नई दिल्लीः ED ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाला में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध किया है. मंगलवार को जांच एजेंसी ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जवाबी हलफनामे में कहा है कि घोटाले का मुख्य लाभार्थी आम आदमी पार्टी है. केजरीवाल की याचिका पर कल यानि 3 अप्रैल को सुनवाई होगी.
ED ने जवाबी हलफनामे में कहा है कि इस घोटाले से मिले करीब 45 करोड़ की रकम से आम आदमी पार्टी ने गोवा में 2022 के विधानसभा के चुनाव प्रचार में खर्च किया. पार्टी ने केजरीवाल के जरिए मनी लॉड्रिंग की है. आम आदमी पार्टी की ओर से किया गया यह अपराध मनी लॉड्रिंग कानून की धारा 50 के तहत आता है. बता दें, केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए 27 मार्च को हाईकोर्ट ने कोई राहत नहीं दी थी. ईडी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था.
केजरीवाल फिलहाल 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं. 27 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि केजरीवाल को और उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में निष्क्रिय करने के लिए उनको गिरफ्तार किया गया. ये गिरफ्तारी लोकतंत्र और संविधान के बुनियादी ढांचे पर हमला है. जांच 2022 में शुरू हुई थी. केजरीवाल को अक्टूबर 2023 में समन भेजा गया था. बिना बयान दर्ज किए पिछले हफ्ते गिरफ्तार कर लिया गया. अभी ऐसी गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी? ऐसा क्या है जो बिना गिरफ्तार किए ईडी नहीं कर पा रही थी?
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केजरीवाल की याचिका में 22 मार्च के राऊज एवेन्यू कोर्ट की ओर से हिरासत में भेजने के आदेश को चुनौती गई है. केजरीवाल ने कहा है कि वे वर्तमान सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं मिलने के बाद ED ने 21 मार्च की देर शाम अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था.
जांच एजेंसी के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल शराब नीति घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता हैं. केजरीवाल के घर पर छापेमारी में कई अहम दस्तावेज मिले हैं. विजय नायर केजरीवाल के पास वाले मंत्री कैलाश गहलोत को दिए गए घर में रह रहे थे. उन्होंने साउथ ग्रुप और आम आदमी पार्टी के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाई. अरविंद केजरीवाल ने साउथ ग्रुप से रिश्वत की मांग की. इस बात की पुष्टि बयानों से होती है.
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