वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में गुरुवार को वादी और प्रतिवादी पक्ष को 18 दिसंबर को फाइल की गई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सर्वे की रिपोर्ट की कॉपी दोनों पक्षों को मिल गई है. बुधवार को देर शाम वाराणसी जिला जज ने आदेश देकर सर्वे की कॉपी संबंधित मुकदमे से जुड़े लोगों को उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था. इसके बाद अब वादी-प्रतिवादी पक्ष ने गुरुवार को एप्लीकेशन देकर सर्वे की कॉपी की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की थी. ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट हासिल करने के लिए अब तक 11 लोगों ने कोर्ट में एप्लीकेशन दी है. इसमें 1600 से ज्यादा पन्नों के लिए 2 रुपये प्रति पन्ने के हिसाब से 3200 रुपये और 300 रुपये अतिरिक्त यानी कुल 3500 रुपये एक पक्ष की तरफ से जमा किए गए हैं.
90 दिनों तक चली एएसआई सर्वे की कार्रवाई : दरअसल, वाराणसी में लगभग 90 दिनों तक चली एएसआई सर्वे की कार्रवाई के बाद 2 नवंबर को यह पूर्ण हुई थी. इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से उनके वकील अमित श्रीवास्तव रिपोर्ट तैयार न होने की बात करते हुए लगातार कोर्ट से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगते रहे. इन सब के बीच तीन अलग-अलग पाठ में हुए सर्वे जिसमें पहले हिस्से में कलाकृतियों से लेकर यहां मौजूद मूर्तियां और अन्य चीजों की लिस्टिंग, दूसरे यहां की मिट्टी और कलाकृतियों की जांच और इसके अतिरिक्त हैदराबाद और आईआईटी कानपुर की मदद से जीपीआर यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार के जरिए लगभग 7 फीट अंदर तक छुपी सच्चाई को जानने की कोशिश की गई थी.
18 दिसंबर को कोर्ट में दाखिल की गई थी रिपोर्ट : जीपीआर टेक्नोलॉजी रडार का भी प्रयोग किया गया था, जिसकी रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूएस की रडार कंपनी का भी सहयोग लिया गया है. इन सारी रिपोर्ट को तैयार करने में लगभग 37 दिन से ज्यादा का वक्त लगा और उसके बाद यह रिपोर्ट 18 दिसंबर को कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से यह विरोध किया गया था कि रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में क्यों दाखिल हुई है और इसकी कॉपी जल्द उपलब्ध करवाई जाए. मुस्लिम पक्ष ने पहले तो विरोध किया, लेकिन बाद में उन्होंने भी इसकी कॉपी कोर्ट से उपलब्ध करवाने के अपील की थी. जिसके बाद सुनवाई जारी थी और बुधवार देर शाम कोर्ट ने एएसआई सर्वे की कॉपी दोनों पक्षों को उपलब्ध करवाने का आदेश जारी किया है.
फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी सुनवाई : इस बारे में विष्णु शंकर जैन का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद अब हम कॉपी लेने के लिए आज न्यायिक प्रक्रिया को पूर्ण करते हुए एक एप्लीकेशन फॉर्म के साथ जमा करेंगे, जो अलग-अलग स्तर पर जांच होने के बाद पूर्ण होगी और उसके बाद हमें रिपोर्ट मिलेगी. रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद यदि हमें लगता है कि हमें रिपोर्ट पर कुछ आपत्ति दाखिल करनी है तो हम आगे की प्रक्रिया में जाएंगे और रिपोर्ट पर आपत्ति भी दाखिल करेंगे. वहीं ज्ञानवापी मामले के मुख्य वाद 1991 लॉर्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के मुकदमे की सुनवाई भी गुरुवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में होगी. इस मुकदमे की सुनवाई हाल ही में पुनः शुरू हुई है और हाईकोर्ट के निर्देश पर चल रही है. इस मामले में भी कल एक नई एप्लीकेशन देकर दो महिलाओं की तरफ से इस मुकदमे को जिला जज के न्यायालय में ट्रांसफर करने की अपील की गई है, जिस पर 5 फरवरी को सुनवाई की जाएगी. इसके अलावा गुरुवार को इस मुख्य मुकदमे में भी सुनवाई होगी और आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से हाल ही में किए गए सर्वे की रिपोर्ट इस मामले में भी साक्ष्य के रूप में बुधवार को दाखिल कर दी गई है.
जिला अधिकारी ने ली तहखाना की सुपुर्दगी : उनका कहना है कि इन मामलों के अलावा कोर्ट की तरफ से सोमनाथ व्यास के तहखाना की सुपुर्दगी बुधवार को जिला अधिकारी वाराणसी ने ले ली है. जिलाधिकारी की तरफ से एडीएम प्रोटोकॉल ने पहुंचकर तहखाना को खुलवाकर उसे अपने सुपुर्द लेने की कार्रवाई पूरी की है. जिस पर अब पूजा पाठ पुनः शुरू करने की मांग लेकर व्यास जी के वकील न्यायालय के शरण में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं. व्यास जी के वकील का कहना है कि पुनः वहां पर सब कुछ पहले जैसा होना चाहिए, जैसे 1991 के बाद भी व्यास जी वहां पूजन पाठ करते थे. उसी आधार पर पुनः पूजन पाठ होना जरूरी है. इसकी अपील भी हम कोर्ट से करेंगे.
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