चंडीगढ़: आज के समय में हमारा लाइफ स्टाइल इस कदर बदल गया है कि हम खुद ही अपने शरीर में कई बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं. ऐसे में बच्चों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. जिसके चलते फैटी लिवर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. चंडीगढ़ पीजीआई ने पिछले 3 सालों से 'जनता के साथ पीजीआई के हाथ' मुहिम शुरू की है. जहां लोगों के साथ सीधा संपर्क साधा जाता है. जहां मरीज सीधे विशेषज्ञों से अपनी समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
फैटी लिवर की शुरुआत-लक्षण: चंडीगढ़ पीजीआई के डॉ. अजय दुसेजा ने ईटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि लोगों को उनके हेल्दी लिवर के बारे में जागरूक किया जा रहा है. फैटी लिवर की समस्या बच्चों में भी ज्यादातर देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में फैटी लिवर के लक्षण दिखाई नहीं देते. वहीं, जैसे-जैसे लिवर में फैट बढ़ना शुरू होता है, उसका साइज जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है. लिवर के बाईं तरफ जब फैट बढ़ना शुरू होता है, तो लिवर के साथ बना हुआ कैप्सूल के आकार के अंग में खिंचाव बढ़ जाता है. फैटी लिवर की वजर से शरीर में अक्सर थकान महसूस होती है. कमजोरी भी फैटी लिवर का एक मुख्य कारण माना जाता है.
फैटी लिवर के साइड इफेक्ट: फैटी लिवर की वजह से शरीर के अंदर फाइब्रोसिस, श्रिंकेज और सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियां मरीज को घेरती है. इसकी वजह से मरीज को जॉन्डिस, पेट में पानी भरना, खून की उल्टी आना और अचानक से बेहोश हो जाना जैसे गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं. जो आगे चलकर एक कैंसर का रूप ले लेती है. फैटी लिवर के बढ़ते हुए मरीजों को देखते हुए हर साल व्यक्ति को पिरियोडिक चेकअप कराना जरूरी है. इस टेस्ट के चलते अगर किसी मरीज को लिवर में किसी तरह की समस्या आती है तो उसे समय रहते ठीक किया जा सकता है.
बच्चों में फैटी लिवर की वजह: डॉ. अजय दुसेजा ने बताया कि बड़ों के साथ-साथ बच्चों का भी लाइफस्टाइल खराब होता जा रहा है. जिसका मुख्य कारण है बच्चों का फिजिकल एक्टिविटी की ओर ध्यान न जाना. अक्सर हम लोग देखते हैं कि बच्चे अक्सर फोन और अपने लैपटॉप पर जरूरत से ज्यादा समय बिता रहे हैं. स्कूल के वापस आने के बाद भी उन्हें टीवी देखते समय उनके आगे उनके माता-पिता द्वारा कोल्ड ड्रिंक और चिप्स परोसे जाते हैं और यह बच्चों की सेहत और भविष्य के लिए एक धीमे जहर की तरह काम करता है.
रिसर्च डाटा का आंकड़ा: बीते साल भारत में एक रिसर्च के जरिए डाटा एकत्रित किया गया. जिसमें 50 तरीके की स्टडी की गई. इस डाटा में बच्चों से जुड़ी स्टडीज को जांचा गया कि बच्चों में किस तरह की समस्या अधिक देखी जा रही है. इस डाटा के मुताबिक, 38 फीसदी वयस्कों में फैटी लिवर की समस्या देखी गई है. जबकि बच्चों में फैटी लिवर 35 फीसदी के आस-पास है. यानी हर तीसरा बच्चा फैटी लिवर की समस्या से परेशान है.
फैटी लिवर से बचाव के उपाय: सब्जियों को अलग-अलग तरीकों से अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए. हल्दी में करक्यूमिन तत्व मौजूद होता है, जो फैटी लीवर से निपटने में मदद करती है. कच्ची हल्दी की चाय या इसे दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं. मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए फाइबर रिच फूड्स की मात्रा बढ़ाएं. इससे फैटी लीवर की समस्या से छुटकारा मिल जाता है. डाइट में नियमित रूप से साबुत अनाज खाने से ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करने में मदद मिलती है. डॉ. अजय दुसेजा ने बताया कि फैटी लिवर की समस्या हमारे लाइफस्टाइल से जुड़ी है. जिन लोगों का खान-पान, रहन-सहन सही है. समय पर खाना और नींद पूरा किया जाए तो उनमें फैटी लिवर जैसी समस्या अन्य के मुकाबले कम रहती है.
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