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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश खानविलकर ने ली लोकपाल अध्यक्ष के रूप में शपथ, दिए हैं कई ऐतिहासिक फैसले - Khanwilkar Lokpal chairperson

Khanwilkar oath as Lokpal chairperson : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश खानविलकर ने लोकपाल अध्यक्ष के रूप में शपथ ली. उपराष्ट्रपति धनखड़ और प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई.

Former SC judge A M Khanwilkar
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खानविलकर को दिलाई शपथ
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By PTI

Published : Mar 10, 2024, 8:28 PM IST

Updated : Mar 10, 2024, 8:45 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर को रविवार को राष्ट्रपति भवन में लोकपाल अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

न्यायमूर्ति खानविलकर (66) ने 13 मई, 2016 से 29 जुलाई, 2022 तक शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में सेवा दी. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति ने रविवार शाम राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान खानविलकर को लोकपाल अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई.

न्यायमूर्ति खानविलकर को पिछले महीने लोकपाल अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. 27 मई, 2022 को पिनाकी चंद्र घोष की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद रिक्त था.

भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष और कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय यादव को लोकपाल में न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष के 27 मई, 2022 को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से लोकपाल अपने नियमित प्रमुख के बिना काम कर रहा था.

कई ऐतिहासिक फैसले दिए : न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) खानविलकर शीर्ष अदालत की कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा थे जिन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय दिए. ऐतिहासिक फैसलों में से एक सितंबर 2018 का फैसला था जिसमें शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को 'तर्कहीन, अक्षम्य और स्पष्ट रूप से मनमाना' माना था, जिसने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध घोषित कर दिया था.

वह उस संविधान पीठ में थे, जिसने केंद्र की प्रमुख आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध घोषित किया था, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था, जिसमें इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल प्रवेश से जोड़ना शामिल था.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) खानविलकर भी शीर्ष अदालत के उस फैसले का हिस्सा थे जिसने 2002 के दंगों के मामले में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को विशेष जांच दल की क्लीन चिट को बरकरार रखा था.

पुणे में हुआ था जन्म : पुणे में जन्मे खानविलकर हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रहे. लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशें प्राप्त करने के बाद की जाती है.

एक अध्यक्ष के अलावा, लोकपाल में आठ सदस्य हो सकते हैं - चार न्यायिक और इतने ही गैर-न्यायिक. पूर्व सिविल सेवकों सुशील चंद्रा, पंकज कुमार और अजय तिर्की को लोकपाल में गैर-न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है.

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नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अजय माणिकराव खानविलकर को रविवार को राष्ट्रपति भवन में लोकपाल अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

न्यायमूर्ति खानविलकर (66) ने 13 मई, 2016 से 29 जुलाई, 2022 तक शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में सेवा दी. एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति ने रविवार शाम राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान खानविलकर को लोकपाल अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई.

न्यायमूर्ति खानविलकर को पिछले महीने लोकपाल अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. 27 मई, 2022 को पिनाकी चंद्र घोष की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद रिक्त था.

भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष और कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय यादव को लोकपाल में न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष के 27 मई, 2022 को अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद से लोकपाल अपने नियमित प्रमुख के बिना काम कर रहा था.

कई ऐतिहासिक फैसले दिए : न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) खानविलकर शीर्ष अदालत की कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा थे जिन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय दिए. ऐतिहासिक फैसलों में से एक सितंबर 2018 का फैसला था जिसमें शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 को 'तर्कहीन, अक्षम्य और स्पष्ट रूप से मनमाना' माना था, जिसने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध घोषित कर दिया था.

वह उस संविधान पीठ में थे, जिसने केंद्र की प्रमुख आधार योजना को संवैधानिक रूप से वैध घोषित किया था, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था, जिसमें इसे बैंक खातों, मोबाइल फोन और स्कूल प्रवेश से जोड़ना शामिल था.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) खानविलकर भी शीर्ष अदालत के उस फैसले का हिस्सा थे जिसने 2002 के दंगों के मामले में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को विशेष जांच दल की क्लीन चिट को बरकरार रखा था.

पुणे में हुआ था जन्म : पुणे में जन्मे खानविलकर हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रहे. लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशें प्राप्त करने के बाद की जाती है.

एक अध्यक्ष के अलावा, लोकपाल में आठ सदस्य हो सकते हैं - चार न्यायिक और इतने ही गैर-न्यायिक. पूर्व सिविल सेवकों सुशील चंद्रा, पंकज कुमार और अजय तिर्की को लोकपाल में गैर-न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है.

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Last Updated : Mar 10, 2024, 8:45 PM IST
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