नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अदालत द्वारा अरविंद केजरीवाल को ईडी की रिमांड में भेजने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि शराब घोटाले का मास्टर माइंड फाइनली कानून की हिरासत में है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल की रिमांड की खबर से देश आश्वस्त है कि भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति भले ही केजरीवाल ही क्यों न हो, लेकिन इस देश में कानून से बड़ा कोई नहीं है. सीएम रहते हुए गिरफ्तारी का ये शायद पहला मामला है जबकि इससे पहले भी देश के अलग-अलग राज्यों के कई सीएम पर शिकंजा कसा गया था, लेकिन उन सभी ने गिरफ्तार होने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जैसे ही अपने पद से इस्तीफा दिया उसके तुरंत बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनपर शिकंजा कसा और गिरफ्तार कर लिया ठीक इसी तरह का मामला तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदुरप्पा,बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव का भी मामला रहा है.
भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस मामले में सारे दस्तावेज और तथ्य दिल दहला देने वाले हैं. जब अदालत में यह कहा गया कि विजय नायर के सौजन्य से विशिष्ट शराब कंपनियों ने बैठकर शराब की पॉलिसी बनाई तो अरविंद केजरीवाल के किसी भी वकील ने इसका खंडन नहीं किया. कोर्ट में बैंक ट्रांजैक्शन का उल्लेख हुआ और इसका भी अरविंद केजरीवाल या उनकी लीगल टीम की तरफ से कोई खंडन नहीं किया गया.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि विजय नायर, समीर महेंद्रू, मनीष सिसोदिया के सचिव और के. कविता के सीए से जुड़े कई तथ्यों और बयानों के साथ-साथ लेन-देन का ब्योरा भी सामने रखा गया, जिसके विरोध में केजरीवाल की लीगल टीम द्वारा कोई तर्क नहीं दिया गया. यहां तक कि कोर्ट में सीबीआई और पीएमएलए के तहत जितने मामले दायर हुए थे, उसके खिलाफ भी केजरीवाल के वकीलों ने कुछ नहीं कहा.
आप नेताओं के बयानों पर पलटवार करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि आप के नेता पूछ रहे हैं कि पैसा कहां गया, उसका पूरा विवरण कोर्ट को दिया गया. आप ने रिश्वत के इस पैसे में से 45 करोड़ रुपए का इस्तेमाल गोवा के चुनाव में किया और इस पैसे को वहां चार रूट से भेजा गया और इस तथ्य का भी केजरीवाल के वकीलों ने कोई खंडन नहीं किया. उन्होंने कहा कि पैसा कहां-कहां खर्च हुआ, कैसे और किस-किसको बांटे गए, इसकी पूरी जानकारी अदालत में दी गई. लेकिन, केजरीवाल के तीनों में से किसी भी वकील ने इन तथ्यों का खंडन नहीं किया.
कुल मिलाकर देखा जाए तो बीजेपी केजरीवाल को नैतिकता की उलाहना देते हुए जनता इस्तीफा नहीं देने पर सवाल पूछ रही है. सूत्रों की माने तो ऐसा लगता है की आनेवाले दिनों में दिल्ली के उपराज्यपाल भी कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं क्योंकि ये सवाल बार बार उठाए जा रहे की संविधान में ऐसा कोई नियम नहीं है जिसके आधार पर जेल से कोई सरकार चला सके.
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