रायपुर : ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ दो राज्यों में छापेमारी के दौरान नकदी समेत लगभग 1 करोड़ 11 लाख रुपए की चल संपत्ति जब्त की है. बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में हुई कार्रवाई डीएमएफ घोटाले के दौरान हुई मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा है.ईडी सूत्रों के मुताबिक यह मामला जिला खनिज निधि के अधीन काम करने वाले ठेकेदारों, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के अधिकारी और राजनीतिक पदाधिकारियों की मिली भगत से जुड़ा है.जिन्होंने आपस में मिलकर सार्वजनिक धन की हेराफेरी की है. धन शोधन निवारण अधिनियम PMLA के तहत शुक्रवार और शनिवार को छापेमारी की गई.
क्या है डीएमएफ राशि ?: जानकारी के मुताबिक जिला खनिज निधि खनन कर्ताओं के द्वारा वित्त पोषित ट्रस्ट है. जिसे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए स्थापित किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज किए गए तीन मामलों के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी. इन मामलों में राज्य के अधिकारी, राजनीतिक हस्तियों के साथ मिलकर कुछ जिला खनिज निधि ठेकेदारों द्वारा सार्वजनिक फंड के दुरुपयोग का आरोप लगा था. इसके साथ ही डीएमएफ फंड के उपयोग में भ्रष्टाचार के दावे भी किए गए थे.
25 से 40 फीसदी कमीशन पर हुआ खेल : प्रवर्तन निदेशालय की जांच पर पता चला कि कुछ ठेकेदार और अधिकारियों के साथ ही राजनीतिक पदाधिकारी को कमीशन और अवैध रिश्वत दी गई जो आम तौर पर अनुबंध के आधार पर 25 से 40% तक होता है. सूत्रों की माने तो इस रिश्वत के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं के द्वारा समायोजन प्रविष्टियों का उपयोग करके उत्पन्न की गई थी. दो संस्थाओं के बीच एक वित्तीय लेनदेन जहां एक संस्था अपने खातों में लेनदेन को रिकॉर्ड करती है ताकि दूसरे को समान राशि की नकदी और कमीशन मिल सके.
कितनी की राशि हुई फ्रीज : प्रवर्तन निदेशालय की तलाशी कुछ प्रविष्टि प्रदाताओं और उनके संरक्षकों पर आधारित थी. जिसमें कई आपत्तिजनक विवरण, कई नकली स्वामित्व वाली संस्थाएं और महत्वपूर्ण नकदी होल्डिंग्स का पता चला. इस ऑपरेशन के दौरान 76 लाख 50 हजार रुपये नकद जब्त किए गए. इसके साथ ही फर्जी फर्मों से संबंधित 8 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है. जिसमें कुल मिलाकर लगभग 35 लाख रुपए की राशि जमा है.