देहरादून: उत्तराखंड में बन रहे सैन्य धाम को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. सैन्य धाम में निजी भूमि के इस्तेमाल के मामले में जहां सरकार बैकफुट पर थी तो वहीं नए मानकों को लेकर भी कुछ हल निकलने के असर नजर नहीं आ रहे हैं. सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी अपने अंदाज में जबाव दे रहे हैं तो कांग्रेस सारे फसाद की जड़ मंत्री को बता रही है.
बता दें कि, निजी भूमि धारक याचिकाकर्ता सीमा कनौजिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने सैन्य धाम निर्माण को लेकर 18 जून को रोक लगाई थी और सरकार हल निकालने को कहा था. इस मामले पर सरकार की ओर से सैनिक कल्याण विभाग द्वारा आगामी सुनवाई पर कोर्ट में जवाब दिया जाएगा. मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर की है. वहीं, विवादित भूमि जिस पर कोर्ट ने जवाब मांगा था और निर्माण कार्य रोका था, वहां पिलहाल निर्माण कार्य बंद हैं. ये सैनिक धाम के गेट की तरफ छोटा हिस्सा है. समाधान की दिशा में सैनिक कल्याण विभाग की ओर से 500 मीटर के दायरे में निर्माण की रोक हटा दी गई है.
दरअसल, ताजा मामला सैन्य धाम की भव्यता और दिव्यता को बरकरार रखने के लिए इसके आसपास प्रतिबंधित निर्माण के नए मानकों को लेकर है. सरकार ने पहले सैन्य धाम के आसपास 500 मीटर तक प्रतिबंध लगाने को लेकर कार्रवाई शुरू की थी. लेकिन सैन्य धाम के निर्माण में इस्तेमाल की गई निजी भूमि धारक द्वारा कोर्ट में किए गए चैलेंज के बाद सरकार बैकफुट पर आई.
सैनिक कल्याण विभाग द्वारा सैन्य धाम के आसपास 500 मीटर तक प्रतिबंधित किए गए निर्माण के फैसले को वापस लिया गया तो सवाल फिर सैन्य धाम की भव्यता को लेकर पूछा जाने लगा. आखिर कैसे जब किसी भव्य निर्माण के आसपास अन्य निधि निर्माण पर रोक-टोक नहीं लगाई जाएगी, तो सैनिक धाम की भव्यता बरकरार रहेगी. अब इसके जवाब में सैनिक कल्याण मंत्री ने प्रतिबंधित निर्माण को लेकर के नए आंकड़े सामने रखे हैं.
सैन्य धाम के आसपास निर्माण प्रतिबंध के नए नियम: सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि-
- सैन्य धाम के आसपास 500 मीटर तक निर्माण को लेकर प्रतिबंध हटाया गया है.
- धाम की भव्यता के जवाब में उन्होंने कहा कि यह तय किया गया है कि सैन्य धाम के मुख्य द्वारा से सामने की तरफ 39 मीटर विभाग की अपनी जमीन है. वहां अब सारे निर्माण पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे.
- इसके अलावा आसपास के भूमि धारकों द्वारा खुद यह प्रस्ताव दिया गया था कि वो 2 मंजिल से ज्यादा ऊंचा निर्माण नहीं करेंगे. इस पर स्थानीय अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है.
- इसके अलावा सैनिक धाम का निर्माण 15 अक्टूबर तक पूरा कर दिया जाएगा.
- राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) से पहले इसे शहीद परिवारों, वीर नारियों और आम जनता के लिए समर्पित कर दिया जाएगा.
निर्माणस्थल का वर्तमान स्टेटस: सैनिक धाम निर्माण स्थल पर बाकी कार्य जारी है. केवल जिस भूमि पर विवाद था वहां पर कुछ निर्माण तो पूरे हो चुके हैं और जो बाकी है उन्हें कोर्ट के आदेश के बाद रोका गया है. 500 मीटर तक प्रतिबंध वाले नियम क्योंकि वापस ले लिए गए हैं इसलिए निजी भूमि धारकों का कहना है कि यह सरकार की बेहतर कोशिश है और नए मानकों को लेकर मिली जुली प्रतिक्रियाएं हैं.
क्या कहते हैं अन्य भूमि स्वामी: सैनिक धाम से 500 मीटर परिधि के भीतर आने वाले अन्य भूमि स्वामियों से भी हमने बात की. स्थानीय कीर्ति अग्रवाल और राजीव जैन का कहना है कि उनकी कॉलोनी MDDA अप्रूव्ड कॉलोनी है जो सरकार द्वारा ही अप्रूव की गई है. उनके निर्माण कार्य पर किसी तरह की कोई बाधा नहीं थी. हालांकि, अब सरकार द्वारा 500 मीटर तक प्रतिबंध हटा दिया गया है, जो जनहित में लिया गया अच्छा फैसला है. उन्होंने बताया कि 500 मीटर तक प्रतिबंध के दायरे में कई गांव और एक बड़ा इलाका इससे प्रभावित हो रहा था.
इसके अलावा सैनिक धाम के समीप मौजूद गुनियाल गांव के ग्राम प्रधान के परिजन जयराम ने बताया कि 500 मीटर तक प्रतिबंध वाला फैसला कई गांव के लिए चिंता का विषय था लेकिन अब इस फैसले को वापस ले लिया गया है और अब गांव इस परिधि से बाहर हो गया है इसलिए यह सरकार द्वारा लिया गया बेहतर फैसला है.
निजी भूमि धारक के तल्ख तेवर, जरूरत पड़ेगी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट: वहीं इस पूरे मामले पर सैन्य धाम निर्माण में इस्तेमाल की गई निजी भूमि धारक सीमा कनौजिया के पति संजय कनौजिया का कहना है कि वो सैनिक कल्याण विभाग द्वारा लगाए जा रहे इन सभी प्रकार के प्रतिबंधों के खिलाफ हैं. यदि सरकार को प्रतिबंध ही लगाना है तो वहां रजिस्ट्री पर ही रोक लगा देनी चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा जमीनों की खरीद पर रोक नहीं लगाई जा रही है. ऊपर से प्रतिबंध की बात की जा रही है. वहीं, लगातार उनके द्वारा ही किए जा रहे विरोध पर कनौजिया का कहना है कि उसकी जमीन पर कब्जा हुआ है इसलिए वो आवाज उठा रहा है बाकी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि पहले तो उनकी भूमि का बिना अधिग्रहण किए सैन्य धाम का निर्माण शुरू किया गया था. मुआवजे की गुहार लगाने के बाद सरकार ने सैन्य धाम के पास में उनको जमीन दी. उसके बाद बदले में दी गई भूमि पर निर्माण प्रतिबंधित कर दिया गया. यह किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है. जहां तक बात अब मंत्री द्वारा कुछ मीटर तक निर्माण प्रतिबंध या फिर प्रतिबंधों के साथ निर्माण की बात कही जा रही है तो वो उसको लेकर भी विचार करेंगे. यदि उनके साथ अन्याय हो रहा होगा, तो वह विषय को लेकर के सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाएंगे.
भूमि धारक के सवालों पर विभाग का जवाब: वहीं, 500 मीटर के दायरे में निर्माण प्रतिबंधित करने के नियम को हटाने के बाद नए नियमों को लेकर विभाग का कहना है कि वो सभी स्टेट होल्डर से बातचीत कर रहे हैं. विभाग द्वारा जो नए नियम बनाए गए हैं उनको एग्जीक्यूट करने की प्रक्रिया चल रही है, जो अभी गतिमान है.
विपक्ष ने सैन्य धाम विवाद के लिए मंत्री को बताया जिम्मेदार: लगातार विवादों में फंस रहे सैन्य धाम के निर्माण को लेकर विपक्ष केवल सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी को जिम्मेदार बता रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि मंत्री गणेश जोशी के सभी विभाग विवादों में फंसे हुए हैं. उद्यान घोटाले में अभी सीबीआई की जांच चल रही है. सैन्य धाम में भी लगातार कुछ न कुछ विवाद सामने आ ही रहा है. सैन्य धाम का मामला भी बार-बार कोर्ट जा रहा है. यह विभाग की अधूरी तैयारी और तानाशाही रवैये की वजह से हुआ है. इतने बड़े निर्माण को धरातल पर उतारने से पहले होमवर्क होना चाहिए था. होमवर्क की कमी की वजह से अब यह पूरा निर्माण खटाई में पड़ता नजर आ रहा है.
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