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हिमालय में दिखी आपसी सद्भाव की मिसाल, गोम्पा भूमि पूजन में एकजुट हुए कारगिल-लेह के समुदाय - Harmony in the Himalaya - HARMONY IN THE HIMALAYA

Harmony in the Himalayas: कारगिल में गोम्पा निर्माण स्थल पर एक भूमि पूजन समारोह में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के सदस्य सज्जाद कारगिली शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोगों ने बातचीत के जरिए लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सुलझाकर सौहार्द की मिसाल कायम की है.

Bumi Pujan
भूमि पूजन में एकजुट हुए कारगिल-लेह के समुदाय (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 22, 2024, 6:30 PM IST

श्रीनगर: कारगिल के जिला अस्पताल के पास शुक्रवार को गोम्पा निर्माण स्थल (बौद्ध मंदिर) पर एक ऐतिहासिक भूमि पूजन समारोह हुआ. इस समारोह में इलाके के कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया. इस दौरान उन्होंने एकता और सहयोग की भावना का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में शामिल होने वालो में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC) कारगिल के अध्यक्ष डॉ जाफर अखोने, कार्यकारी पार्षद पंचोक ताशी और काचो मोहम्मद फिरोज और पार्षद जाकिर हुसैन शामिल थे.

इनके अलावा लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) के अध्यक्ष त्सेरिंग लकरोक, एलबीए कारगिल के अध्यक्ष त्सेरिंग मोरूप और विभिन्न धार्मिक नेता और भिक्षु भी प्रोग्राम में शामिल हुए.इस दौरा अपने संबोधन में डॉ. अखोने ने समारोह को कारगिल के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में इसके महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बौद्ध समुदाय के LAHDC कारगिल के लिए अटूट समर्थन की सराहना की और निरंतर सहायता का वचन दिया.

52 साल पुराना विवाद सुलझा
वहीं, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य सज्जाद कारगिली ने कहा कि लद्दाख के लोगों ने बातचीत के जरिए लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सुलझाकर सौहार्द की मिसाल कायम की है. उन्होंने एलबीए से जांस्कर में इमाम बारगाह के निर्माण में सहायता करने, लेह में ईदगाह के लिए भूमि आवंटित करने और बोध खारबू में प्राचीन मस्जिद के जीर्णोद्धार में तेजी लाने का आग्रह भी किया. सज्जाद ने आगे कहा कि 3 सितंबर, 2022 के एक ऐतिहासिक प्रस्ताव ने कारगिल में गोम्पा के निर्माण पर 52 साल पुराने विवाद को समाप्त कर दिया.

सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा विवाद
बता दें कि 1969 में कुर्बाथांग पठार पर आवासीय उपयोग के लिए भूमि निर्धारित करने के सरकारी आदेश से विवाद हो गया था, जिसे अब सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है. इसके लिए कारगिल के नेताओं ने लेह के बौद्ध नेताओं को दो कनाल भूमि आवंटित की, जिससे निर्माण शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. मामले में दोनों क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के एक संयुक्त बयान में सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वभौमिक भाईचारे के प्रति अपने समर्पण पर जोर दिया गया.

यह भी पढ़ें- दूरसंचार विधेयक 2023: आपात स्थिति में सभी नेटवर्क अपने कब्जे में लेगी सरकार, कंपनियों का कंट्रोल होगा खत्म

श्रीनगर: कारगिल के जिला अस्पताल के पास शुक्रवार को गोम्पा निर्माण स्थल (बौद्ध मंदिर) पर एक ऐतिहासिक भूमि पूजन समारोह हुआ. इस समारोह में इलाके के कई गणमान्य लोगों ने भाग लिया. इस दौरान उन्होंने एकता और सहयोग की भावना का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में शामिल होने वालो में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC) कारगिल के अध्यक्ष डॉ जाफर अखोने, कार्यकारी पार्षद पंचोक ताशी और काचो मोहम्मद फिरोज और पार्षद जाकिर हुसैन शामिल थे.

इनके अलावा लद्दाख बौद्ध संघ (LBA) के अध्यक्ष त्सेरिंग लकरोक, एलबीए कारगिल के अध्यक्ष त्सेरिंग मोरूप और विभिन्न धार्मिक नेता और भिक्षु भी प्रोग्राम में शामिल हुए.इस दौरा अपने संबोधन में डॉ. अखोने ने समारोह को कारगिल के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने में इसके महत्व पर जोर दिया. उन्होंने बौद्ध समुदाय के LAHDC कारगिल के लिए अटूट समर्थन की सराहना की और निरंतर सहायता का वचन दिया.

52 साल पुराना विवाद सुलझा
वहीं, कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य सज्जाद कारगिली ने कहा कि लद्दाख के लोगों ने बातचीत के जरिए लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे को सुलझाकर सौहार्द की मिसाल कायम की है. उन्होंने एलबीए से जांस्कर में इमाम बारगाह के निर्माण में सहायता करने, लेह में ईदगाह के लिए भूमि आवंटित करने और बोध खारबू में प्राचीन मस्जिद के जीर्णोद्धार में तेजी लाने का आग्रह भी किया. सज्जाद ने आगे कहा कि 3 सितंबर, 2022 के एक ऐतिहासिक प्रस्ताव ने कारगिल में गोम्पा के निर्माण पर 52 साल पुराने विवाद को समाप्त कर दिया.

सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा विवाद
बता दें कि 1969 में कुर्बाथांग पठार पर आवासीय उपयोग के लिए भूमि निर्धारित करने के सरकारी आदेश से विवाद हो गया था, जिसे अब सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया है. इसके लिए कारगिल के नेताओं ने लेह के बौद्ध नेताओं को दो कनाल भूमि आवंटित की, जिससे निर्माण शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. मामले में दोनों क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के एक संयुक्त बयान में सांप्रदायिक सद्भाव और सार्वभौमिक भाईचारे के प्रति अपने समर्पण पर जोर दिया गया.

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