजा ऐसा ऐलान किया गया.

इधर, संशोधित वेतनमान का 9000 करोड़ के करीब एरियर बकाया है. साथ ही 12 फीसदी डीए यानी महंगाई भत्ता बाकी है, जिसका भुगतान होना है. इसमें से कर्मचारियों को कुछ नहीं मिला तो वे ओपीएस का तोहफा भूलकर डीए व एरियर मांगने लगे. उधर, सीएम सुखविंदर सुक्खू ने राज्य की कमजोर आर्थिक हालात का ब्यौरा दिया और कहा कि अगले साल से चरणबद्ध तरीके से कर्मचारियों के डीए व एरियर का भुगतान करेंगे.

कर्ज में डूबी सरकार कैसे देगी एरियर व डीए: हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का भारी बोझ है. अभी राज्य पर करीब 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. एरियर का 9000 करोड़ और डीए का कम से कम 2000 करोड़ रुपए मिलाकर 11 हजार करोड़ की देनदारी है. आलम ये है कि इस वित्त वर्ष के अंत में यानी 2025 मार्च में 94 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज हो जाएगा. अगले ही साल से यानी 2025 से ओपीएस का इंपैक्ट भी खजाने पर आएगा. ऐसे में सरकार को केवल एरियर के ही 9000 करोड़ का भुगतान करना कठिन हो जाएगा. डीए की किश्त 12 फीसदी लंबित पड़ी हुई हैं.

छठे वेतनमान को जयराम सरकार ने लागू किया था. उस पे कमीशन के संशोधित वेतनमान का एरियर वर्ष 2016 से मिलना है. दोनों दल यानी कांग्रेस व भाजपा कर्ज का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ते हैं. हालत ये है कि हिमाचल सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा वेतन, पेंशन, कर्ज चुकाने व लिए गए कर्ज के ब्याज की अदायगी में चला जाता है. इस वित्त वर्ष में दिसंबर 2024 तक लोन लिमिट 6200 करोड़ रुपए है. उसमें से 3900 करोड़ रुपए कर्ज लिया जा चुका है. अब महज 2300 करोड़ रुपए की लिमिट बची है. ये लिमिट दिसंबर 2024 तक है.

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सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि पूर्व सरकार ने कर्ज का बोझ छोड़ा है. वर्तमान सरकार कठोर फैसले लागू कर स्थितियों को नियंत्रण में लाने का प्रयास कर रही है. हिमाचल प्रदेश सचिवालय कर्मचारी महासंघ के मुखिया संजीव शर्मा का कहना है कि कर्मचारी कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं. उन्हें अपना हक चाहिए. कैबिनेट मंत्रियों व अफसरशाही की ऐश-परस्ती का खामियाजा कर्मचारी वर्ग क्यों भुगते. मंत्री आलीशान कोठियों में रह रहे हैं. अफसरों के बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए गाड़ियां लगी हुई हैं.

मंत्री राजेश धर्माणी के खिलाफ कर्मचारियों ने खोला मोर्चा (ETV Bharat)

संजीव शर्मा तंज कसते हुए कहते हैं कि सब्जी लेने के लिए भी अफसरों की पत्नियां सरकारी गाड़ी की सुविधा का लाभ उठाती हैं, फिर कर्मचारी अपने हकों के लिए क्यों पिसे? कर्मचारी नेता ने आरोप लगाया है कि कैबिनेट मंत्रियों की सरकारी कोठियों की मरम्मत पर भारी रकम खर्च होती है, तब खजाने की कमजोर स्थिति की याद नहीं आती?

खैर, अब अगले हफ्ते से हिमाचल विधानसभा का मानसून सेशन शुरू होने वाला है. इधर, कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोला हुआ है, उधर विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस सरकार की गारंटियों को लेकर सीएम पर हमला बोल रही है. विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि सुखविंदर सरकार में मित्रों की मौज है और कर्मचारियों सहित आम जनता को कोई राहत नहीं मिल रही है. देखना है कि कर्मचारियों का ये विरोध प्रदर्शन आने वाले समय में क्या रुख लेता है.

ये भी पढ़ें: "कर्मचारियों को हड़काने के लिए मंत्री को किया आगे, खुद सवालों से भाग रहे हैं सीएम सुक्खू"

Last Updated : Aug 23, 2024, 9:44 PM IST
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