ETV Bharat / bharat

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड जिस पर SC ने लगाई रोक, किस पार्टी को मिला सबसे ज्यादा चंदा ?

Electoral bond : सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. इसके तहत पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 16,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये योजना है क्या और किस पार्टी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है. पढ़ें खास खबर.

ELECTORAL BONDS
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 15, 2024, 6:14 PM IST

हैदराबाद : चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है. चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक योजना शुरू होने से अब तक राजनीतिक दलों को करीब 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है.

क्या है चुनाव बॉन्ड : साल 2017 में वित्त विधेयक के माध्यम से चुनावी बॉन्ड प्रणाली को पेश किया गया था, जिसके बाद 2018 में इसे लागू किया गया. इसके जरिए कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना अपनी पहचान उजागर किए पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है. चुनावी बॉन्ड में लगभग आधा धन कॉरपोरेट्स से आता है, जबकि बाकी 'अन्य स्रोतों' से आता है.

चुनावी बॉन्ड (ईबी) नोटों की तरह हैं. केवल सरकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिंदा शाखाओं के माध्यम से इन्हें बेचा जाता है. इन्हें 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 100,000 रुपये, 10 लाख रुपये, एक करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में बेचा जाता है. इन्हें व्यक्तियों, समूहों या कॉर्पोरेट संगठनों द्वारा खरीदा जा सकता है और अपनी पसंद की पार्टी को दान किया जा सकता है, जो 15 दिनों के बाद उन्हें बिना ब्याज के भुना सकती हैं. कोई भी व्यक्ति कितने भी बॉन्ड खरीद सकता है या दान कर सकता है, इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है. हां एक शर्त और कि अगर इन्हें 15 दिन के अंदर नहीं भुनाया जाता तो ये फंड पीएम राष्ट्रीय राहत कोष में चला जाता है.

चंदा लेने के लिए ये शर्त पूरी करनी जरूरी : चुनावी बॉन्ड के तहत केवल वह राजनीतिक दल चंदा प्राप्त कर सकते हैं जिनका पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 के तहत है. एक शर्त ये भी है कि केवल वह राजनीतिक दल इसके तहत चंदा ले सकते हैं, जिन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हैं.

भाजपा को मिला सबसे ज्यादा चंदा : सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले आंकड़ों से पता चला है कि चुनावी बॉन्ड का बड़ा हिस्सा भाजपा के खाते में गया है. चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक रद्द हो चुकी चुनावी बांड योजना की शुरुआत 2018 में होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए, जिसमें से सत्तारूढ़ भाजपा को लगभग 55 प्रतिशत या 6,565 करोड़ रुपये मिले. भाजपा को वित्तीय वर्ष 2022-23 में सभी कॉर्पोरेट दान का लगभग 90% प्राप्त हुआ. जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पार्टी-वार डेटा वर्ष के लिए वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने के बाद उपलब्ध होगा.

एडीआर की रिपोर्ट में क्या : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मार्च 2018 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड की बिक्री के माध्यम से उत्पन्न धन की कुल राशि 16,518.11 करोड़ रुपये बताई है. भाजपा की कुल आय चुनावी बॉन्ड की कुल आय का आधे से अधिक हिस्सा है. यूपीए-2 के आखिरी साल के बाद से बीजेपी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए देश की सबसे अमीर पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया था. वित्त वर्ष 2013-14 में इसकी कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी, जबकि कांग्रेस की 598 करोड़ रुपये थी. तब से भाजपा की आय ज्यादातर बढ़ रही है.

भाजपा की आय दोगुनी से अधिक होकर 2,410 करोड़ रुपये (1,027 करोड़ रुपये से) हो गई है. कांग्रेस की आय भी बढ़ी है. उसकी आय 199 करोड़ रुपये से तेजी से बढ़कर 918 करोड़ रुपये हो गई. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, बीजेपी की कुल आय 2,360 करोड़ रुपये थी, जिसमें से लगभग 1,300 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आए थे. उसी वर्ष, कांग्रेस की कुल आय गिरकर 452 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें से 171 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आए.

इस पर एक नजर

  • भाजपा का चुनावी बांड के माध्यम से आने वाला धन 2021-22 में 1,033 करोड़ रुपये से बढ़ गया.
  • साल 2021-22 में कांग्रेस का चंदा 236 करोड़ रुपये घटा.
  • साल 2021-22 में टीएमसी को 325 करोड़ रुपये मिले. बीआरएस को 529 करोड़ रुपये, डीएमके को 185 करोड़ रुपये, बीजेडी को 152 करोड़ रुपये, टीडीपी को 34 करोड़ मिले.
  • इसी अवधि में समाजवादी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की रकम शून्य थी.

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए चुनावी बॉन्ड : देश के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करता है.

ये भी पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया

कांग्रेस ने किया चुनावी बॉन्ड पर 'सुप्रीम' फैसले का स्वागत, कहा- वोट की ताकत और मजबूत होगी

इलेक्टोरल बॉन्ड पर क्यों छिड़ी बहस, आसान भाषा में समझें

हैदराबाद : चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है. चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक योजना शुरू होने से अब तक राजनीतिक दलों को करीब 16,000 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है.

क्या है चुनाव बॉन्ड : साल 2017 में वित्त विधेयक के माध्यम से चुनावी बॉन्ड प्रणाली को पेश किया गया था, जिसके बाद 2018 में इसे लागू किया गया. इसके जरिए कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना अपनी पहचान उजागर किए पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है. चुनावी बॉन्ड में लगभग आधा धन कॉरपोरेट्स से आता है, जबकि बाकी 'अन्य स्रोतों' से आता है.

चुनावी बॉन्ड (ईबी) नोटों की तरह हैं. केवल सरकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिंदा शाखाओं के माध्यम से इन्हें बेचा जाता है. इन्हें 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 100,000 रुपये, 10 लाख रुपये, एक करोड़ रुपये के मूल्यवर्ग में बेचा जाता है. इन्हें व्यक्तियों, समूहों या कॉर्पोरेट संगठनों द्वारा खरीदा जा सकता है और अपनी पसंद की पार्टी को दान किया जा सकता है, जो 15 दिनों के बाद उन्हें बिना ब्याज के भुना सकती हैं. कोई भी व्यक्ति कितने भी बॉन्ड खरीद सकता है या दान कर सकता है, इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है. हां एक शर्त और कि अगर इन्हें 15 दिन के अंदर नहीं भुनाया जाता तो ये फंड पीएम राष्ट्रीय राहत कोष में चला जाता है.

चंदा लेने के लिए ये शर्त पूरी करनी जरूरी : चुनावी बॉन्ड के तहत केवल वह राजनीतिक दल चंदा प्राप्त कर सकते हैं जिनका पंजीकरण लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 के तहत है. एक शर्त ये भी है कि केवल वह राजनीतिक दल इसके तहत चंदा ले सकते हैं, जिन्हें लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हैं.

भाजपा को मिला सबसे ज्यादा चंदा : सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले आंकड़ों से पता चला है कि चुनावी बॉन्ड का बड़ा हिस्सा भाजपा के खाते में गया है. चुनाव आयोग और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के आंकड़ों के मुताबिक रद्द हो चुकी चुनावी बांड योजना की शुरुआत 2018 में होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए, जिसमें से सत्तारूढ़ भाजपा को लगभग 55 प्रतिशत या 6,565 करोड़ रुपये मिले. भाजपा को वित्तीय वर्ष 2022-23 में सभी कॉर्पोरेट दान का लगभग 90% प्राप्त हुआ. जबकि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पार्टी-वार डेटा वर्ष के लिए वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने के बाद उपलब्ध होगा.

एडीआर की रिपोर्ट में क्या : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने मार्च 2018 और जनवरी 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड की बिक्री के माध्यम से उत्पन्न धन की कुल राशि 16,518.11 करोड़ रुपये बताई है. भाजपा की कुल आय चुनावी बॉन्ड की कुल आय का आधे से अधिक हिस्सा है. यूपीए-2 के आखिरी साल के बाद से बीजेपी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए देश की सबसे अमीर पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया था. वित्त वर्ष 2013-14 में इसकी कुल आय 673.8 करोड़ रुपये थी, जबकि कांग्रेस की 598 करोड़ रुपये थी. तब से भाजपा की आय ज्यादातर बढ़ रही है.

भाजपा की आय दोगुनी से अधिक होकर 2,410 करोड़ रुपये (1,027 करोड़ रुपये से) हो गई है. कांग्रेस की आय भी बढ़ी है. उसकी आय 199 करोड़ रुपये से तेजी से बढ़कर 918 करोड़ रुपये हो गई. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, बीजेपी की कुल आय 2,360 करोड़ रुपये थी, जिसमें से लगभग 1,300 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आए थे. उसी वर्ष, कांग्रेस की कुल आय गिरकर 452 करोड़ रुपये हो गई, जिसमें से 171 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आए.

इस पर एक नजर

  • भाजपा का चुनावी बांड के माध्यम से आने वाला धन 2021-22 में 1,033 करोड़ रुपये से बढ़ गया.
  • साल 2021-22 में कांग्रेस का चंदा 236 करोड़ रुपये घटा.
  • साल 2021-22 में टीएमसी को 325 करोड़ रुपये मिले. बीआरएस को 529 करोड़ रुपये, डीएमके को 185 करोड़ रुपये, बीजेडी को 152 करोड़ रुपये, टीडीपी को 34 करोड़ मिले.
  • इसी अवधि में समाजवादी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल की रकम शून्य थी.

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किए चुनावी बॉन्ड : देश के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक फंडिंग के लिए चुनावी बांड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करता है.

ये भी पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया

कांग्रेस ने किया चुनावी बॉन्ड पर 'सुप्रीम' फैसले का स्वागत, कहा- वोट की ताकत और मजबूत होगी

इलेक्टोरल बॉन्ड पर क्यों छिड़ी बहस, आसान भाषा में समझें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.