नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक महीने बाद कि 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों को वापस जेल जाना होगा. इस फैसले को गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से अपने खिलाफ की गई कुछ 'प्रतिकूल' टिप्पणियों को हटाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है.
राज्य सरकार ने वकील स्वाति घिल्डियाल के माध्यम से दायर समीक्षा याचिका में कहा कि फैसले में गुजरात राज्य को 'सत्ता हड़पने' और 'विवेक का दुरुपयोग' करने का दोषी ठहराया गया है. याचिका में कहा गया है कि गुजरात राज्य ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ही काम किया. याचिका में कहा गया कि इस माननीय न्यायालय ने अपने एक आदेश में सीआरपीसी की धारा 432(7) के तहत गुजरात राज्य को 'उपयुक्त सरकार' माना. इसके साथ ही आदालत ने प्रतिवादी संख्या 3/अभियुक्त की छूट के आवेदन पर निर्णय 1992 की छूट नीति के अनुसार फैसला करने का निर्देश दिया.
आठ जनवरी को शीर्ष अदालत ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को दी गई छूट को रद्द कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात सरकार के पास इन ग्यारह दोषियों पर अपनी सजा माफी नीति लागू करने की कोई शक्ति नहीं है और सभी दोषियों को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
गुजरात सरकार ने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत की ओर से गई टिप्पणी कि राज्य ने 'मिलकर काम किया और प्रतिवादी नंबर 3/अभियुक्त के साथ मिलीभगत की' न केवल अत्यधिक अनुचित और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है, बल्कि इससे राज्य पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. याचिका में कहा गया है कि इस माननीय न्यायालय के ध्यान में लाए गए रिकॉर्ड के प्रथम दृष्टया त्रुटियों को ध्यान में रखते हुए, इस माननीय न्यायालय का हस्तक्षेप अनिवार्य है. राज्य सरकार ने एक सारणीबद्ध चार्ट भी बनाया जिसमें शीर्ष अदालत की ओर से की गई टिप्पणियों और 8 जनवरी के फैसले में की गई ऐसी टिप्पणियों के संबंध में रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि को दर्शाया गया है.