चंडीगढ़: हरियाणा में एक राज्यसभा सीट के लिए चुनाव कांग्रेस और जेजेपी के बीच राजनीतिक जंग का सबब बन गया है. ऐसा लग रहा है जैसे इसके बहाने दोनों दल पॉलिटिकल स्कोर में एक दूसरे को मत देना चाह रही हैं. इसलिए पहले नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का इस पर बयान आया. उसके बाद जेजेपी के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर हमला बोला. वहीं दुष्यंत के बयान पर हुड्डा ने फिर से पलटवार किया.
कहां से शुरू हुई राज्यसभा चुनाव पर जेजेपी-कांग्रेस की जंग
20 जून को कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने राज्यपाल को प्रदेश सरकार को अल्पमत में होने पर बर्खास्त कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर ज्ञापन सौंपा था. इसी दिन मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा से जब सवाल किया गया कि राज्यसभा सीट पर कांग्रेस क्या उम्मीदवार उतारेगी? इस पर उन्होंने कहा था कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पास नंबर नही है. इसके लिए हमें 15, 16 सदस्यों का साथ चाहिए. अगर 16 लोग साथ आते हैं तो हम उनको समर्थन दे देंगे. बगैर नंबर के हम क्यों लड़ेंगे. हुड्डा ने कहा कि हम खुद किसी से बात नहीं करेंगे. अगर कोई सामने से बात करने आएगा तो हम बात करेंगे.
हुड्डा का दुष्यंत चौटाला पर पलटवार
हुड्डा के इसी बयान को लेकर दुष्यंत चौटाला ने 27 जून को उन पर पलटवार किया. दुष्यंत चौटाला ने कहा कि उन्होंने ये दिखाने की भी कोशिश भी की कि कांग्रेस ने इस मामले में बीजेपी के साथ सांठगांठ कर रखी है. दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि जनता को समझना होगा कि हरियाणा में विपक्ष का सबसे बड़ा दल कांग्रेस है. ऐसे में विपक्ष के नेता का यह कहना कि छोटे दल मिलकर अपना उम्मीदवार लाएं हैरान करता है. अगर कांग्रेस बीजेपी से टकराना चाहती है तो हार जीत की ओर नहीं देखना चाहिए.
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हमें संयुक्त तौर पर कोई भी ऐसा सामाजिक व्यक्ति चाहिए, जो प्रदेश को अच्छा नेतृत्व दे पाए. अगर कांग्रेस ऐसा उम्मीदवार लाती है तो हम उसका समर्थन करते हैं. अगर प्रदेश के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति, या कॉमनवेल्थ, ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी को संयुक्त उम्मीदवार बनाएं तो हम समर्थन देने को तैयार हैं. लेकिन नेता विपक्ष का यह कहना कि हमारे पास नंबर नहीं है यह सही नहीं है.
अब जब दुष्यंत चौटाला का ये बयान आया तो एक बार फिर से नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दुष्यंत चौटाला पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि कहा कि दुष्यंत चौटाला 14 विधायक इकट्ठे होकर हमें कंफर्म कर दें तो हम उम्मीदवार दे देंगे. चाहे तो वो अपना प्रत्याशी दे दें लेकिन 14 विधायक इकट्ठे तो हो जाएं. अगर वह 14 विधायक एकत्रित होकर अपना प्रत्याशी उतारें तो भी हमें कोई एतराज नहीं है. अगर बीजेपी के खिलाफ उनकी नियत लड़ने की कि है तो 14 विधायक लेकर आयें.
क्या है हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति?
राज्यसभा चुनाव में जिस पार्टी के पास आधे से ज्यादा विधायक होंगे, उसका उम्मीदवार जीत को लेकर आश्वस्त होगा. अभी हरियाणा विधानसभा में सदस्यों की संख्या 87 है. जिसमें बीजेपी के 41, एक निर्दलीय और हलोपा के विधायक का उसको समर्थन है. यानी बीजेपी का आंकड़ा 43 दिखाई देता है. वहीं कांग्रेस के 29 विधायक हैं. तीन निर्दलीय उनके साथ हैं. इस हिसाब से उनका आंकड़ा 32 दिखाई देता है. वहीं जेजेपी के 10, इनेलो एक और एक निर्दलीय विधायक सदन में हैं. अगर विपक्ष के सभी लोग एक हो जाएं तो फिर उनका आंकड़ा 44 हो जायेगा. जिससे वो बीजेपी को चुनौती दे पाएंगे.
हुड्डा क्यों कर रहे 14 विधायकों के समर्थन की बात?
कांग्रेस के 29 और 3 निर्दलीयों के समर्थन के बाद कांग्रेस का आंकड़ा 32 है. 10 जेजेपी, इनेलो एक और एक निर्दलीय बलराज कुंडू को जोड़ दिया जाए तो 12 का आंकड़ा है. यानी 32 और 12 जोड़कर 44 हो जाता है. लेकिन उसके बाद भी हुड्डा 14 सदस्यों को इकट्ठा करने की बात क्यों कर रहे हैं. कांग्रेस ने पार्टी छोड़कर बीजेपी में गई किरण चौधरी को बर्खास्त करने के लिए स्पीकर को पत्र लिखा है.
यानी कांग्रेस अब किरण चौधरी को अपने पाले में नहीं मानकर चल रही है. ऐसे में कांग्रेस के 28 विधायक बचते हैं. वहीं 3 निर्दलीय मिलाकर आंकड़ा 31 रह जाता है. और 10 जेजेपी, एक इनेलो और एक बलराज कुंडू को मिलाकर कुल नंबर 43 हो जाता है. यानी बीजेपी और विपक्ष 43-43 के बराबर नंबर पर आ जाते हैं. ऐसे में दो और विधायकों का समर्थन विपक्ष को चाहिए होगा. तब जाकर उनका आंकड़ा 45 होगा.
विपक्ष के लिए ये नई समस्या
विपक्ष के लिए मसला यहीं नहीं फंसा है, बल्कि एक समस्या और है. जेजेपी ने भी अपने दो विधायकों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए विधानसभा स्पीकर को पत्र लिखा है. यानी विपक्ष के कुल तीन विधायकों की सदस्यता का फैसला स्पीकर के पास अटका पड़ा है. ऐसे में स्पीकर कोई एक्शन लें या नहीं लें यो उनके विवेक पर निर्भर करता है. लेकिन जेजेपी के दो विधायक साथ आयेंगे उसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. वो बीजेपी के पाले में खड़े हैं. यानि विपक्ष के 43 में से 2 विधायक और कम होने से उनका आंकड़ा 41 रह जाता है.
क्या कहते हैं इस मामले में जानकार?
राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा जो कह रहे हैं वो राजनीतिक तौर पर सही दिखाई देता है. उनका इस मामले में जेजेपी को लेकर ही दुविधा है. जेजेपी ने खुद दो विधायकों के खिलाफ स्पीकर से कार्रवाई करने की मांग की हुई है. जबकि बाकी पांच को लेकर भी साफ नहीं है कि वो किसके पक्ष में वोट करेंगे. ऐसे में हुड्डा का 14 का समर्थन इकट्ठा करके लाने की बात सही लगती है. क्योंकि राज्यसभा सीट बयानों से नहीं आंकड़ों से जीती जायेगी. इसलिए यो राजनीतिक नूरा कुश्ती से ज्यादा कुछ नहीं है.
हरियाणा में कितनी है राज्यसभा सीटें?
हरियाणा में राज्यसभा की पांच सीटें हैं. जिसमें से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रहे दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हो गई है. इसी सीट पर चुनाव भी होने हैं. जिसको लेकर ये बयानबाजी हो रही है. कांग्रेस आंकड़ों का हवाला देकर प्रत्याशी उतारने से कतरा रही है, वहीं जेजेपी कांग्रेस के इस कदम को बीजेपी के साथ सांठगांठ बता रही है. बीजेपी इस सीट को हर हाल में जीतना चाहेगी. बाकी 4 में से 3 पर बीजेपी के सुभाष बराला, कृष्ण लाल पंवार और रामचंद्र जांगडा सांसद हैं, जबकि एक सीट पर निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा सांसद हैं.