रायपुर: झारखंड महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद अब राजनीतिक दल अपनी तैयारी में जुट गए हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को झारखंड और महाराष्ट्र के घोषणा पत्र की जिम्मेदारी दी गई है. इन राज्यों में जो तैयारी हो रही है उसे किस तरीके से जनता के बीच ले जाना है इस बात को लेकर ईटीवी भारत से खास बात करते हुए टीएस सिंह देव ने कहा कि, झारखंड और महाराष्ट्र में हमारी जीत पक्की है. झारखंड में 16 आदिवासी सीटों का समीकरण जीत हार को तय करेगा वहीं महाराष्ट्र में पहली बार हम चुनाव के पहले गठबंधन के सभी दल एक साथ बैठेंगे. उसके बाद 5 साल क्या करना है इसका घोषणा पत्र जारी करने जा रहे हैं. इसी पर काम चल रहा है.
सवाल: झारखंड के चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा बड़ी चुनौती है. इससे कैसे पार पाएंगे ?
जवाब: हर राज्यों के लिए अलग-अलग चुनौतियां होती हैं. सभी राज्य में संघर्ष के लिए अलग-अलग माहौल होता है. इन चुनौतियों के बगैर कुछ नहीं होता क्योंकि पूर्व घोषित परिणाम नहीं होता है.जहां पर अति आत्मविश्वास की स्थिति होती है वहां पर हार के कारण बढ़ते हैं. बीजेपी के अबकी बार 400 पर के नारे ने ही गड़बड़ी की. यह भाजपा का अति आत्मविश्वास था. छत्तीसगढ़ में अबकी बार 75 पर का नारा भी अति आत्मविश्वास कर रहा है, तो अति आत्मविश्वास की स्थिति हमेशा नुकसान करती है. हम लोग आत्म आंकलन कर रहे हैं. उसी आधार पर ही हम आगे जाएंगे. जनता को सब पता है कि कहां क्या खेल हो रहा है. आप देश और राज्य की जनता इस बात को जनती है कि उसे क्या करना है और किसे चुनना है.
सवाल: झारखंड में कांग्रेस और उसके घटक दलों के लिए बीजेपी कितनी बड़ी चुनौती है. आप बीजेपी से कैसे निपटेंगे. झारखंड में कैसे घोषणा पत्र तैयार करेंगे?
जवाब: वर्तमान समय में जो चुनौती है और अगले 5 साल के लिए सरकार को विकास की कौन सी अधोसंरचना रखनी है. यह सबसे बड़ा फैक्टर है. सरकार के आय के स्रोत क्या है और उसको कहां खर्च करना है. जिससे बुनियादी चीजों को रखा जाएगा. राजकीय इंफ्रास्ट्रक्चर में विकास प्राथमिकता होती है. इसके अलावा सामाजिक पहलू है. वृद्धा पेंशन , समाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली सुविधाएं, शिक्षा की व्यवस्था, स्वास्थ्य के हालात और अन्य जो सेवा के क्षेत्र हैं उनको प्राथमिकता में रखा जाएगा. झारखंड की सरकार ने कई योजनाओं को चलाया है. वहां की सरकार ने लोगों को उनकी सहूलियत के अनुसार योजना दी है. घोषणा पत्र में आदिवासी क्षेत्र की बातें काफी महत्वपूर्ण हैं. यही हमारे जीत का मजबूत आधार भी होगा. ट्राइबल हमारे साथ हैं और पांच लोकसभा सीट हमने जीते हैं, तो ऐसी स्थिति में वहां के कौन से क्षेत्रीय आधार हमें ज्यादा मजबूत करेंगे वह देखना होगा . ट्राइबल क्षेत्र को हम लोग काफी मजबूत हैं लेकिन बाकी जो क्षेत्र है वहां की स्थानीय और भौगोलिक संरचना को भी हम देखेंगे. उस आधार पर आगे की चीज तैयार होगी. प्रदेश में ट्रइबल पर हमारी मजबूत पकड़ है और यही झारखंड में हमारा मजबूत आधार भी है.
सवाल: महाराष्ट्र में एक चुनाव हुआ और दो बार सरकार बनी, इस बार आपका क्या हाल है और क्या टारगेट है ?
जवाब: साल 2019 में महाराष्ट्र में एक चुनाव हुआ और 2 सरकारें बनी. साल 2019 के चुनाव परिणाम जैसा कुछ नहीं होगा. 2019 के चुनाव में भाजपा और शिवसेना के बीच अंडरस्टैंडिंग नहीं रही जिसके चक्कर में यह प्रॉब्लम आई और ऑपरेशन लोटस चला. उसके जरिए उसमें तोड़फोड़ की गई लेकिन अब इस तरह के किसी भी आधार को वहां जगह नहीं मिलेगी.
सवाल: महाराष्ट्र में चुनाव में जाने से पहले आपका घोषणापत्र कब तक बनेगा ?
जवाब: पहले लोकसभा या विधानसभा चुनाव के समय में जो राजनीतिक दल गठबंधन में होते थे वह चुनाव खत्म होने के बाद गठबंधन तैयार करते थे. सब लोग अपना अपना घोषणा पत्र तैयार करते थे और सभी लोग अपने-अपने घोषणा पत्र पर चुनाव भी लड़ते थे. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है महाराष्ट्र में हमारे साथ जो भी गठबंधन में शामिल है उसके लिए हम लोग एक साझा घोषणा पत्र जारी करेंगे. अगले 5 साल के लिए काम कैसे करना है उसकी पूरी बात उसमें रखी जाएगी. कोई भी राजनीतिक दल उसमें किसी तरह की बदलाव की बात नहीं कर सकता. क्योंकि अब जिस तरीके से बीजेपी ने अपनी रणनीति बनाई है उससे निपटन के लिए उससे बड़ी और मजबूत रणनीति बनाने की जरूरत है. इस पर हम लोग काम कर रहे हैं. इस बार के चुनाव में हम लोग सबसे पहले ही सभी राजनीतिक दल मिलकर के एक घोषणा पत्र जारी करेंगे ताकि जनता को यह हम बता सकें कि यह चुनाव एक जुटता के साथ लड़ा गया चुनाव है. जिसमें बाद में किसी बदलाव के लिए कोई जगह नहीं होगी.
सवाल: टूटी हुई एनसीपी है. टूटी हुई शिवसेना है. इससे आप लोगों को महाराष्ट्र में कितना फायदा होगा?
जवाब: जो एनसीपी टूट कर गई है उसका ज्यादा बड़ा आधार नहीं है. उससे किसी तरह का कोई नुकसान हमे नहीं होगा. एनसीपी में टूट जरूर हुई है लेकिन जो लोग टूट करके गए हैं उनका कोई जनाधार नहीं है. राजनीति में बहुत दखल नहीं देते हैं और ना ही उनकी दखलअंदाजी को जनता मानती है. उद्धव ठाकरे से टूटकर के जो शिवसेना अलग हुई है और वर्तमान में जो मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में हैं वह अपने क्षेत्र पर प्रभाव रखते हैं. इसके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता. शिवसेना का जो काडर वोट रहा है वह अभी भी शिवसेना के साथ है ,और इसका फायदा शिवसेना उद्धव गुट को ही मिलेगा.
सवाल: झारखंड और महाराष्ट्र में किस तरह के चुनाव परिणाम आएंगे. इसको लेकर आपका क्या आंकलन है ?
जवाब: महाराष्ट्र से अलग अगर देखे तो झारखंड में इंडिया गठबंधन की सरकार बननी तय है. क्योंकि अभी जो वोट बैंक हमारे पास है और जिस तरीके से वोट हमें मिले हैं वह यह बताते हैं कि हमारी स्थिति वहां मजबूत है. ट्राइबल स्टेट पर हमारी मजबूत पकड़ है. इसमें कुल जीत हार के लिए16 ऐसी ट्राइबल सीटें हैं जिन पर ज्यादा बड़ी लड़ाई लड़ने की जरूरत है. अगर इन16 सीटों पर हमारी मजबूत लड़ाई रहती है तो फिर झारखंड में हमें सरकार बनाने से कोई रोक नहीं सकता. हम मजबूत गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं ऐसे में हम मजबूत हालत में हैं.
सवाल: नीतीश ने मोदी के खिलाफ इंडिया गठबंधन को बनाने का कॉन्सेप्ट दिया. उसके बाद नीतीश कुमार खुद अलग हो गए. क्या गठबंधन में ऐसी स्थिति तो नहीं आएगी
जवाब: नीतीश कुमार खुद से ही कह रहे थे कि मैं प्रधानमंत्री बनूंगा. जबकि यह बातें बैठक में तय होती की प्रधानमंत्री कौन बनेगा. इस तरह का गठबंधन बनाना काफी कठिन होता है और इसमें कई स्थितियां अलग होती हैं. ममता बनर्जी एक उदाहरण है. वे एलायंस के साथ आना चाहती हैं लेकिन हमारे साथ घोषणा पत्र लेकर के चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थी. पोस्ट पोल एलायंस उनका था लेकिन प्री पोल एलायंस में उनका कोई समझौता नहीं था. यही बात ओडिशा में पटनायक जी की पार्टी का रहा है ना तो उन्होंने बीजेपी से बात और न ही कांग्रेस से बात की और अंत में स्थिति यह बनी कि वह जड़ से साफ हो गए. ओडिशा में 21 में से 20 सीटें बीजेपी को चली गई जबकि एक सीट कांग्रेस को चली आई और उनका पूरे तौर पर सफाया हो गया.
नीतीश कुमार और अमित शाह की बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता. नीतीश कुमार यह कहते थे कि मैं बीजेपी में नहीं जाऊंगा और मैं अमित शाह को भी बोलते हुए सुना हूं कि कुछ भी हो जाए लेकिन अब नीतीश कुमार बीजेपी का हिस्सा नहीं बनेंगे. ऐसा कुछ नहीं हुआ और अंत में वह लोग एक साथ हो गए. ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है इनके राजनीतिक बात का कोई भरोसा नहीं है. जिस गठबंधन को बनाने की बात नीतीश कुमार कर रहे थे अगर उसे तवज्जो देते तो निश्चित तौर पर एलाइंस खड़ा हो जाता. लेकिन नीतीश कुमार गठबंधन से ज्यादा वह खुद को तवज्जो देने लगे. उनकी तरफ से भी यह कहा जाने लगा कि वह प्रधानमंत्री के दावेदार हैं. नीतीश कुमार ही प्रधानमंत्री बनेंगे. जबकि कांग्रेस से किसी दूसरे राजनीतिक दल ने नहीं कहा था कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री होंगे. राजनीतिक दल अपने भीतर इस बात की चर्चा जरूर करते हैं कि हमारे जो बड़े नेता हैं वह प्रधानमंत्री के दावेदार हैं. लेकिन एलायंस की वजह बात आती तो यह गठबंधन तय करता कि कौन प्रधानमंत्री होगा लेकिन नीतीश कुमार गठबंधन नहीं अपनी मार्केटिंग करने में लगे हुए थे.
टीएस सिंहदेव ने कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड में हमारी सरकार बनेगी उसके लिए हमारी तैयारी भी मजबूत है. ट्राइबल बेल्ट में हमारी सीटों का बढ़ना हमारी जीत का पैमाना है. हम जीतेंगे हर हाल में ट्राइबल सीट को मजबूत करके अगर हम लोग चलते हैं तो बीजेपी या किसी दूसरे को वहां कोई जगह मिलेगी.