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ऐसे कैसे बनेगा हिमाचल ग्रीन स्टेट? फायर सीजन में अब तक आग लगने के 2304 मामले, 7 करोड़ से ज्यादा वन संपदा जलकर राख - Himachal Forest Fire

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 11:38 AM IST

Forest Fire in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में इस साल जंगलों में आग ने जमकर तांडव मचाया. इस साल फायर सीजन में जंगलों में आग लगने के 2304 मामले सामने आए. जिसमें 21 हजार हेक्टेयर से ज्यादा का एरिया प्रभावित हुआ. इसके साथ ही 7 करोड़ से ज्यादा की बेशकीमती वन संपदा आग की भेंट चढ़ कर स्वाहा हो गई.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल के जंगलों में अग्निकांड (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल में लंबे समय से सूखा पड़ने और मानवीय लापरवाही के चलते गर्मियों के सीजन में जंगलों में लगी आग ने खूब तबाही मचाई है. जिससे पहाड़ों पर अपनी विशाल भुजाएं फैलाकर खड़े हरे भरे पेड़ आग की लपटों की भेंट चढ़ गए हैं. इस बार हिमाचल में फायर सीजन में आग से मचने वाली तबाही की 2304 घटनाएं सामने आई हैं. जिसने प्रदेश भर में 21 हजार हेक्टेयर में फैले जंगलों को अपनी चपेट में लिया है. आग की विनाशकारी घटनाओं से 7.50 करोड़ से अधिक की वन संपदा को नुकसान पहुंचा है. जो पिछले 16 सालों के इतिहास से सबसे अधिक है.

आग की भेंट चढ़े हजारों वन्य जीव

इसी तरह जंगलों में फैली आग से वन्य जीवों की हजारों प्रजातियां नष्ट हो गई हैं. वहीं, हजारों जंगली जानवर अकाल मौत का ग्रास बने हैं. यही नहीं जंगलों की आग से साथ लगती निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. लोगों की गौशालाएं आग की भेंट चढ़ गई हैं, जिसमें कई बेजुबान पशु तड़प-तड़प कर अपनी जान गवां चुके हैं. प्रदेश में लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं के चलते सुक्खू सरकार जो हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का दावा कर रही है, वह भी कैसे पूरा हो पाएगा? ये भी एक बड़ा सवाल.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल फायर सीजन (ETV Bharat)

मानसून में पौधरोपण, गर्मियों में स्वाहा

हालांकि धरती की गोद को हरा भरा रखने के लिए सरकार हर बार मानसून सीजन में पौधरोपण पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन गर्मियों के सीजन में पौधरोपण पर खर्च किए ये ही करोड़ों रुपए आग लगने से बर्बाद हो रहे हैं. वहीं, अधिकतर क्षेत्रों में जंगलों तक पहुंचने के लिए सड़क की सुविधा नहीं है. जिस कारण अग्निशमन विभाग के आग बुझाने के प्रयास भी विफल हो रहे हैं.

कुदरत के भरोसे जंगलों की सुरक्षा

केंद्र सरकार मनरेगा पर लाखों करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत अब तक जंगलों में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए तालाबों का निर्माण ही नहीं हुआ है. तालाबों में भरे पानी को जंगलों में फैली आग को शांत करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता था. हालांकि प्रदेश में अब प्री मानसून की बौछारों से जंगलों में उठ रही आग की लपटें शांत हुई हैं, लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब तक आग पर काबू पाने के लिए हम कुदरत के सहारे रहेंगे. पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए सरकार को कई तरह के और प्रयास करने की जरूरत है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
आग की चपेट में हिमाचल का हरा सोना (ETV Bharat)

हिमाचल में आग लगने की घटनाएं

हिमाचल में इस साल फायर सीजन के दौरान सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं. सबसे ज्यादा 520 आग लगने की घटनाएं धर्मशाला में सामने आई हैं. इसी तरह मंडी में 365, हमीरपुर में 276,नाहन में 261, सोलन में 204, बिलासपुर में 199, चंबा में 197, जीएचएनपी कुल्लू में 15, शिमला में 180, रामपुर में 58, कुल्लू में 10 और डब्ल्यूएल साउथ में आग लगने की कुल 19 घटनाएं सामने आई हैं. इस तरह से इस फायर सीजन में प्रदेश में आग लगने के कुल 2304 मामले सामने आए हैं.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल फायर सीजन में आग लगने की घटनाएं (ETV Bharat)

5 सालों में आग की सबसे अधिक घटनाएं

हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच सालों में इस बार आग की सबसे अधिक 2304 घटनाएं सामने आई हैं. इससे पहले साल 2018-19 में 2544 अग्निकांड की घटनाएं घटी थीं. हिमाचल में बीते 16 सालों में गर्मियों का सीजन बिना आग की घटना के नहीं बिता है. पर्यावरण प्रेमी इसे चिंता का विषय बता रहे हैं. आग की लगातार सामने आ रही घटनाओं के कारण धरती पर हरियाली खतरे में पड़ गई है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगलों में आग लगने की घटनाएं (ETV Bharat)

16 सालों में वन अग्निकांड के मामले

प्रदेश में 2008-09 में जंगलों में आग लगने के 572 मामले सामने आए थे. इसी तरह से 2009-10 में आग की 1906 घटनाएं हुई थी. वहीं, साल 2010-11 में 870, साल 2011-12 में 168, साल 2012-13 में 1798, साल 2013-14 में 397, साल 2014-15 में 725 जंगल में आग लगने के मामले सामने आए थे. ये सिलसिला जारी रहा और 2015-16 में आग लगने की 672 घटनाएं घटी. इसके बाद साल 2016-17 में 1832, साल 2017-18 में 1164, साल 2018-19 में 2544, साल 2019-20 में 1445, साल 2020-21 में आग के 1045 मामले सामने आए. साल 2021-22 में आग की 1275 घटनाएं घटी. साल 2022-23 में आग लगने के 1077 मामले रिकॉर्ड हुए. वहीं, 2023-24 में 680 और अब 2024-25 में आग के 2304 मामले सामने आए हैं.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगलों की आग से प्रभावित एरिया (ETV Bharat)

हिमाचल में आग से प्रभावित एरिया

हिमाचल प्रदेश में हर साल जंगलों में आग का तांडव देखने को मिलता है. जिसमें हजारों हेक्टर भूमि आग की भेंट चढ़ जाती है. पिछले 16 सालों से हिमाचल में आग की चपेट में आकर कई हजार हेक्टेयर भूमि स्वाह हुई है. साल 2008-09 में 6,586 हेक्टर एरिया जंगल का आग लगने से प्रभावित हुआ था. इसी तरह साल 2009-10 में 24,849 हेक्टेयर, साल 2010-11 में 7,837 हेक्टेयर, साल 2011-12 में 1,758 हेक्टेयर, साल 2012-13 में 20,273 हेक्टेयर एरिया आग की भेंट चढ़ा था. वहीं, साल 2013-14 में 3,237 हेक्टेयर, साल 2014-15 में 6726 हेक्टेयर, साल 2015-16 में 5,759 हेक्टेयर, साल 2016-17 में 19,535 हेक्टेयर, साल 2017-18 में 9,408 हेक्टेयर, साल 2018-19 में 28,859 हेक्टेयर, 2019-20 में 8,961 हेक्टेयर एरिया आग में जलकर राख हो गया. इसके अलावा साल 2020-21 में 10,562 हेक्टेयर, साल 2021-22 में 9,874 हेक्टेयर, साल 2022-23 में 8,871 हेक्टेयर और साल 2024-25 में 5 सालों में सबसे ज्यादा 21 हजार हेक्टेयर से अधिक का एरिया जंगल में लगी आग से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगल की आग से हुआ नुकसान (ETV Bharat)

हिमाचल में अग्निकांड से हुआ नुकसान

हिमाचल प्रदेश में हर साल जंगल आग की भेंट चढ़ जाते हैं. जिसमें हजारों वन्य जीवों सहित करोड़ों की दुलर्भ वन संपदा भी जलकर राख हो जाती है. साल 2008-09 में 60,05,064 रुपए का नुकसान आंका गया था. इसी तरह से साल 2009-10 में 2,55,22,928 रुपए, साल 2010-11 में 97,69,363 रुपए, साल 2011-12 में 43,07,878 रुपए, साल 2012-13 में 2,76,82,589 रुपए, साल 2013-14 में 52,31,011 रुपए, साल 2014-15 में 1,13,26,525 रुपए, साल 2015-16 में 1,34,77,730 रुपए, साल 2016-17 में 3,50,67,790 रुपए, साल 2017-18 में 1,96,41,124 रुपए, साल 2018-19 में 3,25,48,385 रुपए की वन संपदा आग की भेंट चढ़ गई. ऐसे ही साल 2019-20 में 1,6739,692 रुपए, साल 2020-21 में 3,37,76,117 रुपए, साल 2021-22 में 2,61,15,960 रुपए और साल 2022-23 में 2,19,11,908 रुपए की वन्य संपदा का नुकसान अग्निकांड में हुआ है. वहीं, साल 2024-25 में सबसे ज्यादा 7.50 करोड़ से अधिक की वन संपदा आग में जलकर राख हो गई है. जो पिछले 16 सालों में सबसे ज्यादा है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
आग की भेंट चढ़ रहे हिमाचल के जंगल (ETV Bharat)

हिमाचल की फॉरेस्ट पॉलिसी पर उठे सवाल

पर्यावरणविद् एवं पूर्व डिप्टी मेयर नगर निगम शिमला के टिकेंद्र पंवर का कहना है कि हिमाचल की फॉरेस्ट पॉलिसी ही गलत है. प्रदेश में बान के पेड़ को काटकर चीड़ के पेड़ लगाए गए हैं. जिससे प्रदेश में लगातार आग की घटनाएं बढ़ रही हैं. इसी तरह से पहले लोगों के जंगलों पर अधिकार होते थे. जिस वजह से लोग जंगलों को बचाने के लिए आगे आते थे, लेकिन सरकार ने अब वे अधिकार भी लोगों से छीन लिए हैं, जो सही फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर जंगलों को आग से बचाना है तो इसके लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए, तभी लोग आगे आएंगे. वहीं, प्रदेश भर में चीड़ के जंगलों को काटकर मिक्स प्लांटेशन पर ध्यान देना होगा. इस तरह के प्रयासों से ही जंगलों को आग की भेंट चढ़ने से बचाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: खतरे में हिमाचल का हरा सोना, धूं-धूं कर जल रहे जंगल, पर्यावरण के लिए खतरा बनी वनों की आग

ये भी पढ़ें: हिमाचल के वनों को क्यों कहा जाता है हरा सोना? जानें क्या है देवभूमि के जंगलों की खासियत?

ये भी पढ़ें: हिमाचल में बढ़ा ग्रीन कवर एरिया, क्लाइमेट चेंज बड़ी चुनौती, राज्यपाल ने दिया हरा सोना बचाने का संदेश

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इन जंगलों में पेड़ काटने की वन माफिया में भी नहीं है हिम्मत, जानें क्या है इन वनों की खासियत?

शिमला: हिमाचल में लंबे समय से सूखा पड़ने और मानवीय लापरवाही के चलते गर्मियों के सीजन में जंगलों में लगी आग ने खूब तबाही मचाई है. जिससे पहाड़ों पर अपनी विशाल भुजाएं फैलाकर खड़े हरे भरे पेड़ आग की लपटों की भेंट चढ़ गए हैं. इस बार हिमाचल में फायर सीजन में आग से मचने वाली तबाही की 2304 घटनाएं सामने आई हैं. जिसने प्रदेश भर में 21 हजार हेक्टेयर में फैले जंगलों को अपनी चपेट में लिया है. आग की विनाशकारी घटनाओं से 7.50 करोड़ से अधिक की वन संपदा को नुकसान पहुंचा है. जो पिछले 16 सालों के इतिहास से सबसे अधिक है.

आग की भेंट चढ़े हजारों वन्य जीव

इसी तरह जंगलों में फैली आग से वन्य जीवों की हजारों प्रजातियां नष्ट हो गई हैं. वहीं, हजारों जंगली जानवर अकाल मौत का ग्रास बने हैं. यही नहीं जंगलों की आग से साथ लगती निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. लोगों की गौशालाएं आग की भेंट चढ़ गई हैं, जिसमें कई बेजुबान पशु तड़प-तड़प कर अपनी जान गवां चुके हैं. प्रदेश में लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं के चलते सुक्खू सरकार जो हिमाचल को ग्रीन स्टेट बनाने का दावा कर रही है, वह भी कैसे पूरा हो पाएगा? ये भी एक बड़ा सवाल.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल फायर सीजन (ETV Bharat)

मानसून में पौधरोपण, गर्मियों में स्वाहा

हालांकि धरती की गोद को हरा भरा रखने के लिए सरकार हर बार मानसून सीजन में पौधरोपण पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन गर्मियों के सीजन में पौधरोपण पर खर्च किए ये ही करोड़ों रुपए आग लगने से बर्बाद हो रहे हैं. वहीं, अधिकतर क्षेत्रों में जंगलों तक पहुंचने के लिए सड़क की सुविधा नहीं है. जिस कारण अग्निशमन विभाग के आग बुझाने के प्रयास भी विफल हो रहे हैं.

कुदरत के भरोसे जंगलों की सुरक्षा

केंद्र सरकार मनरेगा पर लाखों करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत अब तक जंगलों में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए तालाबों का निर्माण ही नहीं हुआ है. तालाबों में भरे पानी को जंगलों में फैली आग को शांत करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता था. हालांकि प्रदेश में अब प्री मानसून की बौछारों से जंगलों में उठ रही आग की लपटें शांत हुई हैं, लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब तक आग पर काबू पाने के लिए हम कुदरत के सहारे रहेंगे. पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए सरकार को कई तरह के और प्रयास करने की जरूरत है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
आग की चपेट में हिमाचल का हरा सोना (ETV Bharat)

हिमाचल में आग लगने की घटनाएं

हिमाचल में इस साल फायर सीजन के दौरान सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं. सबसे ज्यादा 520 आग लगने की घटनाएं धर्मशाला में सामने आई हैं. इसी तरह मंडी में 365, हमीरपुर में 276,नाहन में 261, सोलन में 204, बिलासपुर में 199, चंबा में 197, जीएचएनपी कुल्लू में 15, शिमला में 180, रामपुर में 58, कुल्लू में 10 और डब्ल्यूएल साउथ में आग लगने की कुल 19 घटनाएं सामने आई हैं. इस तरह से इस फायर सीजन में प्रदेश में आग लगने के कुल 2304 मामले सामने आए हैं.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल फायर सीजन में आग लगने की घटनाएं (ETV Bharat)

5 सालों में आग की सबसे अधिक घटनाएं

हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच सालों में इस बार आग की सबसे अधिक 2304 घटनाएं सामने आई हैं. इससे पहले साल 2018-19 में 2544 अग्निकांड की घटनाएं घटी थीं. हिमाचल में बीते 16 सालों में गर्मियों का सीजन बिना आग की घटना के नहीं बिता है. पर्यावरण प्रेमी इसे चिंता का विषय बता रहे हैं. आग की लगातार सामने आ रही घटनाओं के कारण धरती पर हरियाली खतरे में पड़ गई है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगलों में आग लगने की घटनाएं (ETV Bharat)

16 सालों में वन अग्निकांड के मामले

प्रदेश में 2008-09 में जंगलों में आग लगने के 572 मामले सामने आए थे. इसी तरह से 2009-10 में आग की 1906 घटनाएं हुई थी. वहीं, साल 2010-11 में 870, साल 2011-12 में 168, साल 2012-13 में 1798, साल 2013-14 में 397, साल 2014-15 में 725 जंगल में आग लगने के मामले सामने आए थे. ये सिलसिला जारी रहा और 2015-16 में आग लगने की 672 घटनाएं घटी. इसके बाद साल 2016-17 में 1832, साल 2017-18 में 1164, साल 2018-19 में 2544, साल 2019-20 में 1445, साल 2020-21 में आग के 1045 मामले सामने आए. साल 2021-22 में आग की 1275 घटनाएं घटी. साल 2022-23 में आग लगने के 1077 मामले रिकॉर्ड हुए. वहीं, 2023-24 में 680 और अब 2024-25 में आग के 2304 मामले सामने आए हैं.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगलों की आग से प्रभावित एरिया (ETV Bharat)

हिमाचल में आग से प्रभावित एरिया

हिमाचल प्रदेश में हर साल जंगलों में आग का तांडव देखने को मिलता है. जिसमें हजारों हेक्टर भूमि आग की भेंट चढ़ जाती है. पिछले 16 सालों से हिमाचल में आग की चपेट में आकर कई हजार हेक्टेयर भूमि स्वाह हुई है. साल 2008-09 में 6,586 हेक्टर एरिया जंगल का आग लगने से प्रभावित हुआ था. इसी तरह साल 2009-10 में 24,849 हेक्टेयर, साल 2010-11 में 7,837 हेक्टेयर, साल 2011-12 में 1,758 हेक्टेयर, साल 2012-13 में 20,273 हेक्टेयर एरिया आग की भेंट चढ़ा था. वहीं, साल 2013-14 में 3,237 हेक्टेयर, साल 2014-15 में 6726 हेक्टेयर, साल 2015-16 में 5,759 हेक्टेयर, साल 2016-17 में 19,535 हेक्टेयर, साल 2017-18 में 9,408 हेक्टेयर, साल 2018-19 में 28,859 हेक्टेयर, 2019-20 में 8,961 हेक्टेयर एरिया आग में जलकर राख हो गया. इसके अलावा साल 2020-21 में 10,562 हेक्टेयर, साल 2021-22 में 9,874 हेक्टेयर, साल 2022-23 में 8,871 हेक्टेयर और साल 2024-25 में 5 सालों में सबसे ज्यादा 21 हजार हेक्टेयर से अधिक का एरिया जंगल में लगी आग से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
हिमाचल में जंगल की आग से हुआ नुकसान (ETV Bharat)

हिमाचल में अग्निकांड से हुआ नुकसान

हिमाचल प्रदेश में हर साल जंगल आग की भेंट चढ़ जाते हैं. जिसमें हजारों वन्य जीवों सहित करोड़ों की दुलर्भ वन संपदा भी जलकर राख हो जाती है. साल 2008-09 में 60,05,064 रुपए का नुकसान आंका गया था. इसी तरह से साल 2009-10 में 2,55,22,928 रुपए, साल 2010-11 में 97,69,363 रुपए, साल 2011-12 में 43,07,878 रुपए, साल 2012-13 में 2,76,82,589 रुपए, साल 2013-14 में 52,31,011 रुपए, साल 2014-15 में 1,13,26,525 रुपए, साल 2015-16 में 1,34,77,730 रुपए, साल 2016-17 में 3,50,67,790 रुपए, साल 2017-18 में 1,96,41,124 रुपए, साल 2018-19 में 3,25,48,385 रुपए की वन संपदा आग की भेंट चढ़ गई. ऐसे ही साल 2019-20 में 1,6739,692 रुपए, साल 2020-21 में 3,37,76,117 रुपए, साल 2021-22 में 2,61,15,960 रुपए और साल 2022-23 में 2,19,11,908 रुपए की वन्य संपदा का नुकसान अग्निकांड में हुआ है. वहीं, साल 2024-25 में सबसे ज्यादा 7.50 करोड़ से अधिक की वन संपदा आग में जलकर राख हो गई है. जो पिछले 16 सालों में सबसे ज्यादा है.

Forest Fire in Himachal Pradesh
आग की भेंट चढ़ रहे हिमाचल के जंगल (ETV Bharat)

हिमाचल की फॉरेस्ट पॉलिसी पर उठे सवाल

पर्यावरणविद् एवं पूर्व डिप्टी मेयर नगर निगम शिमला के टिकेंद्र पंवर का कहना है कि हिमाचल की फॉरेस्ट पॉलिसी ही गलत है. प्रदेश में बान के पेड़ को काटकर चीड़ के पेड़ लगाए गए हैं. जिससे प्रदेश में लगातार आग की घटनाएं बढ़ रही हैं. इसी तरह से पहले लोगों के जंगलों पर अधिकार होते थे. जिस वजह से लोग जंगलों को बचाने के लिए आगे आते थे, लेकिन सरकार ने अब वे अधिकार भी लोगों से छीन लिए हैं, जो सही फैसला नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर जंगलों को आग से बचाना है तो इसके लिए लोगों की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए, तभी लोग आगे आएंगे. वहीं, प्रदेश भर में चीड़ के जंगलों को काटकर मिक्स प्लांटेशन पर ध्यान देना होगा. इस तरह के प्रयासों से ही जंगलों को आग की भेंट चढ़ने से बचाया जा सकता है.

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