हल्द्वानी: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हल्द्वानी पहुंचे तो मीडिया ने उसे हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट के बारे में सवाल कर दिया. इस पर हरीश रावत का पुत्र प्रेम जाग गया. हरीश रावत ने कहा कि ये फैसला कांग्रेस पार्टी को करना है. कहां से किसे लड़ाना है ये मेरा अधिकार नहीं है. लेकिन इसके साथ ही हरीश रावत ने अपने बेटे को टिकट मिलने की इच्छा जता दी.
हरीश रावत बेटे को राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते हैं: हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जो फैसला करेगा, वह उन्हें मंजूर है. लेकिन मेरा मन है और मैं पार्टी से भी कहूंगा कि मेरे बेटे को चुनाव लड़ाया जाए. उन्होंने कहा कि उनका बेटा बहुत दिनों से समाज और राजनीतिक क्षेत्र में कार्य कर रहा है. कार्य करने वाले को पुरस्कार और सम्मान भी मिलना चाहिए जिससे पार्टी को भी लाभ होगा.
आनंद रावत हैं हरीश रावत के बेटे: पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत के बेटे का नाम आनंद रावत है. आनंद उत्तराखंड यूथ कांग्रेस के प्रेसिडेंट रह चुके हैं. वो 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. तब आनंद रावत ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से कहा था कि मेरे पिता मेरे विचारों से परेशान रहते हैं. उन्होंने यहां तक लिख दिया था कि शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा. हरीश रावत ने अपने बेटे की पोस्ट पर जवाब देते हुए एक फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था, “आनंद मैंने तुम्हें कभी येड़ा नहीं समझा. वक्त ने मजबूरन समझा दिया.
हरीश रावत की बेटी हैं विधायक: हरीश रावत की बेटी भी राजनीति में हैं. अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण से कांग्रेस की विधायक हैं. पेशे से वकील अनुपमा रावत ने 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के यतीश्वरानंद को हराया था. उन्होंने चुनावी हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 14 करोड़ के करीब बताई थीं. बेटी को राजनीति में स्थापित करने के बाद अब हरीश रावत बेटे को भी सेटल करना चाहते हैं.
नीतीश कुमार पर कसा तंज: हरीश रावत ने बिहार की पॉलिटिक्स पर भी बात की. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन में जाने का मुझे बहुत दुख है. वह मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं, लेकिन वह भी भाजपा शरणम गच्छामि हो गए. उन्होंने एनडीए गठबंधन में जाकर अपना पूरा राजनीतिक व्यक्तित्व समाप्त कर दिया, जबकि लोग उन्हें संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखने लगे थे. उनके द्वारा इस तरह का कदम उठाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका खामियाजा उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार एनडीए के भावी प्रधानमंत्री थे, लेकिन भाजपा की शरण में जाकर बैठ गए.
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