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ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाना में पूजा-पाठ का अधिकार मिला - व्यास जी का तहखाना

वाराणसी जिला कोर्ट (Varanasi District Court) ने आज सुनवाई के बाद व्यास जी के तहखाना (Vyas Ji Basement) में पूजा का अधिकार दे दिया है. इस पूजा पाठ को शुरू करने के लिए विश्वनाथ मंदिर न्यास को एक पुजारी नियुक्त करके एक सप्ताह के अंदर पूजा शुरू करने का आदेश दिया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 3:24 PM IST

Updated : Jan 31, 2024, 5:42 PM IST

व्यास जी के तहखाना में पूजा-पाठ का अधिकार मिला

वाराणसी: वाराणसी ज्ञानवापी मामले में पिछले दिनों आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट सामने आने के बाद बुधवार को एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनाया. जिला जज की तरफ से स्पष्ट रूप से आदेश दिया गया है कि हिंदू पक्ष व्यास जी के तहखाना और दक्षिणी हिस्से यानी जो बड़ा नदी है, उसके सामने के हिस्से में प्रवेश करके पूजा पाठ कर सकता है. इस पूजा पाठ को शुरू करने के लिए विश्वनाथ मंदिर न्यास को एक पुजारी नियुक्त करके एक सप्ताह के अंदर पूजा शुरू करने का आदेश दिया गया है. इसके बाद अब वादी पक्ष की महिलाएं बेहद खुश हैं.

व्यास जी के तहखाने के फैसले पर वादी पक्ष के अधिवक्ता और अंजुमन इंतजामियां कमेटी के मुख्य अधिवक्ता से बातचीत

रेखा पाठक का कहना है कि अब हम अंदर जाकर पूजा कर सकेंगे. इससे बड़ी खुशी की बात कोई नहीं है. यह हमारे लिए बड़ी जीत है कि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ज्ञानवापी का स्थान हिंदुओं का है और वहां पर पूजा होती रही है. वहीं, इस मामले में सोमनाथ व्यास जो दिवंगत हो चुके हैं, उनके नाती शैलेंद्र पाठक की तरफ से दी गई एप्लीकेशन के बाद आज फैसले को दृष्टिगत रखते हुए उनके वकील विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि स्पष्ट तौर पर 1993 तक हो रही पूजा पाठ को आधार बनाकर हमारी तरफ से यहां पर पूजा का अधिकार मांगा गया था. इस पर कोर्ट ने अपना स्पष्ट निर्देश सुनाया है. उन्होंने कहा कि इस स्थान का अपना महत्व है. जहां पर सोमनाथ व्यास लंबे वक्त तक रामचरितमानस का पाठ और पूजा पाठ करते रहे.

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बैरिकेडिंग काटकर इसी रास्ते से होगी एंट्री

फैसले के बाद अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के वकील का कहना है कि यह फैसला बिल्कुल गलत है. पिछले दिनों हुई कमीशन की कार्यवाही और सर्वे में यह बात कहीं से साबित नहीं हुई है कि अंदर कोई मूर्ति है या शिवलिंग. किस आधार पर यह अधिकार दिया गया है और पूजा किस चीज की होगी, हमें नहीं पता. हम अपनी लड़ाई को आगे जारी रखेंगे. हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर अपील करेंगे.

जितेंद्रानंद सरस्वती ने फैसले की प्रशंसा की

सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने फैसले पर जताई खुशी

सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने फैसले पर खुशी जाहिर की है. उनका कहना है कि 400 साल के इंतजार के बाद यह हमें बड़ी जीत मिली है. उन्होंने बताया कि 1992 में वे लगभग 16 साल के थे. तब अंतिम बार तहखाने के अंदर पूजा करने के लिए गया था. उनका कहना है कि तहखाने के अंदर एक छोटा शिवलिंग, भगवान विष्णु और हनुमान जी की मूर्ति के अलावा गंगा मां की सवारी घड़ियाल भी मौजूद है, जिसका पूजन लंबे वक्त से होता आया था. क्योंकि, बैरिकेडिंग होने के बाद अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली और समय भी नहीं मिल पाया. इसकी वजह से अंदर हम प्रवेश नहीं कर पाए और कई दिनों से रख-रखाव न होने की वजह से ऊपर का हिस्सा गिर गया और सब मूर्तियां मलबे में दब गईं. इसकी वजह से वह खंडित हो गईं. कुछ खंडित मूर्तियां पहले से मौजूद थीं, जिनका भी पूजन पाठ उनके नाना सोमनाथ व्यास पूर्ण करते थे और वे लोग सुबह शाम जाकर वहां पूजा किया करते थे. अब यह अधिकार मिलने के बाद बेहद खुश हैं और एक बार फिर से उन मूर्तियों को सही करके उनका पूजन-पाठ करेंगे.

वही इस मुकदमे के वादी और इस पूरे प्रकरण में व्यास जी के सहयोगी रहे लिंगायत महाराज का कहना है कि यह पूरा मुकदमा लंबे वक्त से हम लड़ रहे हैं. लेकिन आज हमें सच में बड़ी जीत मिली है. उनका कहना है कि वे खुद अंदर गए हैं. यहां पर भगवान आदि विशेश्वर का शिवलिंग होने के साथ ही भगवान गणेश विष्णु सूर्या और हनुमान की प्रतिमाएं मौजूद थीं. इस तहखाना के अंदर वह तमाम चीज मौजूद हैं, जो यह स्पष्ट करती हैं कि यह पूरा परिसर सनातन धर्म का है और उनकी चीज यहां मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि हम शुरू से यहां जाकर पूजा पाठ करते थे. सुबह शाम दोनों वक्त पूजा होती थी और इस आदेश के बाद फिर से पूजा दोनों वक्त शुरू होगी जो बड़ी जीत है. हम नदी के सामने वाली बैरिकेडिंग को काटकर अंदर दाखिल होंगे. जैसा कोर्ट ने आदेश दिया है. उसके बाद यह व्यवस्था जिलाधिकारी वाराणसी को करनी है.

वाराणसी में व्यास परिवार के वंश का विवरण

1551 से व्यास के परिवार की डिटेल मिलती है. वाराणसी में व्यास परिवार वंशवृक्ष 1551 से मिलता है. सबसे पहले व्यास शतानंद व्यास थे, जो 1551 में इस मंदिर में व्यास थे. इसके बाद सुखदेव व्यास (1669), शिवनाथ व्यास (1734), विश्वनाथ व्यास (1800), शंभुनाथ व्यास (1839), रुकनी देवी (1842) महादेव व्यास (1854), कलिका व्यास 1874), लक्ष्मी नारायण व्यास (1883), रघुनंदन व्यास (1905) और बैजनाथ व्यास (1930) तक यह कारवां चला.

बैजनाथ व्यास की बेटी ने आगे वंश बढ़ाया. बैजनाथ व्यास को कोई बेटा नहीं था. इसलिए, उनकी बेटी राजकुमारी ने वंश को आगे बढ़ाया. उनके बेटे सोमनाथ व्यास, चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास और राजनाथ व्यास ने परंपरा को आगे बढ़ाया. सोमनाथ व्यास का देहांत 28 फरवरी 2020 को हुआ. उनकी बेटी ऊषा रानी के बेटे शैलेंद्र कुमार व्यास हैं, जो वर्तमान समय में इस मुकदमे के मुख्य वादी हैं और 1991 के मूलवाड़ लॉर्ड आदि विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वादी के रूप में भी इस मुकदमे में शामिल होने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दे चुके हैं. क्योंकि, सोमनाथ विकास की मृत्यु के बाद इस पूरे मामले को वाद मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी देख रहे हैं. इसलिए शैलेंद्र पाठक इस मुकदमे में सीधे शामिल होना चाह रहे हैं.

बता दें कि यह तहखाना विश्वनाथ मंदिर परिसर के ठीक सामने ज्ञानवापी के नीचे है, जो बड़ा नदी विश्वनाथ मंदिर परिसर में है. उसके सामने के हिस्से में ही यह तहखाना है. जो बैरिकेडिंग की वजह से 1993 से बंद है. मुख्य वाद प्लाट नंबर 9130 यह वही विवादित हिस्सा है, जो ज्ञानवापी का मुख्य हिस्सा माना जाता है. जहां पर जाने की अनुमति मिलने के बाद यह वादी पक्ष की बड़ी जीत मानी जा सकती है.

यह भी पढ़ें: स्वामी जितेंद्रानंद बोले- ज्ञानवापी में मिले हैं मंदिर के प्रमाण, हिंदुओं को सौंप दे मुस्लिम समाज

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी ASI सर्वे रिपोर्ट: परिसर में मिले मुगल काल के सिक्के, पश्चिमी दीवार पुरातन हिंदू मंदिर का हिस्सा

व्यास जी के तहखाना में पूजा-पाठ का अधिकार मिला

वाराणसी: वाराणसी ज्ञानवापी मामले में पिछले दिनों आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट सामने आने के बाद बुधवार को एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला वाराणसी जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनाया. जिला जज की तरफ से स्पष्ट रूप से आदेश दिया गया है कि हिंदू पक्ष व्यास जी के तहखाना और दक्षिणी हिस्से यानी जो बड़ा नदी है, उसके सामने के हिस्से में प्रवेश करके पूजा पाठ कर सकता है. इस पूजा पाठ को शुरू करने के लिए विश्वनाथ मंदिर न्यास को एक पुजारी नियुक्त करके एक सप्ताह के अंदर पूजा शुरू करने का आदेश दिया गया है. इसके बाद अब वादी पक्ष की महिलाएं बेहद खुश हैं.

व्यास जी के तहखाने के फैसले पर वादी पक्ष के अधिवक्ता और अंजुमन इंतजामियां कमेटी के मुख्य अधिवक्ता से बातचीत

रेखा पाठक का कहना है कि अब हम अंदर जाकर पूजा कर सकेंगे. इससे बड़ी खुशी की बात कोई नहीं है. यह हमारे लिए बड़ी जीत है कि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ज्ञानवापी का स्थान हिंदुओं का है और वहां पर पूजा होती रही है. वहीं, इस मामले में सोमनाथ व्यास जो दिवंगत हो चुके हैं, उनके नाती शैलेंद्र पाठक की तरफ से दी गई एप्लीकेशन के बाद आज फैसले को दृष्टिगत रखते हुए उनके वकील विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी और सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि स्पष्ट तौर पर 1993 तक हो रही पूजा पाठ को आधार बनाकर हमारी तरफ से यहां पर पूजा का अधिकार मांगा गया था. इस पर कोर्ट ने अपना स्पष्ट निर्देश सुनाया है. उन्होंने कहा कि इस स्थान का अपना महत्व है. जहां पर सोमनाथ व्यास लंबे वक्त तक रामचरितमानस का पाठ और पूजा पाठ करते रहे.

etv bharat
बैरिकेडिंग काटकर इसी रास्ते से होगी एंट्री

फैसले के बाद अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के वकील का कहना है कि यह फैसला बिल्कुल गलत है. पिछले दिनों हुई कमीशन की कार्यवाही और सर्वे में यह बात कहीं से साबित नहीं हुई है कि अंदर कोई मूर्ति है या शिवलिंग. किस आधार पर यह अधिकार दिया गया है और पूजा किस चीज की होगी, हमें नहीं पता. हम अपनी लड़ाई को आगे जारी रखेंगे. हाईकोर्ट में इस आदेश के खिलाफ प्रार्थना पत्र देकर अपील करेंगे.

जितेंद्रानंद सरस्वती ने फैसले की प्रशंसा की

सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने फैसले पर जताई खुशी

सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक ने फैसले पर खुशी जाहिर की है. उनका कहना है कि 400 साल के इंतजार के बाद यह हमें बड़ी जीत मिली है. उन्होंने बताया कि 1992 में वे लगभग 16 साल के थे. तब अंतिम बार तहखाने के अंदर पूजा करने के लिए गया था. उनका कहना है कि तहखाने के अंदर एक छोटा शिवलिंग, भगवान विष्णु और हनुमान जी की मूर्ति के अलावा गंगा मां की सवारी घड़ियाल भी मौजूद है, जिसका पूजन लंबे वक्त से होता आया था. क्योंकि, बैरिकेडिंग होने के बाद अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली और समय भी नहीं मिल पाया. इसकी वजह से अंदर हम प्रवेश नहीं कर पाए और कई दिनों से रख-रखाव न होने की वजह से ऊपर का हिस्सा गिर गया और सब मूर्तियां मलबे में दब गईं. इसकी वजह से वह खंडित हो गईं. कुछ खंडित मूर्तियां पहले से मौजूद थीं, जिनका भी पूजन पाठ उनके नाना सोमनाथ व्यास पूर्ण करते थे और वे लोग सुबह शाम जाकर वहां पूजा किया करते थे. अब यह अधिकार मिलने के बाद बेहद खुश हैं और एक बार फिर से उन मूर्तियों को सही करके उनका पूजन-पाठ करेंगे.

वही इस मुकदमे के वादी और इस पूरे प्रकरण में व्यास जी के सहयोगी रहे लिंगायत महाराज का कहना है कि यह पूरा मुकदमा लंबे वक्त से हम लड़ रहे हैं. लेकिन आज हमें सच में बड़ी जीत मिली है. उनका कहना है कि वे खुद अंदर गए हैं. यहां पर भगवान आदि विशेश्वर का शिवलिंग होने के साथ ही भगवान गणेश विष्णु सूर्या और हनुमान की प्रतिमाएं मौजूद थीं. इस तहखाना के अंदर वह तमाम चीज मौजूद हैं, जो यह स्पष्ट करती हैं कि यह पूरा परिसर सनातन धर्म का है और उनकी चीज यहां मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि हम शुरू से यहां जाकर पूजा पाठ करते थे. सुबह शाम दोनों वक्त पूजा होती थी और इस आदेश के बाद फिर से पूजा दोनों वक्त शुरू होगी जो बड़ी जीत है. हम नदी के सामने वाली बैरिकेडिंग को काटकर अंदर दाखिल होंगे. जैसा कोर्ट ने आदेश दिया है. उसके बाद यह व्यवस्था जिलाधिकारी वाराणसी को करनी है.

वाराणसी में व्यास परिवार के वंश का विवरण

1551 से व्यास के परिवार की डिटेल मिलती है. वाराणसी में व्यास परिवार वंशवृक्ष 1551 से मिलता है. सबसे पहले व्यास शतानंद व्यास थे, जो 1551 में इस मंदिर में व्यास थे. इसके बाद सुखदेव व्यास (1669), शिवनाथ व्यास (1734), विश्वनाथ व्यास (1800), शंभुनाथ व्यास (1839), रुकनी देवी (1842) महादेव व्यास (1854), कलिका व्यास 1874), लक्ष्मी नारायण व्यास (1883), रघुनंदन व्यास (1905) और बैजनाथ व्यास (1930) तक यह कारवां चला.

बैजनाथ व्यास की बेटी ने आगे वंश बढ़ाया. बैजनाथ व्यास को कोई बेटा नहीं था. इसलिए, उनकी बेटी राजकुमारी ने वंश को आगे बढ़ाया. उनके बेटे सोमनाथ व्यास, चंद्र व्यास, केदारनाथ व्यास और राजनाथ व्यास ने परंपरा को आगे बढ़ाया. सोमनाथ व्यास का देहांत 28 फरवरी 2020 को हुआ. उनकी बेटी ऊषा रानी के बेटे शैलेंद्र कुमार व्यास हैं, जो वर्तमान समय में इस मुकदमे के मुख्य वादी हैं और 1991 के मूलवाड़ लॉर्ड आदि विशेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वादी के रूप में भी इस मुकदमे में शामिल होने के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दे चुके हैं. क्योंकि, सोमनाथ विकास की मृत्यु के बाद इस पूरे मामले को वाद मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी देख रहे हैं. इसलिए शैलेंद्र पाठक इस मुकदमे में सीधे शामिल होना चाह रहे हैं.

बता दें कि यह तहखाना विश्वनाथ मंदिर परिसर के ठीक सामने ज्ञानवापी के नीचे है, जो बड़ा नदी विश्वनाथ मंदिर परिसर में है. उसके सामने के हिस्से में ही यह तहखाना है. जो बैरिकेडिंग की वजह से 1993 से बंद है. मुख्य वाद प्लाट नंबर 9130 यह वही विवादित हिस्सा है, जो ज्ञानवापी का मुख्य हिस्सा माना जाता है. जहां पर जाने की अनुमति मिलने के बाद यह वादी पक्ष की बड़ी जीत मानी जा सकती है.

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Last Updated : Jan 31, 2024, 5:42 PM IST
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