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लोकसभा चुनाव के दौरान गर्मी का कहर, स्वास्थ्य विभाग ने समीक्षा बैठक की, विशेषज्ञों ने बताया हीट वेव से बचने का तरीका - how to protect from heat wave

Health Ministry On Heat Waves: मैक्स अस्पताल की इंटरनल मेडिसिन डायरेक्टर डॉ. मोनिका महाजन ने ईटीवी भारत के संवाददाता गौतम देबरॉय के साथ बातचीत करते हुए हीट वेव से बचने की सलाह दी है.

हीट वेव
heat waves
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 5:00 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान गर्मी के प्रभाव की समीक्षा के लिए चुनाव आयोग (ECI) ने एक टास्क फोर्स गठित की है. टास्क फोर्स गठित होने के एक दिन बाद स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंगलवार को मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गर्मी और हीट वेव की स्थिति को लेकर बैठक की. इस दौरान चंद्रा ने देशभर के अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का भी जायजा लिया.

बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'संबंधित अधिकारियों को अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है. पिछले कुछ समय से कई राज्यों के अस्पतालों में लू से जुड़ी शिकायतें मिल रही हैं.'

अधिकारी के मुताबिक चंद्रा ने बैठक में मौजूद सदस्यों को लू प्रभावित राज्यों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है. अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय गर्मी की लहरों को लेकर मौसम विभाग के साथ लगातार संपर्क में है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी: गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में हीट वेव को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें लोगों से गर्मी की लहरों से खुद को बचाने के लिए कुछ निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में लोगों से हाइड्रेटेड रहने, सतर्क रहने और घर के अंदर रहने के लिए कहा है. इसके अलावा मंत्रालय ने बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शारीरिक रूप से बीमार लोगों लोगों पर विशेष ध्यान देने को कहा है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय: ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली के मैक्स अस्पताल की इंटरनल मेडिसिन डायरेक्टर डॉ. मोनिका महाजन ने कहा कि थकान और मांसपेशियों में ऐंठन हीट वेव के मूल लक्षण हैं. गर्मी के कारण लोग थक जाते हैं और कमजोरी और सुस्ती के साथ मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द होने लगता है.

डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहे लोग: उन्होंने कहा, 'फिलहाल हमें लोगों से गर्मी के संपर्क में आने पर थकान, मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें मिलनी शुरू हो गई हैं. गर्मी और फूड पॉइजनिंग के कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया भी होने लगा है. इसके अलावा लोग डिहाइड्रेशन का शिकार भी होने लगे हैं.'

गर्मी से बचने के लिए क्या करें?: डॉ. मोनिका ने कहा कि गर्मी की लहरों से बचने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा ताजा नींबू, पानी और जूस का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा लोगों को ताजा बना खाना खाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों को घर के बाहर कच्चा सलाद खाने से बचना चाहिए.

क्या होती है लू?: लू हवा के तापमान की एक स्थिति है जो मानव शरीर के लिए घातक हो सकती है. जब मैदानी इलाकों का तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है, तो उसे लू माना जाता है.

भारत में कब और कहां होती है हीट वेव?: भारत में हीट वेव मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में होती है. सबसे ज्यादा गर्मी की लहर मई में होती है. आम तौर पर मार्च से जून महीने के दौरान गर्मी की लहरें उत्तर पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्व और उत्तरी प्रायद्वीपीय और भारत के मैदानी इलाकों में होती हैं. इनमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्से, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं. कभी-कभी यह तमिलनाडु और केरल में भी पहुंच जाती हैं.

यह भी पढ़ें- IMD ने पूर्वी भारत में भीषण गर्मी की दी चेतावनी, इन राज्यों में बारिश का अलर्ट - Severe Heat In Eastern India

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के दौरान गर्मी के प्रभाव की समीक्षा के लिए चुनाव आयोग (ECI) ने एक टास्क फोर्स गठित की है. टास्क फोर्स गठित होने के एक दिन बाद स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंगलवार को मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गर्मी और हीट वेव की स्थिति को लेकर बैठक की. इस दौरान चंद्रा ने देशभर के अस्पतालों की वर्तमान स्थिति का भी जायजा लिया.

बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, 'संबंधित अधिकारियों को अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है. पिछले कुछ समय से कई राज्यों के अस्पतालों में लू से जुड़ी शिकायतें मिल रही हैं.'

अधिकारी के मुताबिक चंद्रा ने बैठक में मौजूद सदस्यों को लू प्रभावित राज्यों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया है. अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय गर्मी की लहरों को लेकर मौसम विभाग के साथ लगातार संपर्क में है.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी: गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में हीट वेव को देखते हुए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें लोगों से गर्मी की लहरों से खुद को बचाने के लिए कुछ निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में लोगों से हाइड्रेटेड रहने, सतर्क रहने और घर के अंदर रहने के लिए कहा है. इसके अलावा मंत्रालय ने बच्चों, गर्भवती महिलाओं और शारीरिक रूप से बीमार लोगों लोगों पर विशेष ध्यान देने को कहा है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय: ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली के मैक्स अस्पताल की इंटरनल मेडिसिन डायरेक्टर डॉ. मोनिका महाजन ने कहा कि थकान और मांसपेशियों में ऐंठन हीट वेव के मूल लक्षण हैं. गर्मी के कारण लोग थक जाते हैं और कमजोरी और सुस्ती के साथ मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द होने लगता है.

डिहाइड्रेशन का शिकार हो रहे लोग: उन्होंने कहा, 'फिलहाल हमें लोगों से गर्मी के संपर्क में आने पर थकान, मांसपेशियों में दर्द की शिकायतें मिलनी शुरू हो गई हैं. गर्मी और फूड पॉइजनिंग के कारण गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया भी होने लगा है. इसके अलावा लोग डिहाइड्रेशन का शिकार भी होने लगे हैं.'

गर्मी से बचने के लिए क्या करें?: डॉ. मोनिका ने कहा कि गर्मी की लहरों से बचने के लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा ताजा नींबू, पानी और जूस का सेवन करना चाहिए. इसके अलावा लोगों को ताजा बना खाना खाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों को घर के बाहर कच्चा सलाद खाने से बचना चाहिए.

क्या होती है लू?: लू हवा के तापमान की एक स्थिति है जो मानव शरीर के लिए घातक हो सकती है. जब मैदानी इलाकों का तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक तक पहुंच जाता है, तो उसे लू माना जाता है.

भारत में कब और कहां होती है हीट वेव?: भारत में हीट वेव मुख्य रूप से मार्च से जून के दौरान और कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई में होती है. सबसे ज्यादा गर्मी की लहर मई में होती है. आम तौर पर मार्च से जून महीने के दौरान गर्मी की लहरें उत्तर पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्व और उत्तरी प्रायद्वीपीय और भारत के मैदानी इलाकों में होती हैं. इनमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्से, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं. कभी-कभी यह तमिलनाडु और केरल में भी पहुंच जाती हैं.

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