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EXCLUSIVE: हरियाणा पंजाब की सीमा पर बैठे किसान संगठनों का साथ देने पर क्या बोले किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां?

Farmers Protest 2024: अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने को लेकर शंभू बॉर्डर पर किसान पिछले 12 दिन डटे हुए हैं. किसान आंदोलन की आगामी रणनीति तैयार करने को लेकर गुरुवार, 22 फरवरी को चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की बैठक में पहुंचे किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. पिछले किसान आंदोलन में जोगिंदर सिंह उग्रहां ने अहम भूमिका निभाई थी. इन्होंने क्या कुछ कहा है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Farmer leader Joginder Singh Ugrahan
किसान आंदोलन को लेकर किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां से खास बातचीत.
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 23, 2024, 8:36 AM IST

किसान आंदोलन को लेकर किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां से खास बातचीत.

चंडीगढ़: किसानों के दिल्ली चलो कार्यक्रम के दौरान खनौरी बॉर्डर पर एक युवक की मौत होने के बाद अब तमाम किसान संगठन इसके विरोध में इकट्ठा होने लगे हैं. इसी को लेकर गुरुवार, 22 फरवरी को चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई, जिसमें देशभर से करीब 40 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हुए. बैठक में खनौरी बॉर्डर पर उत्पन्न हुए हालात के बाद किस तरीके से संयुक्त किसान मोर्चा आगे बढ़ेगा इसको लेकर रणनीति तैयार की गई जिसके तहत शुक्रवार को किसान मोर्चा केंद्रीय गृह मंत्री हरियाणा के मुख्यमंत्री और हरियाणा के गृह मंत्री का पुतला दहन करेंगे. इसके साथ ही खनौरी बॉर्डर पर हुए योग की मौत के मामले में ज्यूडिशियल इंक्वारी की मांग की गई, एक करोड़ के मुआवजे की भी मांग रखी है.

वहीं, 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महा पंचायत करने का भी कार्यक्रम तय किया गया. इसके साथ 26 फरवरी को देश के सभी हाईवे पर ट्रैक्टर मार्क्स निकालने की बात कही गई और वही WTO के खिलाफ भी जंग लड़ने का ऐलान किया गया. इतना ही नहीं दिल्ली चलो मार्च के साथ जुड़े संगठनों के साथ तालमेल बनाने के लिए 6 सदस्यीय कोऑर्डिनेशन कमेटी का भी ऐलान किया गया, जो उनके साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए बातचीत करेगी. लेकिन, बड़ी बात यह है कि इस पूरे मुद्दे पर SKM नेता पंजाब सरकार को लेकर एक भी शब्द नहीं बोले. संयुक्त किसान मोर्चा की रणनीति और योजना को लेकर ईटीवी भारत ने पंजाब के सबसे बड़े अनुशासित और पिछले आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले किसान संगठन के नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां खास बातचीत की.

सवाल: क्या आपको लगता है कि जो रणनीति संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक में तय की है उसे किसानों के हक मिलने में मदद मिलेगी?

जवाब: पूरे मामले में दो बातें हैं एक तो जो बुधवार, 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक नौजवान को गोली मारकर शहीद किया गया. उसके विरोध में हम शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन अकेले पंजाब में ही नहीं बल्कि देश भर में होगा. हम सब ने पहले उस घटना पर अफसोस जाहिर किया और फिर उसके लिए 2 मिनट का मौन भी रखा. उसके बाद हमने अगली रणनीति तय की.

सवाल: जिस तरीके से इस बार किस संगठन 2 दलों में बंटे हुए हैं. क्या आपको लगता है कि आपको भी उनके साथ बॉर्डर पर शामिल होना चाहिए. हालांकि आप लोगों ने कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई है, जिसमें आप भी हैं क्या कहेंगे इस पर?

जवाब: हम आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे. एक फिलॉस्फर ने भी कहा है कि कई बार दुश्मन दूसरों को इकट्ठा कर देता है. घर में भी कई बार हम एक दूसरे से नहीं बोलते छोटी-छोटी बातों में तकरार हो जाती है. जब भाई पर कोई हमला करता है तो दूसरा भाई भूल जाता है कि हमारे में कोई झगड़ा हुआ था. यह मौका नहीं है कि उसने क्या किया हमने क्या किया. इस वक्त तो हमें एक दूसरे की डटकर मदद करनी चाहिए. बाकी बातें बाद में देख लेंगे, इस दृष्टिकोण से हमने आज इसको लेकर कमेटी का गठन किया है.

सवाल: WTO से देश को बाहर निकालने की बात आपने की है. क्या आज के दौर में जब ग्लोबल विलेज है या संभव हो पाएगा?

जवाब: यह तो बिल्कुल आसान नहीं है, क्योंकि दुनिया को वर्ल्ड बैंक चल रहा है. देश की अर्थव्यवस्था भी इतनी मजबूत नहीं है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन का भी बहुत बड़ा घेरा है. पूंजीवादी देशों का उस पर दबाव है. इसलिए जब हम इस तरह की कोई मांग करते हैं तो फिर ऐसे में सरकार सोचने लग जाती है कि इससे बाहर कैसे निकाला जाए. लोग भी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं. खास तौर पर तीसरी दुनिया के लोग उनकी नीतियों से संतुष्ट नहीं है. वह सभी इसे बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं. भारत बहुत बड़ा देश है और खेती के क्षेत्र में इसकी आर्थिकी मजबूत है. इसलिए भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम करें. सब्सिडी और पीडीएस स्कीम को जो बंद करने की बात आ रही है इसके लिए भारत इनकार करें.

सवाल: केंद्र ने पांचवें दौर की बातचीत के लिए किसानों को आमंत्रित किया है. हालांकि उनकी ओर से अभी कोई जवाब नहीं आया है. क्या आपको लगता है कि इन सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है?

जवाब: बिल्कुल सही कहा आपने मैं आपकी इस बात से शत प्रतिशत सहमत हूं. चर्चा हर मुद्दे पर होनी चाहिए. हमें आंदोलन लगाने से पहले यह पता होना चाहिए कि हम इससे कितना हासिल कर सकते हैं. जब हमने तीन कानून के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था तो उससे पहले हमने पंजाब में दो बैठक की थी. हमने उस वक्त सबसे कहा था कि यह इतनी बड़ी लड़ाई है अकेले कोई नहीं लड़ी जा सकती. हमने कहा था कि यह मामला बड़ा है इसलिए पूरे देश के किसानों को एकजुट होना होगा. अपने मुद्दों को भूलना होगा. क्योंकि यह मुद्दा बड़ा था. कॉरपोरेट और पूंजीपतियों का मुद्दा था. वे लोग मार्केट को खत्म करना चाहते थे. खाद्यान्न सुरक्षा पर भी संकट आ सकता था. इसलिए हमने बड़े मुद्दे पर हाथ डाला और आप लोगों ने भी सहयोग दिया जिसे हम उसे आंदोलन में जीत पाए. वह हमारा एक तो तजुर्बा है. एक या दो संगठन या सोचे कि हम नाके तोड़ देंगे सरकार को झुका देंगे या संभव नहीं है.

सवाल: इस बार जिस तरीके से दिल्ली चलो कार्यक्रम की कॉल दी गई और अंडरस्टैंडिंग नहीं बन पाई क्या उस चीज से खराब हो गई?

जवाब: यह विश्लेषण का ही सवाल है, किसने कैसे उसका विश्लेषण किया, किसने उसको किस तरीके से देखा. हमारी ताकत और उसकी ताकत की दिशा दशा और संतुलन किए बगैर कोई फैसला होता है तो उसमें गलती होती है. वैसे हमारा अनुभव भी ऐसा ही है कि गिर-गिर कर शह सवार मैदान ए जंग जीतते हैं.

सवाल: अगर कोऑर्डिनेशन कमेटी के साथ बातचीत की में सफलता मिलती है तो क्या आप लोग भी बॉर्डर पर उनके साथ जाएंगे?

जवाब: हम तो यही कामना करते हैं कि वे इस आंदोलन में कामयाब होकर निकलें. कुछ ना कुछ लेकर जाएंगे तो लोगों में उत्साह होगा. हम तो शुरू से ही इसकी कामना कर रहे हैं.

सवाल: केंद्र से बातचीत के लिए सबको आगे जाना चाहिए अगर बुलाया जाता है?

जवाब: अगर केंद्र सरकार उनके साथ बातचीत करना चाहती है तो उनको करनी चाहिए. अगर वह सब के साथ करना चाहती है तो वह भी करनी चाहिए. केंद्र को भी सोचना चाहिए कि अन्य संगठनों को भी भरोसे में ले तो बात फाइनल होगी और यह अच्छा होगा.

ये भी पढ़ें: किसान नेता राकेश टिकैत का बड़ा आरोप, बोले- पंजाब को बदनाम करने की साजिश, सभी फसलों पर MSP गारंटी की मांग

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन पर SKM का बड़ा ऐलान: 26 फरवरी को निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च

किसान आंदोलन को लेकर किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां से खास बातचीत.

चंडीगढ़: किसानों के दिल्ली चलो कार्यक्रम के दौरान खनौरी बॉर्डर पर एक युवक की मौत होने के बाद अब तमाम किसान संगठन इसके विरोध में इकट्ठा होने लगे हैं. इसी को लेकर गुरुवार, 22 फरवरी को चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई, जिसमें देशभर से करीब 40 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हुए. बैठक में खनौरी बॉर्डर पर उत्पन्न हुए हालात के बाद किस तरीके से संयुक्त किसान मोर्चा आगे बढ़ेगा इसको लेकर रणनीति तैयार की गई जिसके तहत शुक्रवार को किसान मोर्चा केंद्रीय गृह मंत्री हरियाणा के मुख्यमंत्री और हरियाणा के गृह मंत्री का पुतला दहन करेंगे. इसके साथ ही खनौरी बॉर्डर पर हुए योग की मौत के मामले में ज्यूडिशियल इंक्वारी की मांग की गई, एक करोड़ के मुआवजे की भी मांग रखी है.

वहीं, 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महा पंचायत करने का भी कार्यक्रम तय किया गया. इसके साथ 26 फरवरी को देश के सभी हाईवे पर ट्रैक्टर मार्क्स निकालने की बात कही गई और वही WTO के खिलाफ भी जंग लड़ने का ऐलान किया गया. इतना ही नहीं दिल्ली चलो मार्च के साथ जुड़े संगठनों के साथ तालमेल बनाने के लिए 6 सदस्यीय कोऑर्डिनेशन कमेटी का भी ऐलान किया गया, जो उनके साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए बातचीत करेगी. लेकिन, बड़ी बात यह है कि इस पूरे मुद्दे पर SKM नेता पंजाब सरकार को लेकर एक भी शब्द नहीं बोले. संयुक्त किसान मोर्चा की रणनीति और योजना को लेकर ईटीवी भारत ने पंजाब के सबसे बड़े अनुशासित और पिछले आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले किसान संगठन के नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां खास बातचीत की.

सवाल: क्या आपको लगता है कि जो रणनीति संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक में तय की है उसे किसानों के हक मिलने में मदद मिलेगी?

जवाब: पूरे मामले में दो बातें हैं एक तो जो बुधवार, 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक नौजवान को गोली मारकर शहीद किया गया. उसके विरोध में हम शुक्रवार को प्रदर्शन कर रहे हैं. यह प्रदर्शन अकेले पंजाब में ही नहीं बल्कि देश भर में होगा. हम सब ने पहले उस घटना पर अफसोस जाहिर किया और फिर उसके लिए 2 मिनट का मौन भी रखा. उसके बाद हमने अगली रणनीति तय की.

सवाल: जिस तरीके से इस बार किस संगठन 2 दलों में बंटे हुए हैं. क्या आपको लगता है कि आपको भी उनके साथ बॉर्डर पर शामिल होना चाहिए. हालांकि आप लोगों ने कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई है, जिसमें आप भी हैं क्या कहेंगे इस पर?

जवाब: हम आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे. एक फिलॉस्फर ने भी कहा है कि कई बार दुश्मन दूसरों को इकट्ठा कर देता है. घर में भी कई बार हम एक दूसरे से नहीं बोलते छोटी-छोटी बातों में तकरार हो जाती है. जब भाई पर कोई हमला करता है तो दूसरा भाई भूल जाता है कि हमारे में कोई झगड़ा हुआ था. यह मौका नहीं है कि उसने क्या किया हमने क्या किया. इस वक्त तो हमें एक दूसरे की डटकर मदद करनी चाहिए. बाकी बातें बाद में देख लेंगे, इस दृष्टिकोण से हमने आज इसको लेकर कमेटी का गठन किया है.

सवाल: WTO से देश को बाहर निकालने की बात आपने की है. क्या आज के दौर में जब ग्लोबल विलेज है या संभव हो पाएगा?

जवाब: यह तो बिल्कुल आसान नहीं है, क्योंकि दुनिया को वर्ल्ड बैंक चल रहा है. देश की अर्थव्यवस्था भी इतनी मजबूत नहीं है. वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन का भी बहुत बड़ा घेरा है. पूंजीवादी देशों का उस पर दबाव है. इसलिए जब हम इस तरह की कोई मांग करते हैं तो फिर ऐसे में सरकार सोचने लग जाती है कि इससे बाहर कैसे निकाला जाए. लोग भी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन की नीतियों से संतुष्ट नहीं हैं. खास तौर पर तीसरी दुनिया के लोग उनकी नीतियों से संतुष्ट नहीं है. वह सभी इसे बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं. भारत बहुत बड़ा देश है और खेती के क्षेत्र में इसकी आर्थिकी मजबूत है. इसलिए भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का काम करें. सब्सिडी और पीडीएस स्कीम को जो बंद करने की बात आ रही है इसके लिए भारत इनकार करें.

सवाल: केंद्र ने पांचवें दौर की बातचीत के लिए किसानों को आमंत्रित किया है. हालांकि उनकी ओर से अभी कोई जवाब नहीं आया है. क्या आपको लगता है कि इन सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकाला जा सकता है?

जवाब: बिल्कुल सही कहा आपने मैं आपकी इस बात से शत प्रतिशत सहमत हूं. चर्चा हर मुद्दे पर होनी चाहिए. हमें आंदोलन लगाने से पहले यह पता होना चाहिए कि हम इससे कितना हासिल कर सकते हैं. जब हमने तीन कानून के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था तो उससे पहले हमने पंजाब में दो बैठक की थी. हमने उस वक्त सबसे कहा था कि यह इतनी बड़ी लड़ाई है अकेले कोई नहीं लड़ी जा सकती. हमने कहा था कि यह मामला बड़ा है इसलिए पूरे देश के किसानों को एकजुट होना होगा. अपने मुद्दों को भूलना होगा. क्योंकि यह मुद्दा बड़ा था. कॉरपोरेट और पूंजीपतियों का मुद्दा था. वे लोग मार्केट को खत्म करना चाहते थे. खाद्यान्न सुरक्षा पर भी संकट आ सकता था. इसलिए हमने बड़े मुद्दे पर हाथ डाला और आप लोगों ने भी सहयोग दिया जिसे हम उसे आंदोलन में जीत पाए. वह हमारा एक तो तजुर्बा है. एक या दो संगठन या सोचे कि हम नाके तोड़ देंगे सरकार को झुका देंगे या संभव नहीं है.

सवाल: इस बार जिस तरीके से दिल्ली चलो कार्यक्रम की कॉल दी गई और अंडरस्टैंडिंग नहीं बन पाई क्या उस चीज से खराब हो गई?

जवाब: यह विश्लेषण का ही सवाल है, किसने कैसे उसका विश्लेषण किया, किसने उसको किस तरीके से देखा. हमारी ताकत और उसकी ताकत की दिशा दशा और संतुलन किए बगैर कोई फैसला होता है तो उसमें गलती होती है. वैसे हमारा अनुभव भी ऐसा ही है कि गिर-गिर कर शह सवार मैदान ए जंग जीतते हैं.

सवाल: अगर कोऑर्डिनेशन कमेटी के साथ बातचीत की में सफलता मिलती है तो क्या आप लोग भी बॉर्डर पर उनके साथ जाएंगे?

जवाब: हम तो यही कामना करते हैं कि वे इस आंदोलन में कामयाब होकर निकलें. कुछ ना कुछ लेकर जाएंगे तो लोगों में उत्साह होगा. हम तो शुरू से ही इसकी कामना कर रहे हैं.

सवाल: केंद्र से बातचीत के लिए सबको आगे जाना चाहिए अगर बुलाया जाता है?

जवाब: अगर केंद्र सरकार उनके साथ बातचीत करना चाहती है तो उनको करनी चाहिए. अगर वह सब के साथ करना चाहती है तो वह भी करनी चाहिए. केंद्र को भी सोचना चाहिए कि अन्य संगठनों को भी भरोसे में ले तो बात फाइनल होगी और यह अच्छा होगा.

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