नई दिल्ली : केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ किसानों द्वारा अपनी उपज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत अपनी मांगों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच कई कृषि विशेषज्ञों ने बुधवार को कृषि क्षेत्र में और सुधार लाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने खासकर देश में किसानों के कल्याण के लिए इस दिशा में काम करने की पहल किए जाने की बात कही.
किसान आंदोलन के बीच कृषि विशेषज्ञ नरेश सिरोही ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र एक गैर-लाभकारी सक्षम क्षेत्र है. जब तक इसमें और सुधार नहीं किया जाएगा और इसे लाभदायक नहीं बनाया जाएगा, तब तक यह कैसे जीवित रहेगा. उन्होंने कहा कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र पर निर्भर है.
इसी तरह एक अन्य कृषि विशेषज्ञ हरवीर सिंह ने कहा कि सरकार ने 2022 में एमएसपी पर एक समिति बनाई है, लेकिन अभी तक समिति की रिपोर्ट नहीं आई है. किसानों की मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी है. सिंह ने आगे कहा कि उन्हें लगता है कि किसानों की भलाई के लिए उन्हें साथ लेकर कृषि क्षेत्र में सुधार किया जाना चाहिए. वहीं एक अन्य कृषि विशेषज्ञ विनोद शेरावत ने कहा कि किसानों को सरकार से चर्चा करनी चाहिए क्योंकि वह इसके लिए तैयार है.
उन्होंने कहा, 'इस सरकार ने किसानों के लिए बहुत कुछ किया है. किसानों को सरकार से बातचीत करनी चाहिए.' इससे पहले दिन में, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दोहराया कि सरकार किसानों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है. उन्होंने यहां मीडिया से कहा, 'हम चर्चा करने के लिए तैयार हैं. हमें सभी पक्षों को देखना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए.' गौरतलब है कि सरकार किसानों के साथ दो बैठकें कर चुकी है. दोनों ही बैठकें बेनतीजा रहीं. बता दें कि विपक्षी कांग्रेस ने किसानों को समर्थन देते हुए मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनसे चर्चा करनी चाहिए.
कांग्रेस पार्टी ने (आगामी लोकसभा चुनावों में सत्ता में आने पर) स्वामीनाथन आयोग के अनुसार एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने की भी घोषणा की है. यह दावा करते हुए पार्टी ने कहा है कि यह कदम 15 करोड़ किसानों के परिवारों की समृद्धि सुनिश्चित करके उनके जीवन को बदल देगा. कांग्रेस ने कहा कि यह न्याय के रास्ते पर पार्टी की पहली गारंटी है.
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