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हरियाणा में फर्जी एडमिशन का मामला: CBI ने तीन FIR की दर्ज, नपेंगे शिक्षा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी? - Fake admissions in Haryana

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 29, 2024, 3:58 PM IST

Fake admissions in Haryana: हरियाणा में फर्जी एडमिशन के मामले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की हैं.

Fake admissions in Haryana
Fake admissions in Haryana (Etv Bharat)

चंडीगढ़: फिलहाल देश में नीट और यूजीसी परीक्षा पेपर लीक के मुद्दे पर बवाल मचा है. दूसरी तरफ हरियाणा में फर्जी एडमिशन के मुद्दे पर घमासान जारी है. मामले में सीबीआई एक्शन में आ गई है. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है. ये एफआईआर प्राइमरी एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों, कर्मचारियों और अध्यापकों पर की गई है. सीबीआई मामले में साल 2019 से जांच कर रही है.

हरियाणा में फर्जी एडमिशन का मामला: ये मामला 2014 से 2016 के बीच का है. बताया जा रहा है कि 2014 से 2016 के बीच सरकारी प्राइमरी स्कूलों में करीब 22 लाख एडमिशन हुए थे. जिसमें करीब चार लाख एडमिशन फर्जी पाए गए. इन छात्रों के नाम पर मिलने वाली छात्रवृत्ति, मिड डे मील की राशि, गरीब और बीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं में गबन किया गया. मामले में सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश पर तीन FIR दर्ज की हैं.

सीबीआई कर रही मामले की जांच: मामले में पहले एसआईटी ने कुछ स्कूलों की जांच की गई. जिसमें कई खुलासे हुए. इसके बाद मामले की जांच का दायरा बढ़ाया गया. कई सरकारी स्कूलों की जांच की गई. जांच में सामने आया कि चार लाख छात्रों के ना सिर्फ फर्जी एडमिशन किए गए, बल्कि गरीब और बीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं में भी गबन किया गया. बड़े स्तर पर हुई इस धांधली और गड़बड़झाले की जांच अब सीबीआई कर रही है.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज: इस मामले में प्रदेश शिक्षा विभाग के किन अधिकारियों, कर्मचारियों और अध्यापकों की संलिप्तता है? क्या इसमें कोई अन्य भी शामिल है? इस सबकी जांच की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस दौरान 700 से अधिक अतिथि अध्यापकों की सेवाएं ली गईं, जो नियमों के खिलाफ बताई जा रही हैं. इसकी भी जांच सीबीआई करेगी. इस मामले को लेकर अब विपक्ष भी हमलावर हो गया है.

आप पार्टी सरकार पर हमलावर: आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने कहा कि बीजेपी सरकार हरियाणा में सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. 2014 से जैसे ही कार्यकाल शुरू हुआ, उसी दिन से लूट और भ्रष्टाचार शुरू हुआ. सीबीआई ने तीन एफआईआर दर्ज की हैं. 2014 से 2016 तक चार लाख बच्चों का सरकारी स्कूलों में फर्जी दाखिला दिखाया गया.

मिड डे मील और वर्दी के नाम पर गबन: उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के नाम पर मिड डे मील, वर्दी के नाम पर, वजीफे और फर्जी शिक्षक भर्ती दिखाकर करोड़ों का गबन किया गया. सीबीआई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, तत्कालीन शिक्षा मंत्री का नाम एफआईआर में नहीं डाला. बिना सरकार के संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर घोटाला संभव नहीं है. बीजेपी ने बच्चों की शिक्षा के नाम पर करोड़ों का गबन किया. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर हुई. अगर निष्पक्ष जांच हुई तो सभी बड़े नेता जेल के अंदर मिलेंगे.

क्या है पूरा मामला? दरअसल साल 2016 में हरियाणा सरकार ने गेस्ट टीचरों को बचाने के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की थी. इस दौरान कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. पता चला कि साल 2014 से 15 के बीच प्राइमरी सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे, जबकि साल 2015 से 16 में छात्रों की संख्या घटकर 18 लाख रह गई. इसपर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि चार लाख बच्चे कहां गए? इसपर हरियाणा सरकार हाई कोर्ट में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में जांच के आदेश दिए थे.

ये भी पढ़ें- संसद में NEET के मुद्दे पर हंगामा, दीपेंद्र हुड्डा बोले- पेपर लीक से युवाओं का भविष्य खराब, मुद्दा उठाया तो बंद किया राहुल गांधी का माइक - Rahul Gandhi Mic Issue Parliament

चंडीगढ़: फिलहाल देश में नीट और यूजीसी परीक्षा पेपर लीक के मुद्दे पर बवाल मचा है. दूसरी तरफ हरियाणा में फर्जी एडमिशन के मुद्दे पर घमासान जारी है. मामले में सीबीआई एक्शन में आ गई है. पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है. ये एफआईआर प्राइमरी एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों, कर्मचारियों और अध्यापकों पर की गई है. सीबीआई मामले में साल 2019 से जांच कर रही है.

हरियाणा में फर्जी एडमिशन का मामला: ये मामला 2014 से 2016 के बीच का है. बताया जा रहा है कि 2014 से 2016 के बीच सरकारी प्राइमरी स्कूलों में करीब 22 लाख एडमिशन हुए थे. जिसमें करीब चार लाख एडमिशन फर्जी पाए गए. इन छात्रों के नाम पर मिलने वाली छात्रवृत्ति, मिड डे मील की राशि, गरीब और बीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं में गबन किया गया. मामले में सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश पर तीन FIR दर्ज की हैं.

सीबीआई कर रही मामले की जांच: मामले में पहले एसआईटी ने कुछ स्कूलों की जांच की गई. जिसमें कई खुलासे हुए. इसके बाद मामले की जांच का दायरा बढ़ाया गया. कई सरकारी स्कूलों की जांच की गई. जांच में सामने आया कि चार लाख छात्रों के ना सिर्फ फर्जी एडमिशन किए गए, बल्कि गरीब और बीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं में भी गबन किया गया. बड़े स्तर पर हुई इस धांधली और गड़बड़झाले की जांच अब सीबीआई कर रही है.

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज: इस मामले में प्रदेश शिक्षा विभाग के किन अधिकारियों, कर्मचारियों और अध्यापकों की संलिप्तता है? क्या इसमें कोई अन्य भी शामिल है? इस सबकी जांच की जाएगी. बताया जा रहा है कि इस दौरान 700 से अधिक अतिथि अध्यापकों की सेवाएं ली गईं, जो नियमों के खिलाफ बताई जा रही हैं. इसकी भी जांच सीबीआई करेगी. इस मामले को लेकर अब विपक्ष भी हमलावर हो गया है.

आप पार्टी सरकार पर हमलावर: आम आदमी पार्टी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अनुराग ढांडा ने कहा कि बीजेपी सरकार हरियाणा में सिर से पैर तक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है. 2014 से जैसे ही कार्यकाल शुरू हुआ, उसी दिन से लूट और भ्रष्टाचार शुरू हुआ. सीबीआई ने तीन एफआईआर दर्ज की हैं. 2014 से 2016 तक चार लाख बच्चों का सरकारी स्कूलों में फर्जी दाखिला दिखाया गया.

मिड डे मील और वर्दी के नाम पर गबन: उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के नाम पर मिड डे मील, वर्दी के नाम पर, वजीफे और फर्जी शिक्षक भर्ती दिखाकर करोड़ों का गबन किया गया. सीबीआई ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, तत्कालीन शिक्षा मंत्री का नाम एफआईआर में नहीं डाला. बिना सरकार के संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर घोटाला संभव नहीं है. बीजेपी ने बच्चों की शिक्षा के नाम पर करोड़ों का गबन किया. इस मामले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर हुई. अगर निष्पक्ष जांच हुई तो सभी बड़े नेता जेल के अंदर मिलेंगे.

क्या है पूरा मामला? दरअसल साल 2016 में हरियाणा सरकार ने गेस्ट टीचरों को बचाने के लिए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में अपील की थी. इस दौरान कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. पता चला कि साल 2014 से 15 के बीच प्राइमरी सरकारी स्कूलों में 22 लाख छात्र थे, जबकि साल 2015 से 16 में छात्रों की संख्या घटकर 18 लाख रह गई. इसपर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि चार लाख बच्चे कहां गए? इसपर हरियाणा सरकार हाई कोर्ट में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में जांच के आदेश दिए थे.

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