चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर रही है. बात बीजेपी की करें, तो उसने गुरुग्राम में बैठक कर उम्मीदवारों के नाम लगभग फाइनल कर लिए है. जिस पर अंतिम मुहर हाई कमान लगाएगा. उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव से पहले की सीएम चेहरे का ऐलान कर चुका है. इसके बाद भी कुछ नेताओं ने सीएम बनने की इच्छा जताई है.
हरियाणा बीजेपी में सीएम चेहरा कौन? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि नायब सैनी के नेतृत्व में ही बीजेपी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ेगी. बावजूद इसके कुलदीप बिश्नोई और जेपी दलाल सरीखे नेताओं की सीएम बनने की इच्छाएं भी हिलोरे मार रही हैं. हालांकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी कई बार इस तरह की इच्छा जीता चुके हैं. जिसको देखकर लग रहा है कि बीजेपी के नेता अपनी इच्छाओं को नहीं दबा पा रहे हैं.
कुलदीप बिश्नोई ने जाहिर की इच्छा: हाल ही में बीजेपी नेता कुलदीप बिश्नोई का बयान सामने आया. जिसमें उन्होंने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की. उन्होंने कहा "मुझे लालच नहीं है कि सीएम बनना है, लेकिन सीएम की दौड़ में तो मैं हमेशा रहूंगा." उन्होंने पूर्व सीएम मनोहर लाल के भजन लाल को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि उसका पार्टी को नुकसान भी हुआ. कुलदीप बिश्नोई ने ये भी जताने की कोशिश की है कि उनके पिता पूर्व सीएम भजनलाल के चाहने वाले प्रदेश की हर विधानसभा क्षेत्र में है.
बीजेपी नेता दिखा रहे बागी तेवर! बीजेपी को संगठन की पार्टी माना जाता है. वहां पार्टी नेताओं के इस तरह खुलकर बयान कम ही देखने को मिलते हैं. ऐसे में कुछ वक्त से लगातार हरियाणा हो या अन्य राज्य बीजेपी नेताओं के बागी तेवर दिखाई दे रहे हैं. जिससे ये लग रहा है कि कहीं ना कहीं पार्टी के अंदर भी स्थितियां पहले की तरह नहीं रह गईं हैं. बीजेपी के इन नेताओं की खुद के सीएम बनने की इच्छा के इन बयानों के क्या मायने हैं? क्या हरियाणा में बीजेपी के अंदर भी कांग्रेस की तरह हालत बन रहे हैं?
क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ? राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बीजेपी को संगठन वाली पार्टी माना जाता है. बीजेपी में ऐसा बहुत कम होता है कि कोई नेता अपनी भावनाओं को इस तरह व्यक्त करें, लेकिन उत्तर प्रदेश के बाद हरियाणा में अब कुछ नेता खुलकर अपनी बात करने लगे हैं. हालांकि हरियाणा में जो नेता खुलकर अपनी इच्छा को लेकर कह रहे हैं. वो अन्य दलों से बीजेपी में आए हैं. फिर भी इस तरह के बयान से नेता अनदेखी से पार्टी को अपने तरीके से अवगत करा रहे हैं.
'चुनाव में भारी पड़ सकती है नेताओं की नाराजगी': उन्होंने कहा कि कुलदीप बिश्नोई की नाराजगी बीजेपी के लिए लोकसभा चुनाव में भी भारी पड़ चुकी है. हिसार लोकसभा क्षेत्र की सीट बीजेपी के हाथ से कहीं ना कहीं उनके समर्थकों की नाराजगी की वजह से छिन गई. हालांकि उन्होंने अपने लोगों को मनाने की कोशिशें बहुत की, लेकिन उनके समर्थक नहीं माने. उनके समर्थकों की नाराजगी हिसार ही नहीं बल्कि कई और विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को भारी पड़ी.
'कांग्रेस को मिल सकता है फायदा': धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि बीजेपी के लिए ये इस वक्त सबसे चिंता की बात है कि पार्टी के कुछ नेता अब खुलकर अपनी बात कह रहे हैं. इसका संदेश लोगों के बीच किस तरह जाएगा, ये तो चुनावी नतीजे बताएंगे. लेकिन इसका पार्टी को नुकसान हो सकता है. हो सकता है कि जो नेता इस तरह से बयान दे रहे हैं. वो अपने इन बयानों से उनकी पार्टी में हो रही अनदेखी से अवगत करवाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि पार्टी उन्हें इतना तो दे से जिसके वे खुद को हकदार मानते हैं. इन नेताओं के बयानों ने विपक्ष खासतौर कांग्रेस को जरूर फायदा मिल सकता है.