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हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा के 50 आरोपियों को राहत, हाईकोर्ट से मिली जमानत - Haldwani violence accused get bail - HALDWANI VIOLENCE ACCUSED GET BAIL

Haldwani Banbhoolpura Violence Case: उत्तराखंड हाईकोर्ट में हल्द्वानी हिंसा के 50 आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जिसके बाद आरोपी मुजम्मिल सहित 49 अन्य आरोपियों को कोर्ट ने जमानत दे दी है. पढ़ें पूरी खबर..

Haldwani violence case
कॉन्सेप्ट इमेज (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2024, 3:24 PM IST

Updated : Aug 28, 2024, 3:36 PM IST

नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी हिंसा मामले के 50 आरोपियों के जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद उन्हें जमानत दे दी गई है. बीते शनिवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था. निर्णय में कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र पेश नहीं किया गया और आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दिया गया. इससे पहले हाईकोर्ट ने बीते 24 अगस्त को इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

आरोपियों ने दाखिल किया था जमानत प्रार्थना पत्र: हिंसा के आरोपी मुजम्मिल सहित 49 अन्य आरोपियों ने उच्च न्यायलय में जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा था कि पुलिस ने उनके खिलाफ 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और ना ही रिमांड बढ़ाने के लिये कोई स्पष्ट कारण बताया. उन्होंने कहा कि, कोर्ट ने उनकी रिमांड बढ़ा दी और उनकी बेल खारिज कर दी. सुनवाई पर आरोपियों की ओर से कहा गया कि जो समय बढ़ाया गया है यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. पुलिस बिना किसी कारण के चाहे उनके ऊपर कितने बड़े आरोप क्यों ना लगाए, उन्हें जेल में बंद नहीं रख सकती. अभी तक आरोपपत्र पेश नहीं हुआ, इसलिए उनका अधिकार है कि उनको जमानत पर रिहा किया जाए. आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या राम कृष्णन उच्च न्यायालय में पेश हुईं.

आरोपी बोले जमानत पर रिहा होना हमारा अधिकार: दूसरी ओर सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं. साथ ही अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है. नियमानुसार ही आरोपियों की रिमांड बढ़ाई गई है.

एसएसपी बोले समय दाखिल हुई चार्जशीट: वहीं, पूरे मामले पर नैनीताल एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में कुछ आरोपियों को जमानत मिलने पर कुछ भ्रामक और तथ्यहीन खबर फैलाई जा रही हैं कि पुलिस ने समय से चार्जशीट दाखिल नहीं की है, जिससे आरोपियों को जमानत मिली है. उन्होंने कहा कि यूपीए के सेक्शन 43D के तहत आवश्यकतानुसार विवेचक रिमांड की अवधि बढ़ाकर 180 दिन करने के लिए आवेदन कर सकता है और उसी क्रम में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा रिमांड की अवधि बढ़ाई गई है. पुलिस द्वारा 180 दिन पूर्व यूपीए के प्रावधानों के तहत चार्जशीट समय से फाइल कर दी गई थी.

8 फरवरी 2024 को बनभूलपुरा में हुई थी हिंसा: बता दें कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रवियों ने हिंसा की थी. उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को आग लगाकर पुलिसकर्मियों को जलाकर मारने की कोशिश की थी. साथ ही अनेक वाहनों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया था. इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे. पुलिस ने 107 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें अब्दुल मलिक को हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया था. हि

सा होने के बाद पुलिस ने संदिग्ध क्षेत्र के 45 पुरुषों सहित 5 संदिग्ध महिलाओं को घर से उठाकर जेल भेज दिया था. आरोप था कि इनके द्वारा हिंसा करने वालों का सहयोग किया गया है. पुलिस की जांच में इनके घरों से पर्याप्त सबूत मिले, जिसके आधार पर पुलिस ने इनको शक के आधार पर पुलिस कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया, जबकि अभी तक पुलिस यह साबित करने में नाकाम रही है कि उन्हें किस अपराध के लिए जेल भेजा गया. घटना में हजारों लोग शामिल थे. अभी तक पुलिस कोई सबूत उनके खिलाफ इकट्ठा नहीं कर पाई.

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नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी हिंसा मामले के 50 आरोपियों के जमानत प्रार्थनापत्र पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद उन्हें जमानत दे दी गई है. बीते शनिवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया था. निर्णय में कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें पुलिस द्वारा 90 दिन बीत जाने के बाद भी आरोप पत्र पेश नहीं किया गया और आरोप पत्र पेश करने के लिए और समय दिया गया. इससे पहले हाईकोर्ट ने बीते 24 अगस्त को इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

आरोपियों ने दाखिल किया था जमानत प्रार्थना पत्र: हिंसा के आरोपी मुजम्मिल सहित 49 अन्य आरोपियों ने उच्च न्यायलय में जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कहा था कि पुलिस ने उनके खिलाफ 90 दिन के अंदर आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और ना ही रिमांड बढ़ाने के लिये कोई स्पष्ट कारण बताया. उन्होंने कहा कि, कोर्ट ने उनकी रिमांड बढ़ा दी और उनकी बेल खारिज कर दी. सुनवाई पर आरोपियों की ओर से कहा गया कि जो समय बढ़ाया गया है यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. पुलिस बिना किसी कारण के चाहे उनके ऊपर कितने बड़े आरोप क्यों ना लगाए, उन्हें जेल में बंद नहीं रख सकती. अभी तक आरोपपत्र पेश नहीं हुआ, इसलिए उनका अधिकार है कि उनको जमानत पर रिहा किया जाए. आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या राम कृष्णन उच्च न्यायालय में पेश हुईं.

आरोपी बोले जमानत पर रिहा होना हमारा अधिकार: दूसरी ओर सरकारी पक्ष की ओर से कहा गया कि पुलिस के पास पर्याप्त आधार और कारण हैं. साथ ही अदालत के पास रिमांड बढ़ाने का अधिकार है. नियमानुसार ही आरोपियों की रिमांड बढ़ाई गई है.

एसएसपी बोले समय दाखिल हुई चार्जशीट: वहीं, पूरे मामले पर नैनीताल एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में कुछ आरोपियों को जमानत मिलने पर कुछ भ्रामक और तथ्यहीन खबर फैलाई जा रही हैं कि पुलिस ने समय से चार्जशीट दाखिल नहीं की है, जिससे आरोपियों को जमानत मिली है. उन्होंने कहा कि यूपीए के सेक्शन 43D के तहत आवश्यकतानुसार विवेचक रिमांड की अवधि बढ़ाकर 180 दिन करने के लिए आवेदन कर सकता है और उसी क्रम में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा रिमांड की अवधि बढ़ाई गई है. पुलिस द्वारा 180 दिन पूर्व यूपीए के प्रावधानों के तहत चार्जशीट समय से फाइल कर दी गई थी.

8 फरवरी 2024 को बनभूलपुरा में हुई थी हिंसा: बता दें कि 8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रवियों ने हिंसा की थी. उपद्रवियों ने बनभूलपुरा थाने को आग लगाकर पुलिसकर्मियों को जलाकर मारने की कोशिश की थी. साथ ही अनेक वाहनों को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया था. इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई थी, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे. पुलिस ने 107 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें अब्दुल मलिक को हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया था. हि

सा होने के बाद पुलिस ने संदिग्ध क्षेत्र के 45 पुरुषों सहित 5 संदिग्ध महिलाओं को घर से उठाकर जेल भेज दिया था. आरोप था कि इनके द्वारा हिंसा करने वालों का सहयोग किया गया है. पुलिस की जांच में इनके घरों से पर्याप्त सबूत मिले, जिसके आधार पर पुलिस ने इनको शक के आधार पर पुलिस कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया, जबकि अभी तक पुलिस यह साबित करने में नाकाम रही है कि उन्हें किस अपराध के लिए जेल भेजा गया. घटना में हजारों लोग शामिल थे. अभी तक पुलिस कोई सबूत उनके खिलाफ इकट्ठा नहीं कर पाई.

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Last Updated : Aug 28, 2024, 3:36 PM IST
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